Maratha Reservation: मराठा आरक्षण को लेकर फूटा गुस्सा, लोगों ने NCP विधायक का फूंका घर
महाराष्ट्र के बीड में आज 30 मराठा आरक्षण की मांग कर रहे लोगों ने NCP विधायक प्रकाश सोलंकी के घर में आग लगा दी।
Maratha Reservation: महाराष्ट्र के बीड में आज 30 अक्टूबर को मराठा आरक्षण की मांग कर रहे लोगों ने NCP विधायक प्रकाश सोलंकी के घर में आग लगा दी। हैरानी की बात यह है कि हादसे के वक्त NCP विधायक घर के अंदर ही मौजूद थे। इसके बाद गुस्साई भीड़ ने उनकी गाड़ियों और ऑफिस में भी तोड़-फोड़ की। बता दें कि महाराष्ट्र में कई दिनों से मराठा आरक्षण को लेकर आंदोलन चल रहा है। यही नही कई लोग इसको लेकर भूख हड़ताल पर भी बैठे हैं।
कौन हैं मराठा
मराठा जातियों का एक समूह है। जिसमें किसानों और ज़मींदारों के अलावा अन्य व्यक्ति शामिल हैं, जो महाराष्ट्र राज्य की आबादी का लगभग 33% है। वैसे तो अधिकांश मराठा, मराठी बोलने वाले हैं, लेकिन सभी मराठी बोलने वाले लोग मराठा समुदाय से नहीं है। ऐतिहासिक रूप से मराठाओं कि पहचान बड़ी भूमि को जोतने वाली 'योद्धा' जाति के रूप में की जाती थी। हालांकि पिछले कुछ वर्षों में भूमि बंटवारे, कृषि संकट, बेरोज़गारी और शैक्षिक अवसरों की कमी जैसी वजहों से कई मराठा लोगों को सामाजिक और आर्थिक पिछड़ेपन का सामना करना पड़ा है। यह समुदाय अभी भी ग्रामीण अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसलिये वे सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग (SEBC) की श्रेणी के तहत सरकारी नियुक्तियों तथा शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण की मांग कर रहे हैं।
क्या है मराठा आरक्षण
मराठा आरक्षण, महाराष्ट्र में एक अहम राजनीतिक मुद्दा है। महाराष्ट्र में मराठा समुदाय लंबे समय से सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण की मांग कर रहे हैं। बता दें कि करीब 32 साल पहले मराठा आरक्षण को लेकर पहली बार आंदोलन हुआ था।
मराठा आरक्षण की पूरी कहानी
वर्ष 2017 में सेवानिवृत्त न्यायाधीश एन जी गायकवाड़ की अध्यक्षता में बनी एक 11 सदस्यीय कमेटी ने सिफारिश की थी कि मराठों को सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्ग (SEBC) के तहत आरक्षण दिया जाना चाहिये।
साल 2018 में महाराष्ट्र विधानसभा ने मराठा समुदाय के लिये 16% आरक्षण का प्रस्ताव वाला विधेयक पारित किया। जिसके बाद बॉम्बे हाई कोर्ट ने आरक्षण को बरकरार रखते हुए कहा कि इसे 16% के बजाय शिक्षा में 12 प्रतिशत और नौकरियों में 13 प्रतिशत किया जाना चाहिये। साल 2020 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने इसपर रोक लगा दी और मामले को एक बड़ी पीठ के लिये भारत के मुख्य न्यायाधीश के पास भेज दिया था। साल 2021 में सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 1992 में निर्धारित कुल आरक्षण पर 50% की सीमा का हवाला देते हुए वर्ष 2021 में मराठा आरक्षण को रद्द कर दिया था। बता दें कि 12 प्रतिशत और 13 प्रतिशत के मराठा आरक्षण ने कुल आरक्षण सीमा को 65 प्रतिशत तक बढ़ा दिया था।
ऐसा इसलिए क्योंकि इंदिरा साहनी फैसले में 1992 में सुप्रीम कोर्ट ने साफ तौर पर कहा था कि आरक्षण की सीमा 50% होगी केवल कुछ असामान्य और असाधारण स्थितियों में दूर-दराज़ के क्षेत्रों की आबादी को मुख्यधारा में लाने के लिये आरक्षण में 50% की छूट दी जा सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महाराष्ट्र में राज्य सरकार द्वारा सीमा का उल्लंघन करने की कोई "असाधारण परिस्थिति" या "असाधारण स्थिति" नहीं थी। इसके अलावा न्यायालय ने फैसला सुनाया था कि राज्य के पास किसी समुदाय को सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग का दर्जा देने का अधिकार नहीं है। न्यायालय के अनुसार, केवल राष्ट्रपति ही सामाजिक और पिछड़े वर्गों की केंद्रीय सूची में बदलाव कर सकता है जबकि, राज्य केवल इस मामले पर सुझाव दे सकते हैं। बेंच ने सर्वसम्मति से 102 वें संविधान संशोधन की संवैधानिक वैधता को बनाए रखा, लेकिन इस सवाल पर मतभेद था कि क्या इससे SEBC की पहचान करने की राज्यों की शक्ति प्रभावित होगी। सर्वोच्च न्यायालय ने इस बात पर प्रकाश डाला कि मराठा समुदाय के लिये अलग आरक्षण अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 21 का उल्लंघन करता है। नवंबर 2022 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों के लिये 10% कोटा बनाए रखने के बाद राज्य सरकार ने कहा कि जब तक मराठा आरक्षण का मुद्दा हल नहीं हो जाता, तब तक समुदाय के आर्थिक रूप से कमज़ोर सदस्य EWS कोटा से लाभ उठा सकते हैं।
मांग रहे ओबीसी का दर्जा
मराठा आरक्षण को लेकर महाराष्ट्र में पिछले 1 सितंबर से आंदोलन चल रहा है। आंदोलनकारी मराठाओं के लिए अब ओबीसी का दर्जा मांग रहे हैं। बता दें कि मराठा आरक्षण की मांग को लेकर एक्टिविस्ट मनोज जरांगे दो हफ्ते से भूख हड़ताल पर बैठे हैं। आज खबर आई थी कि उनकी तबियत में भी गिरावट आई है।
आंदोलन को लेकर 11 दिन में 13 सुसाइड
मराठा आरक्षण की मांग को लेकर महाराष्ट्र में पिछले 11 दिन में 13 सुसाइड की घटनाएं सामने आई हैं।
सांसद ने दिया इस्तीफा
मराठा आरक्षण के समर्थन में हिंगोली जिले के शिवसेना शिंदे गुट के सांसद हेमंत पाटिल ने इस्तीफा दे दिया है। हालांकि यह इस्तीफा अभी लोकसभा अध्यक्ष तक नहीं पहुंचा है, लेकिन इस्तीफे का लेटर सोशल मीडिया पर जरूर वायरल हो रहा है।