Giriraj Singh: यूपी में हलाल सर्टिफिकेशन पर कार्रवाई, गिरिराज सिंह ने सीएम योगी को किया धन्यवाद

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने हलाल सर्टिफिकेशन से जुड़े उत्पादों की बिक्री के खिलाफ यूपी में की जा रही कार्रवाई का स्वागत किया है। गिरिराज ने योगी सरकार का धन्यवाद करते हुए कहा कि सनातन धर्म में हलाल का कोई स्थान नहीं है।

Giriraj Singh: यूपी में हलाल सर्टिफिकेशन पर कार्रवाई, गिरिराज सिंह ने सीएम योगी को किया धन्यवाद

Giriraj Singh: केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने हलाल सर्टिफिकेशन से जुड़े उत्पादों की बिक्री के खिलाफ यूपी में की जा रही कार्रवाई का स्वागत किया है। गिरिराज ने योगी सरकार का धन्यवाद करते हुए कहा कि सनातन धर्म में हलाल का कोई स्थान नहीं है। 

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर कहा कि, योगी को धन्यवाद देता हूं कि वह हलाल सर्टिफिकेशन से जुड़े उत्पादों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी कर रहे हैं। सनातनियों से अनुरोध है, हलाल उत्पादों का उपयोग न करें। संभव है कि हलाल उत्पाद सर्टिफ़िकेशन के उगाही का उपयोग समाज, सनातन और देश को कमजोर करने के लिए किया जा रहा हो। 

गिरिराज सिंह ने अपने दूसरे पोस्ट में लिखा, सनातन धर्म में हलाल मांस, चिकन, कपड़े और साबुन जैसी रोजमर्रा की वस्तुओं के लिए कोई जगह नहीं है। यह धीरे-धीरे इस्लाम को स्थापित करने की साजिश है। सनातन धर्म में हलाल का कोई स्थान नहीं है। इसे रोकने के लिए जांच के लिए योगी सरकार को बहुत-बहुत धन्यवाद। 

कंपनियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज

बता दें कि यूपी में हलाल प्रोडक्ट से जुड़ा मामला पिछले कुछ दिनों से चर्चा में है। जानकारी के मुताबिक सीएम योगी ने इस मामले में संज्ञान लिया है और इसपर एक्शन की तैयारी कर रही है। यूपी सरकार हलाल सर्टिफिकेशन मामले में कड़े नियम बनाने की तैयारी में है और यह अवैध धंधे को लेकर लिया जा रहा फैसला माना जा रहा है। जानकारी के मुताबिक, प्रदेश में हलाल सर्टिफिकेट देने वाली कंपनियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।

एक अरबी शब्द है हलाल

आपको बता दें कि हलाल एक अरबी शब्द है जिसका हिंदी में अर्थ है अनुमति योग्य। हलाल सर्टिफाइड का मतलब है कि ये प्रोडक्ट्स इस्लामी कानून के मुताबिक इस्तेमाल के योग्य है। हलाल सर्टिफाइड प्रोडक्ट्स से मुस्लिम उपभोक्ताओं को यह विश्वास हो जाता है कि वे जिन उत्पादों का उपयोग करते हैं वे उनकी संस्कृति और मान्यताओं के अनुसार हैं।