Death of Tigers: पिछले 9 महीने में 146 बाघों की मौत, एनटीसीए के आंकड़ों से हुआ खुलासा

भारत में इस साल जनवरी से 28 सितंबर तक 146 बाघों की मौत दर्ज की गई, जो 2012 के बाद से सबसे अधिक आंकड़ा है। ये जानकारी राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) के आंकड़ों से मिली है।

Death of Tigers: पिछले 9 महीने में 146 बाघों की मौत, एनटीसीए के आंकड़ों से हुआ खुलासा

Death of Tigers: भारत में इस साल जनवरी से 28 सितंबर तक 146 बाघों की मौत दर्ज की गई, जो 2012 के बाद से सबसे अधिक आंकड़ा है। ये जानकारी राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (National Tiger Conservation Authority) के आंकड़ों से मिली है। यह आंकड़ा बाघों की आबादी की रक्षा के लिए भारत के प्रयासों में एक चिंताजनक प्रवृत्ति है, क्योंकि एक अन्य स्रोत से मिली जानकारी के मुताबिक, इस साल अब तक 14 मामले दर्ज किए गए हैं और बाघों के शरीर के अंगों की जब्ती में भी बढ़ोतरी हुई है। ये बढ़ोतरी 2017 के बाद से सबसे अधिक है।

इस वर्ष बाघों की मौत की सबसे अधिक संख्या मध्य प्रदेश (34) में दर्ज की गई है, इसके बाद महाराष्ट्र (32) का स्थान है। 146 बाघों की मौत में से 24 शावकों की मौत थी। इसका सीधा प्रभाव बाघों की आबादी की प्रजनन क्षमता पर पड़ सकता है। उत्तराखंड से लगभग 17, असम से 11, कर्नाटक से नौ और राजस्थान से पांच बाघों की मौत की सूचना मिली है। इसके अलावा, इस अवधि के दौरान देश के विभिन्न बाघ अभयारण्यों के अंदर 70 लोगों की मौत की भी सूचना मिली है।

पिछले आंकड़ों के मुताबिक, भारत ने 2022 में 121 बाघों की मृत्यु की सूचना दी। 2021 में 127 बाघों की मौत हुई। 2020 में 106 बाघों की मौत हुई।  2019 में 96 बाघों की मौत हुई। 2018 में 101 बाघों की मौत हुई। 2017 में 117 बाघों की मौत हुई।  2016 में 121 बाघों की मौत हुई। 2015 में 82 बाघों की मौत हुई।  2014 में 78 बाघों की मौत हुई। वहीं 2013 में 68 और 2012 में 88 बाघों की मौत हुई। NTCA के मुताबिक, बाघों की मृत्यु का कारण प्राकृतिक या अप्राकृतिक हो सकता है। अप्राकृतिक कारणों में दुर्घटनाओं के कारण होने वाली मौतें, संघर्षों में बाघों का सफाया शामिल हो सकता है। अवैध शिकार कारणों की एक अलग श्रेणी है।

शिकार के मामलों में हुई बढोतरी

जोसेफ हूवर पूर्व सदस्य राज्य वन्यजीव बोर्ड कर्नाटक और ट्रस्टी यूनाइटेड कंजर्वेशन मूवमेंट ने बताया कि हमने इस साल सामान्य तौर पर शिकार के मामलों में बढोतरी देखी है। पुलिस द्वारा बाघ की खाल और पंजे पकड़े जाने की कई रिपोर्ट्स हैं। यहाँ तक कि जहर भी दिया जा सकता है।

बाघ की खाल की तस्करी में तीन गिरफ्तार

एमएचबी पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ निरीक्षक सुधीर कुडालकर ने बताया कि बोरीवली में हाल ही में किए गए एक ऑपरेशन में बाघ की खाल की अवैध तस्करी के आरोप में तीन व्यक्तियों को पकड़ा गया था। पिछले हफ्ते हमने कर्नाटक से एक और आरोपी को गिरफ्तार किया। आशंकाओं के साथ हमने बाघ की खाल और बाघ के पंजे जब्त किए। जिनकी अनुमानित कीमत 10.6 लाख रुपये है।

अर्थ ब्रिगेड फाउंडेशन की निदेशक सरिता सुब्रमण्यम ने कहा कि, अगर अफ्रीकी चीता की शुरूआत के लिए निर्धारित धनराशि को वन विभाग की क्षमता को मजबूत करने के लिए पुनर्निर्देशित किया गया होता, तो संभवतः ऐसी मृत्यु दर में बढोतरी को रोका जा सकता था।