Smartphone disadvantage: स्मार्ट फोन और पीसी पर बिता रहे है ज्यादा समय तो हो जाएं सावधान!

स्मार्टफोन पर इंटरनेट का इस्तेमाल आज के समय में एक आम बात है। फिर चाहे आप किसी काम के लिए करें या फिर इंटरटेनमेंट के परपस से। कोरोना महामारी आने के बाद जब लोग घरों में कैद हो गए थे। तब से इंटरनेट का इस्तेमाल कुछ ज्यादा ही बढ़ गया है।

Smartphone disadvantage: स्मार्ट फोन और पीसी पर बिता रहे है ज्यादा समय तो हो जाएं सावधान!

Smartphone disadvantage: स्मार्टफोन पर इंटरनेट का इस्तेमाल आज के समय में एक आम बात है। फिर चाहे आप किसी काम के लिए करें या फिर इंटरटेनमेंट के परपस से। कोरोना महामारी आने के बाद जब लोग घरों में कैद हो गए थे। तब से इंटरनेट का इस्तेमाल कुछ ज्यादा ही बढ़ गया है। देखा जाए तो कुछ मायनों में इंटरनेट ने हमारी लाइफ को आसान बनाने का भी काम किया है। लेकिन जहां एक तरफ इसके कुछ फायदे हैं तो कुछ नुकसान भी हैं। स्मार्टफोन के जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल ने हमारे दिमाग की वायरिंग को बदल दिया है।  इससे हमारे दिमाग पर कई गलत असर पड़ रहे हैं। आज बात हम इसी के बारे में करेंगे

टीनेजर्स में बढ़ रही है इंटरनेट की लत

पीएलओएस मेंटल हेल्थ मैगजीन की एक रिपोर्ट के हिसाब से ये बात सामने आई है कि टीनेजर्स में नशे की लत लगने की संभावना बढ़ गई है। दरअसल इस स्टडी में खासतौर पर किशोरों के दिमाग पर पर पड़ने वाले इंटरनेट के गलत असर को दर्शाया गया है। इस रिपोर्ट में इस बात पर फोकस किया गया है कि  इंटरनेट की लत दिमाग के कई न्यूरॉन नेटवर्कस पर कैसे गलत असर डाल रही है। ये दिखाया है। ये वो न्यूरॉन नेटवर्क हैं जो Cognitive Functioning और बिहेवियर रेगुलेशन में जरूरी भूमिका निभाते हैं। 

डॉक्टरों के हिसाब से युवाओं में इंटरनेट की लत के जो संभावित जोखिम हैं उसे लेकर जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है।  जैसे-जैसे डिजिटाइजेशन होता जा रहा है, इंटरनेट का इस्तेमाल हर छोटी बड़ी चीज के लिए बढ़ता ही जा रहा है। माता-पिता से लेकर शिक्षकों और हेल्थ केयर प्रोफैशनल्स तक युवाओं में  इंटरनेट का इस्तेमाल जरूरत से ज्यादा ही है। इस मुद्दे पर नजर रखना और इसका समाधान करना बहुत जरूरी  हो गया है। 

दिमाग पर पड़ता है गहरा असर

डॉक्टरों के मुताबिक हमारे दिमाग में कई न्यूरल नेटवर्क होते हैं। इनमें से हर एक में functionally connected areas होते हैं जो लगातार जानकारी का अदान प्रदान करते हैं। ये नेटवर्क हमें ध्यान लगाने हमारी intellectual ability, शारीरिक समन्वय और इमोशनल प्रोसेसिंग को इंप्रूव करने में मदद करते हैं।  इसके अलावा डॉक्टर्स का ये भी कहना है कि अगर किसी व्यक्ति को ऑनलाइन कॉन्टेंट की लत लग जाती है, तो उसके दिमाग के कुछ पार्टिकूलर हिस्से पर पूरी एनर्जी नहीं मिलेगी। इससे आपके दिमाग की सोचने और समझने की क्षमता पर गलत असर पड़ेगा।

इंटरनेट की लत के इस साइकल को तोड़ने के लिए डॉक्टर्स बताते हैं कि  इस पैटर्न को संशोधित करने के लिए एक अलग ओपिनियन का होना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि समय-समय पर दिमाग को  'डिजिटल डिटॉक्स' कर लेना चाहिए इससे आपके मेंटल हेल्थ पर एक अच्छा प्रभाव पड़ेगा और सोचने समझने की क्षमता भी बढ़ेगी।  आखिर में ये समझ लेते हैं कि अगर आप भी दिमाग को डिटॉक्स करना चाहते हैं तो उसके लिए कर क्या सकते हैं। सबसे पहले तो इसके लिए आप अपनी डेली रूटीन में एक्सरसाइज की आदत को डालने की कोशिश करिए इससे  डोपामाइन आपकी बॉडी में रिलीज होगा और एक अच्छी फीलिंग आएगी। इसके अलावा एक अलग तरह का डेली रूटीन बनाना जिसमें आपकी डाइट भी शामिल हो ये भी फायदेमंद हो सकता है। हेल्दी खाएंगे तो पूरे शरीर के साथ-साथ दिमाग भी हेल्दी रहेगा।