PCOS/PCOD से है परेशान तो इन 5 तरीकों से करें मैनेज !
महिलाओं को कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं।जिनकी जानकारी न होने पर उन्हें कई तरह के उतार चढ़ाव से गुजरना पड़ता है। महिलाओं के शरीर में होने वाली एक समस्या है।पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम।जिसे पीसीओएस भी कहते हैं।दरअसल ये समस्या हार्मोनल डिसबैलेंस है।
PCOS/PCOD: महिलाओं को कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं।जिनकी जानकारी न होने पर उन्हें कई तरह के उतार चढ़ाव से गुजरना पड़ता है। महिलाओं के शरीर में होने वाली एक समस्या है।पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम।जिसे पीसीओएस भी कहते हैं।दरअसल ये समस्या हार्मोनल डिसबैलेंस है। जो महिलाओं में होने वाली एक आम समस्या है।जो 12 से 51 साल तक की महिलाओं में होने वाली सबसे आम हार्मोनल प्रॉब्लम है।
PCOS क्या है?
पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम में ओवरी के बाहरी किनारों पर अल्सर हो जाता है, जो ओवरी को बड़ा कर देता है।ऐसे स्थिति मे शरीर जरुरत से ज्यादा एण्ड्रोजन नामक हार्मोन बनाने लगता है। ये हार्मोन पुरुष लक्षणों को नियंत्रित करता है। जब उसका शरीर अधिक एण्ड्रोजन बनाता है, तो ओव्यूलेशन उस तरह नहीं होता जैसा होना चाहिए। जब ओव्यूलेशन उस तरह नहीं होता जैसा होना चाहिए, तब ऐसी सिचुएशन में पीरियड सायकल रेगुलर नहीं रहता। अगर किसी महिला को पीसीओएस है, तो उसकी ओवरी एंड्रोजन नामक हार्मोन के असामान्य रूप से उच्च स्तर का उत्पादन करते हैं। इससे रिप्रोडक्टिव हार्मोन डिसबैलेंस हो जाते हैं।
PCOS के लक्षण
- पीसीओएस में नजर आने वाले कुछ सामान्य लक्षणों के बारे में बात करें तो इसके मुख्य लक्षण हैं।
- पीरियड का रेगुलर न होना।
- एक्ने की समस्या
- मोटापा
- स्किन का ऑयली होना।
- शरीर पर जरुरत से ज्यादा बाल का उगना
- कंसीव करने में समस्या होना
- स्कैल्प से जुड़ी समस्या और बाल झड़ना
- कोलेस्ट्रॉल लेवल हाई रहना
- टाइप 2 डायबिटीज का खतरा और डिप्रेशन
पीसीओएस की समस्या को वैसे तो मैनेज करने के लिए कई दवाईयां उपलब्ध है लेकिन तरह-तरह की दवाइयों को लेने से पहले एक्सपर्ट द्वारा बताए गए इन घरेलू उपायों को जरूर करें।
संपूर्ण खाद्य पदार्थों का सेवन करें
पीसीओएस को कंट्रोल करने के लिए महिलाओं को अपनी डायट में फल, सब्जियां, साबुत अनाज, फलियां, दालें, मेवा और बीज जैसे संपूर्ण खाद्य पदार्थों को शामिल करें। ये इंसुलिन लेवल को बनाए रखने और पीसीओएस को मैनेज करने में काफी हेल्प करते हैं।
कम से कम कार्बोहाइड्रेट लें
रिफाइंड कार्ब्स जैसे कि शुगर, व्हाइट ब्रेड, व्हाइट राइस, इत्यादि ब्लड शुगर लेवल और इन्सुलिन लेवल को प्रभावित कर सकते हैं।ऐसे में कम से कम कार्बोहाइड्रेट लें और हाई प्रोटीन और फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करें।
डायट में विटामिन D शामिल करें
पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं में आमतौर पर विटामिन डी की कमी पाई जाती है ऐसे में पर्याप्त सन लाइट लेने और विटामिन डी से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करने से, आपकी फर्टिलिटी इंप्रूव होती है।
एंटी इन्फ्लेमेटरी फूड्स का सेवन करें
पीसीओएस एक इन्फ्लेमेटरी कंडीशन है। एंटी इन्फ्लेमेटरी खाद्य पदार्थों का सेवन पीसीओएस के लक्षण को नियंत्रित रखने में मदद करता है, ऐसे में अपनी डायट में टमाटर, पत्तेदार सब्जियां, मैकेरल और टूना जैसी वसायुक्त मछली, ट्री नट्स, और जैतून का तेल जैसे खाद्य पदार्थ शामिल करें।
फिजिकल एक्टिविटी जरूर करें
पीसीओएस को मैनेज करने के लिए हेल्दी खाने के साथ-साथ फिजिकली फिट रहना भी जरूरी है। एक्सपर्ट के मुताबिक हर हफ्ते कम से कम 150 मिनट व्यायाम करने से तनाव को नियंत्रित रखने और एक संतुलित वजन बनाए रखने में मदद मिलेगी।
ज्यादा स्ट्रेस न लें
कई बार पीसीओएस का कारण ज्यादा स्ट्रेस भी होता है। इसलिए, अपने स्ट्रेस लेवल को कम करने के लिए, एक उचित डाइट, नियमित रूप से व्यायाम, योग और ब्रिथिंग एक्सरसाइज जरूर करें।