Mahakumbh 2025 : अखाड़ा परिषद ने 13 महामंडलेश्वर और संतों को किया निष्कासित, धार्मिक कार्यों को छोड़ कर रहे थे धनार्जन

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ऐसे साधु-संतों को पहचान कर रहा है, जो धार्मिक कार्यों के बजाय धनार्जन और अन्य किसी भी तरह की अनैतिक गतिविधियों में लिप्त हैं। ऐसे में परिषद ने 13 महामंडलेश्वर और संतों को निष्कासित किया हैं।

Mahakumbh 2025 : अखाड़ा परिषद ने 13 महामंडलेश्वर और संतों को किया निष्कासित, धार्मिक कार्यों को छोड़ कर रहे थे धनार्जन

Mahakumbh 2025 : प्रयागरजा में संगम तट पर 2025 में महाकुंभ (Mahakumbh 2025) का आयोजन होने जा रहा है। जिसको लेकर प्रशासन (Prayagraj District Administration) जोरों से तैयारियों में लगा हुआ है। साथ ही साधु-संत भी महाकुंभ की तैयारियों में लग गए हैं। जिसको लेकरअखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (All India Akhara Parishad) ऐसे साधु-संतों को पहचान कर रहा है, जो धार्मिक कार्यों के बजाय धनार्जन और अन्य किसी भी तरह की अनैतिक गतिविधियों में लिप्त हैं। ऐसे में परिषद ने 13 महामंडलेश्वर और संतों को निष्कासित किया हैं।

13 महामंडलेश्वर और संत निष्कासित किए गए

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने गोपनीय जांच के बाद परिषद ने ऐसे 13 महामंडलेश्वर और संत निष्कासित कर दिए हैं। वहीं, 112 संतों को नोटिस थमाया गया है। अगर ये सही जवाब नहीं देते हैं, तो इन्हें भी निष्कासित कर दिया जाएगा। निष्कासित किए गए महामंडलेश्वर और संत अखाड़ों की आंतरिक जांच में खरे नहीं उतरे। निष्कासित हुए महामंडलेश्वर और संत महाकुंभ के लिए बैन हो गए हैं। इन्हें कुंभ में एंट्री नहीं मिलेगी।

30 सितंबर तक जवाब देना होगा

परिषद ने  करीब 112 के संतों को नोटिस देकर जवाब मांगा गया है। जिन्हें नोटिस मिली है, उन्हें 30 सितंबर तक जवाब देना होगा। जवाब सही नहीं पाए जाने पर उन पर निष्कासन की कार्रवाई की जाएगी। ऐसे संतों को महाकुंभ-2025 में प्रवेश नहीं मिलेगा। मौजूदा समय 13 अखाड़े हैं। उन्हें अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के माध्यम से संगठित किया गया है। दो-तीन वर्ष के अंतराल पर सभी अखाड़े अपने महामंडलेश्वर, मंडलेश्वर, महंत, श्रीमहंतों की कार्यप्रणाली की गोपनीय जांच करवाते हैं। जांच अखाड़े के पदाधिकारी करते हैं।

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद सभी अखाड़ों पर रखता है निगरानी

सभी अखाड़ों का संचालन अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव, उप सचिव, मंत्री, उप मंत्री, कोतवाल, थानापति आदि पदाधिकारियों के जरिए होता है। अखाड़े में 15 से 20 वर्ष तक समर्पित भाव से काम करने वालों को पदाधिकारी बनाए जाता हैं। इनका चयन चुनाव के जरिए होता है। इन्हीं लोगों में से पांच वरिष्ठ व विद्वान सदस्यों को पंच परमेश्वर की उपाधि दी जाती है। अखाड़े के आश्रम, मठ-मंदिर का संचालन यही करते हैं। महामंडलेश्वर किसे बनाना है किसे नहीं? उसका निर्णय भी यही लेते हैं।