Annakoot Festival 2023: रामनगरी अयोध्या में अन्नकूट उत्सव की धूम, भगवान को लगाया 56 व्यंजनों का भोग

भगवान श्रीराम के 14 साल बाद वनवास से लौटने पर अयोध्या में भव्य रूप से दीपावली मनाई गई। दीपावली धूमधाम से मनाने के बाद इसके दूसरे दिन प्रभु राम का स्वागत विविध व्यंजनों से किया गया।

Annakoot Festival 2023: रामनगरी अयोध्या में अन्नकूट उत्सव की धूम, भगवान को लगाया 56 व्यंजनों का भोग

Annakoot Festival 2023: भगवान श्रीराम के 14 साल बाद वनवास से लौटने पर अयोध्या में भव्य रूप से दीपावली मनाई गई। दीपावली धूमधाम से मनाने के बाद इसके दूसरे दिन प्रभु राम का स्वागत विविध व्यंजनों से किया गया। इस दौरान रामनगरी अयोध्या विभिन्न प्रकार के पकवानों की सुगंध से महक उठा। दोपहर 12 बजे के बाद अयोध्या की मंदिरों में इन व्यंजनों से भगवान श्रीराम, जानकी और लक्ष्मण आदि का भव्य स्वागत किया गया।

अयोध्या के इन मंदिरों में उत्सव का माहौल

अयोध्या में स्थित श्रीरामजन्मभूमि, कनक भवन हनुमानगढ़ी, श्रीरामवल्लभा कुञ्ज, मणिराम छावनी, दशरथ महल, विजय राघव मंदिर, नई छावनी, राजगोपाल मंदिर,छोटी देवकाली, हनुमत निवास, राजसदन में अन्नकूट का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस अवसर पर कोशलेश सदन में जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी वासुदेवाचार्य ने 56 प्रकार के व्यंजनों से भोग लगाया।

कनक भवन उत्सव आकर्षण का केंद्र

बता दें कि सारी मंदिरों में कनक भवन उत्सव आकर्षण का केंद्र रहता हैl श्रीरामवल्लभा कुञ्ज में यह उत्सव अयोध्या एडवर्ड तीर्थ विवेचिनी सभा के अध्यक्ष व श्रीरामवल्लभाकुंज के प्रमुख स्वामी राजकुमार दास की देखरेख में महा उत्सव भव्य रूप से मनाया गया। आचार्य पीठ लक्ष्मण किला, सियाराम किला, रामलला सदन, मणिराम दास जी की छावनी, जानकी महल अशर्फी भवन, रंग महल, वेद भवन, बानव मंदिर, बधाई भवन,  गहोई मन्दिर आदि मंदिरों में उत्सव की धूम रही।

हनुमानगढ़ी में मनाया जा रहा उत्सव 

पौराणिक पीठ श्री हनुमानगढ़ी मंदिर नाका अयोध्या में हो रहा हैl अन्नकूट के पावन पर्व पर विराजमान संकट मोचन श्री हनुमान जी महाराज को छप्पन भोग लगाया गया। पीठ के महंत रामदास के संयोजन में भोग प्रसाद तैयार किया गया। पूड़ी कचौड़ी, मालपुआ, चूरमा, महा प्रसाद, कढ़ी, दाल, खीर, सूरन का चोखा, आंवला, सोया मेथी पालक, सीताफल अगस्त के फूल दही, बड़ा पंच मेवा, ऋतु फल आदि छप्पन प्रकार के व्यंजन तैयार किए गए। जानकारी के मुताबिक, भगवान को भोग लगाने के बाद जेवनार गीत प्रस्तुत किए गए। गायन के बीच छप्पन भोग की आरती महंत रामदास ने की।

क्यों मनाया जाता है (Annakoot Festival) अन्नकूट उत्सव?

बता दें कि प्राचीन परंपरा के अनुसार, जब भगवान राम लंका पर विजय प्राप्त कर 14 साल का वनवास काटने के बाद अयोध्या पहुंचे थे, उसके बाद अयोध्या वासियों ने दीपक जलाकर दीपावली मनायी थी। वनवास में प्रभु राम को भोजन और व्यंजन नहीं मिला, यह सोचकर नगर वासियों ने पकवान विभिन्न व्यंजन बनाकर भगवान को समर्पित किया था। इसलिए 56 व्यंजन भगवान को समर्पित किया जाता है। तब से दिवाली के दूसरे दिन अन्नकूट उत्सव मनाया जाता है।