Pakistani Girl: पाकिस्तानी लड़की को भारत ने दिया दिल, चेन्नई में हुआ हार्ट ट्रांसप्लांट

पाकिस्तान के कराची में रहने वाली आयशा रशन को दिल की बिमारी थी। परिवार परेशान था, आयशा की उम्र महज 19 साल है। परिवार काफी दिनों से एक डोनर की तलाश में था। कोई भी डोनर नहीं मिल रहा था।

Pakistani Girl: पाकिस्तानी लड़की को भारत ने दिया दिल, चेन्नई में हुआ हार्ट ट्रांसप्लांट

India-Pakistan: बात जब भी इंसानियत की हो तो आज भी कई ऐसे लोग हैं जो सब कुछ भूल जाते हैं और किसी की मदद के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं। तमाम गिले-शिकवे, कुछ मायने ही नहीं रखते। अब आप सोच रहे होंगे कि ये अचानक इंसानियत और गिले- शिकवे भूलने की बात क्यों होने लग गई। दरअसल, ये बातें करने की वजह बना है, पाकिस्तानी लड़की को हिंदुस्तानी दिल लगाया जाना।19 साल की एक पाकिस्तानी लड़की को भारत ने नया जीवन दिया है।

आयशा को दिल्ली से मिला दिल 

पाकिस्तान के कराची में रहने वाली आयशा रशन को दिल की बिमारी थी। परिवार परेशान था, आयशा की उम्र महज 19 साल है। परिवार काफी दिनों से एक डोनर की तलाश में था। कोई भी डोनर नहीं मिल रहा था। इस दौरान परिवार को अचानक ही खबर मिली कि एक डोनर मिल गया है। खास बात ये है कि वो डोनर एक इंडियन निकला। दिल्ली के एक डोनर की मदद से आयशा का हर्ट ट्रांसप्लांट किया गया। आयशा रशन की चेन्नई के एमजीएम हेल्थकेयर (MGM Healthcare of Chennai) में सर्जरी की गई। जिसके बाद अब वो अपने देश लौटने के लिए तैयार है। 31 जनवरी, 2024 को आयशा का हार्ट ट्रांसप्लांट किया गया था। आयशा पहली बार 2019 में उनके पास आई थी जब वह 14 साल की थी।

भारत में ही हुआ पैसों का इंतेजाम

आयशा भारत आई तो पता चला कि वे आर्थिक रूप से मजबूत नहीं हैं। डॉ. बालाकृष्णन (Dr. Balakrishnan) ने बताया कि उनकी मां अकेली हैं, उनके पास कोई पैसा या संसाधन नहीं था, आयशा के बार-बार अस्पताल में भर्ती होने के साथ पूरे खर्चों का ध्यान रखना पड़ता था। डॉ ने ये भी बताया कि आयशा को कार्डियक अरेस्ट आया था। सीपीआर देकर किसी तरह उसकी जान बचाई गई और ईसीएमओ नाम की मशीन पर रखा गया, फिर आर्टिफिशिल हार्ट पंप लगाया जिसके बाद वो अपने देश वापस चली गई। बाद में उनका एक वाल्व लीक होने लगा। संक्रमण हो गया और पाकिस्तान में उसका इलाज करना मुश्किल था। यही वजह है कि वो भारत आई। उसके इलाज के लिए 30 से 40 लाख रुपये की जरूरत थी। ट्रस्ट और कई माध्यमों से उनके लिए पैसे जुटाने पड़े, यह सर्जरी जोखिम वाली थी जहां कुछ भी हो सकता था। लेकिन अगर सर्जरी न होती तो आयाशा नहीं बच पाती।

पाकिस्तान में संभव नहीं है दिल का इलाज 

मशहूर डॉ. फैसल सऊद डार (Dr. Faisal Saud Dar) जो कि लीवर ट्रांसप्लांट सर्जन हैं उनका कहना है कि ट्रांसप्लांट केवल मृत व्यक्तियों से ही होता है। पाकिस्तान में मृत दाताओं की कमी है और स्पेशलाइजेशन की कमी है। लाहौर में पाकिस्तान किडनी और लीवर इंस्टीट्यूट और रिसर्च सेंटर के डीन और सीईओ डॉ. डार ने जीवन बचाने के लिए मृत्यु के बाद अंग दान के बारे में जागरूकता बढ़ाने के महत्व पर जोर दिया, लेकिन फिलहाल ये संभव नहीं था...