Gestational Diabetes : क्या है जस्टेशनल डायबिटीज, जानें इसकी वजह और लक्षण

प्रेगनेंसी के दौरान बढ़ने वाले शुगर लेवल को जेस्टेशनल डायबिटीज कहा जाता है। जिन प्रगेनेंट महिलाओं की उम्र 27 साल से ज्यातदा होती है उनमें जेस्टेिशनल डायबिटीज होने की आशंका होती है।

Gestational Diabetes : क्या है जस्टेशनल डायबिटीज, जानें इसकी वजह और लक्षण

Gestational Diabetes : महिलाओं के लिए प्रेंगनेंसी लाइफ की वो स्टेज होती है जहां वो मां बनने के एहसास को हर पल महसूस करती हैं। एक तरफ जहां उन्हें मां बनने की खुशी होती है तो वहीं दूसरी ओर उन्हें कई तरह की चुनौतियों से भी गुजरना पड़ता है। और उन्हीं में से एक है...प्रेगनेंसी के दौरान डायबटीज होना...जिसकी वजह से डिलिवरी के दौरान खतरा बढ़ जाता है। प्रेगनेंसी के दौरान बढ़ने वाले शुगर लेवल को जेस्टेशनल डायबिटीज कहा जाता है। जिन प्रगेनेंट महिलाओं की उम्र 27 साल से ज्यातदा होती है उनमें जेस्टेिशनल डायबिटीज होने की आशंका होती है। यह परेशानी मां से गर्भ में पल रहे बच्चे तक में ट्रांसफर हो सकती है। और फिर मां-बच्चे, दोनों के लिए समस्या का कारण बन जाती है। लेकिन अगर समय रहते इस बीमारी का पता चल जाता है तो इसका इलाज मुमकिन है। 

जस्टेशनल डायबिटीज की वजह-

ये एक तरह का डायबिटीज होता है। प्रग्नेंसी में डायबिटीज यानी कि शुगर की बीमारी तब होती है जब प्रेगनेंसी के दौरान शरीर शुगर पचाने के लिए जरूरी इंसुलिन नहीं बना पाता है। होता ये है कि प्रेगनेंसी के दौरान, शरीर विशेष हार्मोन बनाता है और कई परिवर्तनों से गुजरता है, जैसे कि वजन बढ़ना। इन परिवर्तनों के कारण, आपके शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन का अच्छी तरह से इस्तेमाल नहीं करती हैं और कई बार इंसुलिन रेजिस्टेंस हो जाती हैं। इस पूरी स्थिति को जेस्टेंशनल डायबिटीज कहते हैं।

जेस्टेैशनल डायबिटीज के लक्षण- 

प्रेगनेंसी के दौरान जब महिलाएं जेस्टेशनल डायबिटीज से गुजरती हैं तो इसके कई तरह के सिमटम्स देखने को मिलते हैं..जैसे-  
कंपकंपी महसूस होना
बार-बार प्याखस लगना
धुंधला नजर आना
त्वधचा में इन्फेक्शन
जल्दी-जल्दीे पेशाब आना
थकान महसूस होना

जेस्टेशनल डायबिटीज कब होती है?

जेस्टेशशनल डायबि‍टीज की समस्याै ज्या दातर प्रेगनेंसी के आखिरी महिनों में देखने को मिलती है। कुछ केसेज में ये बीमारी शुरुआती स्टे ज में भी होती है। प्रेंगनेंटमहिला में जस्टेशनल डायबिटीज की समस्या तब आती है जब शरीर में इंसुलिन नाम का हार्मोन पर्याप्तर मात्रा में नहीं बन रहा हो, परिवार में पहले से किसी को डायबिटीज हो, प्रेगनेंसी में एक्सरसाइज न करने, अनहेल्दी  और ज्यादा मीठा खाने से भी जेस्टे शनल डायबिटीज हो सकता है। 

जेस्टे शनल डायबिटीज के नुकसान-

जेस्टे शनल डायबिटीज होने पर गर्भवती महिला और उसके होने वाले बच्चे पर इसका बुरा असर पड़ सकता है...जैसे 
प्रेंगनेंट महिला को हाई बीपी की समस्या. हो सकती है।
सिजेरियन डिलिवरी का खतरा बढ़ जाता है। 
नवजात शिशु को सांस लेने में समस्याभ हो सकती है।
बच्चे में कैल्िबिटयम की कमी, लो बीपी की समस्याल हो सकती है।    

जेस्टेयशनल डायबिटीज से कैसे बचें

प्रेगनेंसी के दौरान मीठी चीजें न खाएं।
फाइबर युक्तक ताजे फल और सब्जियां खाएं।
प्रेगनेंसी के दौरान समय-समय पर शुगर की जांच कराएं। 
24 से 28वें हफ्ते में शूगर टेस्टकराएं।
रोजाना 30मिनटएक्सरसाइज करें। 
प्रेगनेंसी के दौरान आप साइकिलिंग, वॉक, स्ट्रे चिंग भी कर सकती हैं।  

क्या खाएं, क्या न खाएं

प्रेगनेंसी के दौरान जेस्टे शनल डायबिटीज जैसी बीमारियों से बचने के लिएनट्स का सेवन करें।मिल्क, साबुत अनाज, फलियां, विटामिन सी युक्तन आहार लें।सफेद चावल, हाई सैचुरेटेड फैट, चीज़, कैंडी, सोडा और तली हुई चीजें न खाए
तो अगर आप भी प्रेगनेंसी के दौरान जेस्टेरशनल डायबिटीज का सामना कर रही हैं तो आपको विशेष तौर पर सावधानी बरतने की जरुरत है। ओरल ग्लूहकोज टेस्ट , ग्लूकोज चैलेंज टेस्ट  करवाती रहें। अगर शुगर लेवल 200 या उससे ज्याोदा होता है, तो टाइप 2डायबिटीज की समस्याज हो सकती है। जेस्टे्शनल डायबिटीज होने पर डॉक्टैर शुगर लेवल कंट्रोल करने की सलाह देते हैं।