Proposer in Election: कौन हैं पीएम मोदी के चार प्रस्तावक, क्या हैं इनका रोल
चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं।
Proposer in Election: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने मंगलवार को वाराणसी लोकसभा क्षेत्र (Varanasi Lok Sabha constituency) से अपना नामांकन भरने से पहले यहां गंगा नदी के किनारे दशाश्वमेध घाट (Dashashwamedh Ghat) पर पूजा-अर्चना की। पीएम मोदी के नामांकन के लिए चार प्रस्तावक भी तैयार हैं, जिसमें पंडित गणेश्वर शास्त्री (Pandit Ganeshwar Shastri), बैजनाथ पटेल (Baijnath Patel), लालचंद कुशवाहा (Lalchand Kushwaha) और संजय सोनकर (Sanjay Sonkar) शामिल हैं।
मोदी के प्रस्तावकों में ये लोग शामिल
काशी की ज्योतिष परम्परा से आने वाले ब्राह्मण समाज से गनेश्वर शास्त्री द्रविड़, जनसंघ के समय से पार्टी से जुड़े बैजनाथ पटेल, ओबीसी समाज से ही लालचंद कुशवाहा और दलित समाज से आने वाले संजय सोनकर पीएम के प्रस्तावक होंगे।
प्रस्तावकों में अलग-अलग समुदाय के लोग
पंडित गणेश्वर शास्त्री ने ही अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा का शुभ मुहूर्त निकाला था। वो ब्राह्मण समाज से हैं। बैजनाथ पटेल ओबीसी समाज से आते हैं और संघ के पुराने और समर्पित कार्यकर्ता रहे हैं। लालचंद कुशवाहा भी ओबीसी समुदाय से हैं, जबकि संजय सोनकर दलित समाज से हैं।
चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम
चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।
प्रस्तावकों में एक मतदाता आवश्यक
कई बार प्रस्तावकों के कारण चुनाव का रुख ही बदल जाता है। सूरत लोकसभा सीट पर ऐसा ही कुछ देखने को मिला था। नियमों के अनुसार, अगर कोई उम्मीदवार किसी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहा है, तो निर्वाचन क्षेत्र के एक मतदाता को उसकी उम्मीदवारी का प्रस्ताव देना आवश्यक होता है।
प्रस्तावक के बिना उम्मीदवार का नामांकन अधूरा
चुनाव में प्रस्तावक के बिना किसी उम्मीदवार का नामांकन अधूरा माना जाता है। रिटर्निंग ऑफिसर को प्रस्तावकों के हस्ताक्षर सत्यापित करने होते हैं। अगर एक संक्षिप्त पूछताछ के बाद रिटर्निंग ऑफिसर यह कहता है कि हस्ताक्षर असली नहीं हैं, तो प्रस्तावकों के कारण भी नामांकन पत्र रद्द किया जा सकता है।