Lucknow News: लखनऊ में सीवर की सफाई के दौरान दो मजदूरों की मौत, अधिकारियों की लापरवाही से गई जान
उत्तर प्रदेश की राजधानी और स्मार्ट सिटी लखनऊ में एक बार फिर सीवर लाइन की सफाई करने मेनहोल में उतरे दो मजदूरों की मौत हो गई। दोनों मजदूर बाप-बेटे थे। घटना बुधवार शाम लखनऊ में रेजीडेंसी के पास हुई। मामले में संज्ञान लेकर नगर विकास मंत्री एके शर्मा ने सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिये।
Lucknow News: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की राजधानी और स्मार्ट सिटी लखनऊ (Smart City Lucknow) में एक बार फिर सीवर लाइन की सफाई करने मेनहोल में उतरे दो मजदूरों की मौत हो गई। दोनों मजदूर बाप-बेटे थे। घटना बुधवार शाम लखनऊ में रेजीडेंसी (Lucknow Residency) के पास हुई। मामले में संज्ञान लेकर नगर विकास मंत्री एके शर्मा ने सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिये। उनके निर्देश पर जल निगम के प्रबंध निदेशक ने सहायक अभियंता मुनीश अली और अवर अभियंता गुडलक वर्मा को निष्कासित कर दिया है। साथ ही सफाई का काम करवाने वाली संस्था केके स्पन लिमिटेड को ब्लैक लिस्ट कर उसके खिलाफ मामला दर्ज कराया गया है।
दो घंटे तक सीवर लाइन में फंसे रहे सफाई कर्मचारी
जानकारी के मुताबिक, मजदूर बिना किसी सुरक्षा उपकरण के मेनहोल की सफाई करने उतरे थे। करीब दो घंटे तक सफाई कर्मचारी सीवर लाइन में ही फंसे रहे। वहां से गुजर रहे राहगीरों ने जब उनके चिल्लाने की आवाज सुनी तो, पुलिस को इसकी सूचना दी। सूचना मिलने पर वजीरगंज पुलिस, जलकल और नगर निगम की टीमें मौके पर पहुंच गई। फिर रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू हुआ, करीब एक घंटे के बाद दोनों को बेहोशी की हालत में बाहर निकाला जा सका। एक ने मौके पर ही दम तोड़ दिया था, जबकि दूसरे की अस्पताल में मौत हो गई। मृतक सोबरन यादव 56 वर्षीय और उनका बेटा सुशील यादव 28 वर्ष सीवर सफाई का काम करते थे। दोनों केके स्पन कंपनी के लिए काम कर रहे थे। वहीं घटनास्थल पर मौजूद लोगों ने इस घटना के लिए जिम्मेदारों पर लापरवाही का आरोप लगाया है। दोनों सफाई कर्मचारी बिना ऑक्सीजन मास्क से मैनहोल में सफाई करने उतरे थे।
मृतकों के परिजनों को मिलेगा 30 लाख का मुआवजा
नियम के मुताबिक, मृतक सफाई कर्मचारियों के परिजनों को 30 लाख रुपए का मुआवजा दिया जाएगा। मैनुअल स्क्वेजंर्स एंड रिहेब्लिएशन एक्ट के अंतर्गत शासनादेश के तहत सीवर एवं सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान कर्मियों की मौत हो जाने पर उनके परिजनों को 30 लाख रुपए मुआवजा दिए जाने का प्राविधान है। वहीं, पूर्ण रूप से अपंग होने पर 20 लाख रुपए और आंशिक रूप से अपंग होने पर 10 लाख रुपए का मुआवजा मिलेगा।
पिछले 5 साल में 7 कर्मचारियों की हुई मौत
जानकारी के मुताबिक, पिछले 5 साल में लखनऊ में ऐसी लापरवाही से 7 कर्मचारियों की जान जा चुकी है। उसके बाद भी जिम्मेदार मजदूरों की जान को खतरे में डाल रहे है। सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर 2023 में सीवर सफाई को लेकर नई गाइड लाइन दी थी। उसके मुताबिक, अगर किसी मजबूरी में सफाई कर्मचारी सीवर में उतरता है तो उस दौरान सभी मानक का पूरा ध्यान रखा जाएगा। इसके लिए ऑक्सीजन मास्क सबसे जरूरी है। इसके बावजूद जिम्मेदार अधिकारी भारी लापरवाही बरत रहे है।
मजदूरों को मैनहोल में उतारना गैर-कानूनी
वहीं, मैनुअल स्कैवेंजिंग एक्ट 2013 के अंतर्गत सीवर की सफाई के लिए किसी भी व्यक्ति को मैनहोल में नहीं उतारा जा सकता है। यह पूरी तरह गैर-कानूनी है। यदि मजबूरी में किसी व्यक्ति को सीवर में उतारना ही पड़ जाए तो, उसके लिए कई नियमों का पालन करना जरूरी है। जिसमें जो व्यक्ति सीवर की सफाई के लिए मैनहोल में उतर रहा है, उसे ऑक्सीजन सिलेंडर, स्पेशल सूट, मास्क समेत सुरक्षा उपकरण देना जरूरी है। इसके अलावा सफाई के दौरान कम से कम तीन कर्मचारी व एक पर्यवेक्षक को वहां पर मौजूद रहना चाहिए। मेनहोल के अंदर आक्सीजन की कमी और विषैली गैसों के लिए पहले ही परीक्षण करना चाहिए। एक फ्लैग मैनहोल के पास और एक फ्लैग स्थल से 50 फीट आगे लगाया जाना चाहिए, जो कि 500 फीट पहले से आने वाले यातायात को दिखाई दे।
फरीदाबाद की कंपनी केके स्पन को सौंपा गया ठेका
स्मार्ट सिटी लखनऊ में अमृत योजना (amrit yojana) के तहत डाली गई नई सीवर लाइन की सफाई का काम फरीदाबाद की कंपनी केके स्पन (Faridabad company KK Spun) को सौंपा गया है। यह कंपनी रिवर फ्रंट को लेकर पहले ही ब्लैक लिस्ट हो चुकी थी। हालांकि उसके बाद वह कोर्ट चली गई और सुप्रीम कोर्ट से उसको राहत मिल गई। कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट से स्टे लेकर फिर से यहां काम शुरू कर दिया। हालांकि, इस कंपनी के खिलाफ कई बार जुर्माना और बाकी तरह की कार्रवाई की जा चुकी है।