Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने ईशा फाउंडेशन के खिलाफ जांच पर लगाई रोक, मद्रास HC के आदेश को दी गई थी चुनौती

सुप्रीम कोर्ट ने आज (3 अक्टूबर) को ईशा फाउंडेशन के खिलाफ पुलिस जांच के हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है। 30 सितंबर को मद्रास हाईकोर्ट ने पुलिस को ईशा फाउंडेशन से जुड़े सभी क्रिमिनल केसों की डिटेल पेश करने के आदेश दिये थे।

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने ईशा फाउंडेशन के खिलाफ जांच पर लगाई रोक, मद्रास HC के आदेश को दी गई थी चुनौती

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने आज (3 अक्टूबर) को ईशा फाउंडेशन (Isha Foundation) के खिलाफ पुलिस जांच के हाईकोर्ट (High Court) के आदेश पर रोक लगा दी है। 30 सितंबर को मद्रास हाईकोर्ट ने पुलिस को ईशा फाउंडेशन (Isha Foundation) से जुड़े सभी क्रिमिनल केसों की डिटेल पेश करने के आदेश दिये थे। इसके अगले दिन यानी 1 अक्टूबर को करीब 150 पुलिसकर्मी ईशा फाउंडेशन (Isha Foundation) के आश्रम में जांच करने पहुंचे थे।

SC ने मद्रास हाईकोर्ट के आदेश पर लगाई रोक

सद्गुरु जग्गी वासुदेव (Sadhguru Jaggi Vasudev) ईशा फाउंडेशन के संस्थापक हैं। वहीं मद्रास हाईकोर्ट के आदेश को सद्गुरु ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में चुनौती दी थी, जिस पर सुनवाई करते हुए आज सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अपना फैसला सुनाया। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) ने केस की सुनवाई के दौरान कहा कि, आप सेना या पुलिस को ऐसी जगह दाखिल होने की अनुमति नहीं दे सकते। सीजेआई ने कहा कि दोनों लड़कियां 2009 में आश्रम में आई थीं। उस समय उनकी उम्र 24 और 27 साल थी। वे अपनी मर्जी से वहां रह रही हैं। उन्होंने बताया कि कल रात से आश्रम में मौजूद पुलिस अब चली गई है।

दोनों ही बहनें अपनी मर्जी से आश्रम में रह रहीं हैं- CJI

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) ने केस पर फैसला सुनाने से पहले दोनों महिला संन्यासियों से अपने चेंबर में बात भी की। इनमें से एक ने कहा कि दोनों ही बहनें अपनी मर्जी से ईशा योग फाउंडेशन (Isha Yoga Foundation) में रह रहीं हैं। उनके पिता उन्हें पिछले 8 सालों से परेशान कर रहे हैं। वहीं, मामले की अगली सुनवाई 18 अक्टूबर को होगी।

मद्रास हाईकोर्ट में दाखिल की गई थी याचिका 

ईशा फाउंडेशन के खिलाफ रिटायर्ड प्रोफेसर एस. कामराज (Retired Professor S. Kamaraj) ने मद्रास हाईकोर्ट (Madras High Court) में याचिका दाखिल की थी। उन्होंने फांडेशन पर आरोप लगाया कि आश्रम में उनकी 2 बेटियों लता और गीता को बंधक बनाकर रखा गया है। 

बेटियों को बंधक बनाया और ब्रेनवॉश किया 

याचिकाकर्ता रिटायर्ड प्रोफेसर एस. कामराज ने कहा कि उनकी बेटियों को बंधक बनाया, ब्रेनवॉश किया गया है। तमिलनाडु एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी (Tamil Nadu Agricultural University) के रिटायर्ड प्रोफेसर एस कामराज ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। उन्होंने याचिका में कहा था कि आश्रम ने उनकी बेटियों को बंधक बना लिया है। उन्हें तुरंत वहां से आजाद कराया जाए। कामराज ने कहा है कि ईशा फाउंडेशन (Isha Foundation) ने उनकी बेटियों का ब्रेनवॉश किया है। जिसके कारण वे संन्यासी बन गईं। 

दोनों बेटियों को दवा दी जा रही- याचिकाकर्ता 

याचिकाकर्ता कामराज ने कहा कि उनकी बेटियों को कुछ खाना और दवा दी जा रही है, जिससे उनकी सोचने-समझने की शक्ति खत्म हो गई है। जब से बेटियों ने उन्हें छोड़ा है, उनका जीवन नर्क बन गया है। 

2008 में ईशा फाउंडेशन से जुड़ी थीं दोनों बहनें

जानकारी के मुताबिक, तमिलनाडु एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी (Tamil Nadu Agricultural University) के रिटायर्ड प्रोफेसर एस कामराज की बड़ी बेटी गीता यूके की एक यूनिवर्सिटी से एम. टेक है। उसे 2004 में उसी यूनिवर्सिटी में लगभग एक लाख रुपए की सैलरी पर नौकरी मिली थी। उसने 2008 में अपने तलाक के बाद ईशा फाउंडेशन में योग क्लासेज में हिस्सा लेना शुरू किया था। इसके बाद उसकी छोटी बहन लता भी उसके साथ ईशा फाउंडेशन में रहने लगी। दोनों बहनों ने अपना नाम बदल लिया और अब माता-पिता से मिलने से भी इनकार कर रही हैं। 

अपनी बेटियों की शादी करने वाला दूसरों को संन्यासी बना रहा है- मद्रास हाईकोर्ट 

मद्रास हाईकोर्ट (Madras High Court) ने अपने आदेश में कहा था कि अपनी बेटियों की शादी करने वाला दूसरों को संन्यासी बना रहा है। मद्रास हाईकोर्ट ने 30 सितंबर को कहा था कि जब आपने अपनी बेटी की शादी कर दी है, तो दूसरों की बेटियों को सिर मुंडवाने और सांसारिक जीवन त्यागकर संन्यासियों की तरह जीवनयापन के लिए क्यों प्रोत्साहित कर रहे हैं।