Ayodhya News: 22 जनवरी को अयोध्या में हैं रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा, लेकिन रामनगरी में कालेराम पहले से विराजमान’
प्राण-प्रतिष्ठान से पहले रामलला के पूर्ण स्वरूप की तस्वीर सामने आने पर पुजारियों ने नाराजगी जाहिर की है। राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने इस पर कड़ी नाराजगी जताई। उन्होंने ने कहा कि प्राण प्रतिष्ठा पूरी होने से पहले भगवान राम की मूर्ति की आंखें दिखाई नहीं जा सकतीं।
Ayodhya News: 22 जनवरी को अयोध्या में बने भव्य राम मंदिर (Ram MandirRam Mandir) में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा होगी। रामनगरी में हो रहे इस कार्यक्रम को समारोह बनाने के लिए तैयारियां अपने आखिरी चरण में हैं। 16 जनवरी से रामलला के प्राण-प्रतिष्ठा का अनुष्ठान आरंभ हो चुका है। अनुष्ठान के तीसरे दिन यानि 18 जनवरी को रामलला की मूर्ती (statue of ramlala) की पहली झलक सामने आई। तस्वीर में रामलला की मूर्ती का चेहरा ढका हुआ था। यानि भगवान की आंखों पर पट्टी बांधी गई है। मूर्ती का चेहरा विधान के अनुसार ढका गया था और 22 जनवरी को रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के दिन भगवान रामलला की आंखों से ये पट्टी खोली जाती। लेकिन इस बीच 19 जनवरी को अनुष्ठान के चौथे दिन रामलला की मूर्ती की नई तस्वीर सामने आई। जिसमें रामलला के पूरे स्वरूप को देखा जा सकता है। रामलला एक हाथ में धनुष और दूसरे हाथ में बाण धारण किए हैं।
‘प्राण प्रतिष्ठा से पहले नहीं दिखाई जा सकती भगवान राम की मूर्ति की आंखें’
प्राण-प्रतिष्ठान से पहले रामलला के पूर्ण स्वरूप की तस्वीर सामने आने पर पंडितों ने नाराजगी जाहिर की है। राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास (Acharya Satyendra Das, chief priest of Ram Janmabhoomi) ने इस पर कड़ी नाराजगी जताई। उन्होंने ने कहा कि प्राण प्रतिष्ठा पूरी होने से पहले भगवान राम की मूर्ति की आंखें दिखाई नहीं जा सकतीं। उन्होंने कहा कि अगर आंखे देखी जा सकती हैं तो ये किसने दिखाईं और मूर्ति की तस्वीरें किसने और कैसे वायरल हो रही हैं। उन्होंने कहा कि इसकी जांच होनी चाहिए। आचार्य सत्येंद्र दास ने ये भी कहा कि जिस मूर्ति में भगवान राम की आंखें देखी जा सकें, वह असली मूर्ति नहीं है।
सरयू किनारे पहले से विराजमान हैं श्याम रूप के भगवान राम
दरअसल, अयोध्या में नवनिर्मित भव्य राममंदिर में श्याम रंग के रामलला की मूर्ति विराजित की गई है। इससे पहले अयोध्या में श्याम रंग के एक और भगवान राम विराजमान है। जो कालेराम के नाम से ही विख्यात हैं। हिंदू मान्यताओं के अनुसार महाराजा विक्रमादित्य ने कालेराम को रामजन्मभूमि परिसर में ही स्थापित किया था। यह मूर्ति 1500 वर्षों तक रामजन्मभूमि में ही विराजित रही। प्राचीन कालेराम मंदिर सरयू किनारे नागेश्वरनाथ मंदिर के पीछे स्थित है। मंदिर में भगवान राम के साथ लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न और सीता जी की भी मूर्तियां स्थापित हैं। इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि इन्हें विक्रमादित्य ने दो हजार वर्ष पहले रामजन्मभूमि में स्थापित किया था।
सपने में सरयू में मूर्ति होने की जानकारी मिली
जानकारी के मुताबिक, 1528 के आसपास जब बाबर की सेना ने अयोध्या में जन्मभूमि पर आक्रमण किया था। तब मंदिर के तत्कालीन पुजारी श्यामानंद ने भगवान के विग्रह को बचाने के लिए सरयू नदी में प्रवाहित कर दिया था और यह विग्रह 1748 के आसपास सरयू किनारे सहस्त्र धारा के पास महाराष्ट्रीयन संत नरसिंह राव मोघे को मिला। मान्यता है कि मूर्ति के मिलने से पहले नरसिंह राव को तीन बार स्वप्न आया था। स्वप्न में उन्हें सरयू में मूर्ति होने की जानकारी मिली। स्वप्न में ही मिले आदेश के बाद जब वे सरयू नदी के पास पहुंचे तो उन्हें मूर्ति मिली। इसके बाद नरसिंह राव कालेराम कि मूर्ति को सरयू किनारे स्थापित किया। बता दें कि 220 वर्ष तक सरयू नदी की तलहटी में पड़े होने के कारण मूर्ति काली पड़ गई थी। ऐसे में हाथ में मूर्ति लेते ही संत नरसिंह राव के मुंह से अचानक 'कालेराम' शब्द निकल पड़ा। इसके बाद इस विग्रह को जहां स्थापित किया गया, मंदिर का नाम कालेराम ही रखा गया।
भगवान राम का श्याम रूप
दरअसल, नवनिर्मित राममंदिर में श्याम रंग के रामलला की मूर्ति विराजित की गई है। रामलला की श्याम रंग में बनी मूर्ति में कई तरह की खूबियां हैं। श्याम शिला की आयु हजारों साल होती है और यह जल रोधी होती है। चंदन, रोली आदि लगाने से मूर्ति की चमक प्रभावित नहीं होगी। मंदिर में विराजित रामलला की मूर्ति की कुल ऊंचाई 51 इंच है। वजन करीब 150 से 200 किलो है। मूर्ति के ऊपर मुकुट व आभामंडल है। श्रीराम की भुजाएं घुटनों तक लंबी हैं। मस्तक सुंदर, आंखे बड़ी और ललाट भव्य है। कमल दल पर खड़ी मुद्रा में मूर्ति, हाथ में तीर व धनुष है। मूर्ति में पांच साल के बच्चे की बाल सुलभ कोमलता झलक रही है। मैसूर के प्रसिद्ध मूर्तिकार अरुण योगीराज ने श्याम रंग के रामलला की मूर्ति बनाई है।