Javagal Srinath: भारत का वो तेज गेंदबाज जो करना चाहता था नौकरी,लेकिन किस्मत ने बनाया इंडिया का पहला स्पीडस्टार
भारत के क्रिकेट इतिहास में यूं तो कई ऐसे क्रिकेटर हुए हैं जिन्होंने इस खेल की दुनिया में अपनी अमिट छाप छोड़ी है। कोई अपनी बेजोड़ गेंदबाजी की वजह से तो किसी ने अपनी बल्लेबाजी तकनीक का डंका पूरी दुनिया में बजाया। इस खिलाड़ी का नाम था जवागल श्रीनाथ।
Javagal Srinath: भारत के क्रिकेट इतिहास में यूं तो कई ऐसे क्रिकेटर हुए हैं जिन्होंने इस खेल की दुनिया में अपनी अमिट छाप छोड़ी है। कोई अपनी बेजोड़ गेंदबाजी की वजह से तो किसी ने अपनी बल्लेबाजी तकनीक का डंका पूरी दुनिया में बजाया। इस देश में एक ऐसा भी क्रिकेटर हुआ है या यू कहें की एक ऐसा भी रफ्तार का सौदागर हुआ है जो इंजीनियरिंग करने के बाद अमेरिका में नौकरी करने के सपने देखता था। इस जेंटलमैंन खिलाड़ी ने सपने में भी नहीं सोचा था कि उसका कैरियर क्रिकेट में बनेगा, वो तो क्रिकेट जैसा की पूरा देश खेलता है उसी तरह अपने शौक के लिए खेल रहा था। लेकिन उसे क्या पता था ये क्रिकेट ही उसका मुकाम बन जायेगा। इस खिलाड़ी का नाम था जवागल श्रीनाथ। श्रीनाथ की काबिलियत का अंदाजा आप आइसिस से लगा सकते है कि 2002 में क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद उन्हें तत्कालीन कप्तान सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) ने 2003 का विश्व कप खेलने के लिए बुलाया। श्रीनाथ ने गांगुली की बात मानी और भारतीय टीम में शामिल हुए। श्रीनाथ ने अपने इस अंतिम विश्व कप में भारत के लिए सबसे ज्यादा 16 विकेट झटके।
जब यॉर्कर से तोड़ दिया वेंगसरकर का अंगूठा
साल था 1990 में इस समय भारतीय टीम इंग्लैंड के दौरे पर जाने के लिए अपनी तैयारियों को अंतिम रूप देने में जुटी हुई थी। इसी दौरान एक युवा नेट बॉलर को इंडियन बैट्समैन को प्रैक्टिस करवाने के लिए कहा गया और वो युवा थे जवागल श्रीनाथ। पूर्व भारतीय तेज गेंदबाज सुब्रतो बनर्जी (Former Indian fast bowler Subroto Banerjee) ने इस घटना को याद करते हुए कहा था कि "दिलीप वेंगसरकर बैटिंग कर रहे थे। बिशन सिंह बेदी ने श्रीनाथ को बॉल फेंकने के लिए कहा। मैंने भारत में पहली बार इतनी तेज गेंद फेंकते हुए किसी को देखा। श्रीनाथ ने बाउंसर बॉल फेंकी और वो वेंगसरकर के बल्ले पर लगी और उनका बैट हाथ से छूट गया। इस बॉल की गति और उछल देख कर दिलीप वेंगसरकर चौंक गए थे, क्योंकि वो अभी अभी नेट प्रैक्टिस पर पहुंचे ही थे और उनकी आंखे पूरी तरह से जमी नही थी।लेकिन उन्हे अचानक इस तरह की खरतनाक बॉल का सामना करना पड़ा।
सुब्रतो बनर्जी के मुताबिक, दिलीप वेंगसरकर इस के लिए ठीक से तैयार नहीं थे। इस पर वेंगसरकर ने श्रीनाथ से आग्रह करते हुए कहा, 'भाई बाउंसर मत डाल, बाउंसर के अलावा कुछ भी चलेगा।' श्रीनाथ ने वेंगसरकर की बात मानी और इसके बाद सीधी यॉर्कर डाली, बॉल उनके पैर की उंगली पर गिरी और उनको चोट लग गई। वेंगसरकर स्तब्ध, बिशन सिंह बेदी भी चौंक गए। इतनी सटीक यॉर्कर की उम्मीद किसी को भी एक युवा से नही थी वह भी तेज गति के साथ। दरअसल श्रीनाथ असल मायने में भारतीय टीम के पहले स्पीड स्टार थे , उन्हे भारतीय क्रिकेट जगत में मैसूर एक्सप्रेस के नाम से पुकारा जाने लगा। श्रीनाथ ने 1997 में जिम्बाब्वे के खिलाफ बोलिंग करते हुए 157 की।स्पीड से बॉल फेकी जो किसी भी भारतीय द्वारा फेकी गई। सबसे तेज बॉल का रिकॉर्ड है।
बिना स्लेजिंग और एग्रेसिव बॉडी लैंग्वेज वाला तेज गेंदबाज
1999 का वो साल था जब श्रीनाथ ने अपनी तेज गति से सबको हैरान कर दिया। वर्ल्ड कप टूर्नामेंट में श्रीनाथ स्पीड के मामले में केवल पाकिस्तान के शोएब अख्तर से पीछे और साउथ अफ्रिका के एलन डोनाल्ड और ऑस्ट्रेलिया के ग्लेन मैकग्रा से आगे थे। इस वर्ल्ड कप में शानदार प्रदर्शन करते हुए जवागल श्रीनाथ ने भारत की तरफ से सबसे ज्यादा विकेट झटके। अंतरराष्ट्रीय करियर की बात करे तो श्रीनाथ ने 67 टेस्ट मैचों में 236 विकेट लिए तो वहीं 229 वनडे मैच में 315 विकेट उनके नाम हैं। फर्स्ट क्लास क्रिकेट में 147 मैचों में 533 विकेट उनके इस शानदार सफर की कहानी बयां करने के लिए काफी है। वर्तमान में श्रीनाथ मैच रेफरी के रूप में क्रिकेट से जुड़े है। श्रीनाथ की एक और खासियत थी कि वो किसी अन्य गेंदबाज की तरह एग्रेसिव बॉडी लैंग्वेज नही दिखाते थे और नाही कभी उनको स्लेजिंग करते हुए देखा गया। शायद यही वजह है की जेंटलमैन का खेल कहे जाने वाले इस खेल के सही मायनों में भारत के सबसे शानदार जेंटलमैन क्रिकेटर कहा गया।