Cat Temple in Karnataka: भारत के इस जगह पर होती है बिल्लियों की पूजा, मानते है कुल देवी !

भारत देश में कई तरह की मान्याएं मानी जाती है जैसे घर से निकलते समय पीछे से टोकना नही चाहिए। ऐसी ही एक मान्यता है कि अगर रास्ते में जाते हुए बिल्ली रास्ता काट दे तो वो अशुभ होता है। लेकिन क्या आपको पता है कि इन सब मान्यताओं के चलते भारत में एक ऐसा मंदिर है जहां बिल्लियों की पूजा की जाती है। जी हां, भारत में एक ऐसा अनोखा मंदिर है जहां 1000 सालों से बिल्लियों की पूजा की जाती है। तो चलिए बताते है आपको भी

Cat Temple in Karnataka: भारत के इस जगह पर होती है बिल्लियों की पूजा, मानते है कुल देवी !

Cat Temple in Karnataka : भारत देश में कई तरह की मान्याएं मानी जाती है जैसे घर से निकलते समय पीछे से टोकना नही चाहिए, या निकलते समय छींकना नही चाहिए। ऐसी ही एक मान्यता है कि अगर रास्ते में जाते हुए बिल्ली रास्ता काट दे तो वो अशुभ होता है। इतना ही नही कुछ लोगों का तो मानना है कि अगर बिल्ली आवाज निकाल रही है तो वो भी अशुभ होता है। कुछ लोग इस तरह की बातों पर विश्वास करते हैऔर कुछ लोग नही। लेकिन क्या आपको पता है कि इन सब मान्यताओं के चलते भारत में एक ऐसा मंदिर है जहां बिल्लियों की पूजा की जाती है। जी हां, भारत में एक ऐसा अनोखा मंदिर है जहां 1000 सालों से बिल्लियों की पूजा की जाती (Cats have been worshiped for 1000 years) है। तो चलिए बताते है आपको भी...

कहां स्थित है यह अनोखा मंदिर 

बिल्लियों की पूजा होने वाला ये अनोखा मंदिर कर्नाटक के मांड्या ज़िले के बेक्कालेले गांव (Bekkalele village in Mandya district of Karnataka) में स्थित है। जितना इस गांव का नाम अनोखा है वैसा ही यहां का मंदिर अनोखा है।इस गांव का नाम कन्नड़ शब्द ‘बेक्कू’ से लिया गया है, जिसका अर्थ ‘बिल्ली’ होता है। यहां को लोग बिल्ली को देवी का अवतार मानते हैं और उसकी विधि-विधान से पूजा करते हैं। दरअसल इस गांव के लोग बिल्ली को ‘देवी मंगम्मा’ ('Devi Mangamma)  का रूप मानते हैं, जिसे वो कुलदेवी भी कहते हैं। 

क्यों है ऐसी मान्यता?

पौराणिक शास्त्रों के मुताबिक़, सैकड़ों साल पहले ये गांव बुरी शक्तियों से परेशान था। इस दौरान ‘देवी मंगम्मा’ ने ‘बिल्ली’ का रूप धारण गांव में प्रवेश किया और गांव वालों को उन बुरी शक्तियों से बचाया था। लोगों का मानना है कि ‘देवी मंगम्मा’ बिल्ली के रूप में अपनी शक्तियां दिखाकर गायब हो गई थीं और उस जगह पर एक निशान छोड़ गईं थी। जिसके बाद में उस स्थान पर एक ‘मंदिर’ का निर्माण किया गया और तभी से यहां के लोग उस मंदिर में ‘बिल्ली’ की पूजा करते हैं। यहां के स्थानीय लोग आज भी उसे भगवान की तरह पूजते हैं। इतना ही नही अगर कोई व्यकित यहां बिल्लियों को नुकसान पहुंचाता है तो गांव वाले उसे गांव से बाहर कर देते है। साथ ही जब इस गांव में किसी भी बिल्ली की मौत होती है तो उसे पूरे रिति-रिवाज से दफनाया जाता है और शोक व्यक्त किया जाता है। 

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