Patanjali: गुमराह करने वाले विज्ञापनों पर पतंजलि ने मांगी माफी, सुप्रीम कोर्ट से कहा- अब दोबारा नहीं होगी ये गलती

बाबा रामदेव (Baba Ramdev) की आयुर्वेद कंपनी पतंजलि (Ayurveda company Patanjali) ने गुमराह करने वाले विज्ञापनों पर आज अपनी गलती मान ली है। कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में हलफनामा दाखिल कर बिना शर्त माफी मांगी।

Patanjali: गुमराह करने वाले विज्ञापनों पर पतंजलि ने मांगी माफी, सुप्रीम कोर्ट से कहा- अब दोबारा नहीं होगी ये गलती

Patanjali: बाबा रामदेव (Baba Ramdev) की आयुर्वेद कंपनी पतंजलि (Ayurveda company Patanjali) ने गुमराह करने वाले विज्ञापनों पर आज अपनी गलती मान ली है। कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में हलफनामा दाखिल कर बिना शर्त माफी मांगी। पतंजलि आयुर्वेद और उसके मैनेजिंग डायरेक्टर आचार्य बालकृष्ण (Managing Director Acharya Balkrishna) ने कोर्ट से ये गलती दोबारा ना करने का वादा भी किया है। एमडी बालकृष्ण (MD Balakrishna) ने हलफनामे में कहा कि नवंबर 2023 के बाद जारी किए गए विज्ञापनों का उद्देश्य केवल 'सामान्य बयान' था, लेकिन उनमें गलती से 'अपमानजनक वाक्य' शामिल हो गए। उन्होंने यह भी बताया कि कंपनी के मीडिया विभाग (media department) को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के आदेश की जानकारी नहीं थी। कंपनी का उद्देश्य सिर्फ नागरिकों को पतंजलि के प्रोडक्ट का इस्तेमाल कर स्वस्थ जीवन जीने के लिए प्रोत्साहित करना था।

पतंजलि के खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने दर्ज कराया था केस

दरअसल, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (Indian Medical Association) यानी IMA ने 17 अगस्त 2022 को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी। याचिका में कहा गया था कि पतंजलि ने कोविड वैक्सीनेशन और एलोपैथी के खिलाफ भ्रामक प्रचार किया है और अपनी आयुर्वेदिक दवाओं से बीपी, शुगर, अस्थमा समेत कई बीमारियों का इलाज करने का झूठा दावा किया है। जिससे एलोपैथी दवाइयों (allopathy medicines) की उपेक्षा हो रही है। आईएमए ने कहा कि, कंपनी ने कोविड-19 वैक्सीनेशन (Covid-19 vaccination) को लेकर एक कैंपेन चलाया था। जिसमें पतंजलि ने दावा किया था कि उनके प्रोडक्ट कोरोनिल और स्वसारी (Products Coronil and Swasari) से कोरोना का इलाज किया जा सकता है। आईएमए ने कहा कि पतंजलि के दावों की पुष्टि नहीं हुई है और ये ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज एक्ट 1954, और कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 2019 जैसे कानूनों का सीधा उल्लंघन है। 21 नवंबर 2023 को IMA की याचिका पर सुनवाई करते हुए SC ने पतंजलि को कड़ी फटकार लगाई और भ्रामक विज्ञापन (misleading advertising) तुरंत बंद करने का आदेश दिया। साथ ही चेतावनी देते हुए कहा कि कोर्ट ऐसे किसी भी उल्लंघन को बहुत गंभीरता से लेगा और हर एक प्रोडक्ट के झूठे दावे पर 1 करोड़ रुपए तक जुर्माना लगा सकता है।

पतंजलि ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को किया नजरअंदाज 

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के आदेश पर पतंजलि ने आश्वासन दिया था कि, वो अब चिकित्सा प्रणाली को लेकर कोई भी निराधार दावा नहीं करेंगे। हालांकि आश्वासन देने के बावजूद, पतंजलि ने उच्च न्यायालय के आदेश को नजरअंदाज किया और भ्रामक विज्ञापनों का सिलसिला जारी रखा। केस की सुनवाई के दौरान IMA ने कोर्ट के सामने पतंजलि के उन विज्ञापनों को पेश किया, जो दिसंबर 2023 और जनवरी 2024 में प्रिंट मीडिया में जारी किए गए थे। इसके अलावा 22 नवंबर 2023 को हुई उस प्रेस कॉन्फ्रेंस के बारे में भी बताया जिसमें पतंजलि के MD बालकृष्ण और योग गुरू शामिल हुए थे। इस पर सुप्रीम कोर्ट से सख्त नाराजगी जाहिर की और 27 फरवरी को एक बार फिर पतंजलि आयुर्वेद के गुमराह करने वाले दवा विज्ञापनों पर रोक लगाई। इसके साथ ही कोर्ट की अवमानना कार्यवाही में कारण बताओ नोटिस भी जारी किया। 

नोटिस का जवाब ना देने पर सख्त हुआ कोर्ट

19 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने कंपनी को नोटिस जारी कर ये पूछा की उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही क्यों ना की जाए। वहीं जब कोर्ट को इस नोटिस का जवाब भी नहीं मिला तो कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद के गुमराह करने वाले विज्ञापन केस में स्वामी रामदेव, और कंपनी के MD आचार्य बालकृष्ण (MD Acharya Balkrishna) को पेश होने को कहा है। कोर्ट में पेश होने के लिए उन्हें 2 अप्रैल की तारीख दी गई है। लेकिन उससे पहले ही कंपनी ने बिना शर्त कोर्ट से माफी मांग ली है। हालांकि इसके बाद भी रामदेव और आचार्य बालकृष्ण (Acharya Balkrishna) को 2 अप्रैल को कोर्ट में हाजिर होना पड़ेगा।