Rare Sleep Disorder: 8-10 घंटे से ज्यादा ले रहे हैं नींद तो हो जाये सावधान, हो सकती है ये गंभीर बीमारी!
क्या आपको लगता है कि हर वक्त नींद का मारा यह शख्स आलसी है। सच तो ये है कि यह आलस नहीं, बल्कि एक रेयर स्लीप डिसऑर्डर है। ये एक गंभीर हेल्थ कंडीशन है। आज मतलब की खबर में इस रेयर स्लीप डिसऑर्डर इडियोपैथिक हाइपरसोम्निया के बारे में बात करेंगे।
Rare Sleep Disorder:क्या आपके या आपके किसी दोस्त के साथ ऐसा होता है कि जब देखो तब, नींद ही आती रहती है। रात भर नींद पूरी करने के बाद भी दिन में सोने का मन करता है। यानी आप कितने भी घंटे सो लें, लेकिन नींद पूरी होने का नाम नहीं लेती।
क्या आपको लगता है कि हर वक्त नींद का मारा यह शख्स आलसी है। सच तो ये है कि यह आलस नहीं, बल्कि एक रेयर स्लीप डिसऑर्डर है। ये एक गंभीर हेल्थ कंडीशन है।
आज मतलब की खबर में इस रेयर स्लीप डिसऑर्डर इडियोपैथिक हाइपरसोम्निया के बारे में बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि-
इडियोपैथिक हाइपरसोम्निया किसे और क्यों होता है?
इस डिसऑर्डर के लक्षण क्या हो सकते हैं?
साथ ही इडियोपैथिक हाइपरसोम्निया कैसे ठीक हो सकता है?
क्या है रेयर स्लीप डिसऑर्डर?
तो सबसे पहले जान लेते हैं होता क्या है ये- दरअसल, ये एक रेयर स्लीप डिसऑर्डर है। इसमें हर समय थकान महसूस होती रहती है और पूरी रात सोकर उठने के बाद भी सोने का मन करता है। हाइपरसोम्निया से जूझ रहे व्यक्ति को इतनी तेज बेहोशी के साथ नींद आती है कि उसे ठीक उसी समय कुछ मिनट से लेकर कुछ घंटे तक की नींद लेनी पड़ सकती है। ज्यादातर लोग सोचते हैं ऐसा इसलीए होता है क्योंकि ये किसी तरह की मेंटल स्टेट हो सकती है या कोई बीमारी। असल में इस नींद के पीछे कारण नींद का पूरा न होना या कोई मेंटल हेल्थ कंडीशन नहीं होती है। आमतौर पर ये समस्या टीनएज के आखिरी सालों में या वयस्क लोगों को शुरुआती सालों में होती है।
चूंकि लोग ज्यादा सोने को हेल्थ कंडीशन की तरह न देखकर आलस से जोड़कर देखते हैं, इसलिए इसे पहचानने में कई हफ्ते या महीने भी बीत जाते हैं। और ये डिसऑर्डर इतना रेअर है कि 10 लाख में से सिर्फ 20 से 50 लोगों को ही होता है।
मुख्य लक्षण क्या है
अब जान लेते हैं इस डिसऑर्डर के मुख्य लक्षण क्या हैं- इसका सबसे आम लक्षण दिन में ज्यादा नींद आना है। यह नींद इतनी जोर से आती है कि किसी व्यक्ति के लिए बिना सोए रह पाना लगभग असंभव हो जाता है। अगर शख्स नैप लेता है तो यह कुछ मिनटों की बजाय घंटों की हो जाती है। ज्यादातर पेशेंट्स को शिकायत रहती है कि नैप लेने के बाद भी उन्हें ताजगी नहीं महसूस हो रही और लगातार एक थकान और आलसपन बना हुआ है। इस स्लीप डिसऑर्डर का सामना कर रहे लोग 24 घंटे में 12 से 14 घंटे सोते ही रहते हैं। स्लीप फाउंडेशन के मुताबिक इडियोपैथिक हाइपरसोम्निया से जूझ रहे 35 से 70 फीसदी लोग स्लीप इनर्शिया का अनुभव करते हैं। स्लीप इनर्शिया में सोकर उठने के बाद भी घबराहट और भ्रम महसूस होता रहता है। कुछ एक आम लक्षण हैं जैसे तेज ठंड या गर्मी का एहसास होना, स्लीपिंग पैरेलिसिस के लक्षण, मेमोरी लॉस होना।
अब जान लेते हैं कि ये ठीक कैसे हो सकता है-
स्किल्स का सहारा लें इडियोपैथिक हाइपरसोम्निया से पीड़ित लोगों को अपने काम करने के लिए खास स्किल्स सिखाई जाती हैं, जिससे उनकी प्रोडक्टिविटी बढ़ सके।
इसके अलावा आप डॉक्टर से फॉलो अप ले सकते हैं- एक्सपर्ट्स कहते हैं कि इडियोपैथिक हाइपरसोम्निया से जूझ रहे लोगों को हर 6 से 12 महीने में अपने डॉक्टर के साथ फॉलो-अप करते रहना चाहिए। अगर इस दौरान दवाओं और थेरेपी से स्लीप डिसऑर्डर की कंडीशन बदली है तो उसके मुताबिक दवा में बदलाव किए जा सकते हैं।