2020 Delhi Riots: सुप्रीम कोर्ट ने 4 हफ्तों के लिए टाली उमर खालिद की याचिका पर सुनवाई ।
2020 Delhi Riots: मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने छात्र कार्यकर्ता उमर खालिद की जमानत याचिका पर सुनवाई चार सप्ताह के लिए टाल दी है। बता दें कि उमर को 2020 के दिल्ली दंगों के पीछे साजिश के मामले में गैरकानूनी गतिविधियां में शामिल रहने के लिए गिरफ्तार किया गया था।
2020 Delhi Riots: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को छात्र कार्यकर्ता उमर खालिद की जमानत याचिका पर सुनवाई आने वाले चार हफ्तों के लिए टाल दी है। जिसे 2020 के दिल्ली दंगों के पीछे एक साजिश के मामले में गैरकानूनी गतिविधियों के तहत गिरफ्तार किया गया था। न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी की पीठ ने यह कहते हुए आदेश दिया कि अदालत को खालिद के खिलाफ आरोप पत्र दायर करने के बाद रिकॉर्ड पर रखे गए सबूतों को देखना होगा।
बता दें कि उमर खालिद ने दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा जमानत न देने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने आने वाले चार हफ्तों के लिए सुनवाई टाल दी। बता दें कि खालिद ने ट्रायल कोर्ट के उस आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई थी जिसमें उन्हें UAPA के एक मामले में जमानत देने से मना कर दिया गया था। मिली जानकारी के मुताबिक उमर खालिद के ऊपर CAA-NRC के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान अमरावती में दिए गए उनके भाषण के चलते उन पर मामला दर्ज किया गया था।
13 सितंबर 2020 को गिरफ्तार हुए खालिद
13 सितंबर, 2020 को दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया था। पुलिस का कहना था कि हिंसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार को बदनाम करने की एक बड़ी साजिश का हिस्सा थी। वहीं उमर खालिद (Umar Khalid) ने यह कहते हुए जमानत मांगी कि हिंसा में उसकी कोई भूमिका नहीं थी और न ही मामले में अन्य आरोपी व्यक्तियों के साथ कोई उसके कोई संबंध थे। आपको बता दें कि दिल्ली में हुए दंगे नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के समर्थकों और इसका विरोध कर रहे लोगों के बीच 23 फरवरी से 26 फरवरी, 2020 तक दिल्ली के उत्तरी क्षेत्रों मे हुआ। इन दंगों में लगभग 53 लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हो गए।
मंगलवार को इसी मामले पर सुनवाई करते हुए जस्टिस बेला एम त्रिवेदी (Justice Bela M Trivedi) और जस्टिस दिपांकर दत्ता (Justice Dipankar Dutta) ने उमर खालिद (Umar Khalid) की ओर से वकील कपिल सिब्बल (Kapil Sibbal) से कहा कि इस मामले में अगर आपके पास उनकी बेगुनाही के सबूत हैं तो उन्हें जल्द से जल्द कोर्ट के सामने पेश करें। जिसके जवाब में कपिल सिब्बल ने कहा कि गैरकानूनी गतिविधियां अधिनियम यानी (UAPA) , जिसमें आतंकवाद, आतंकवाद से जुड़े मामलों मे लिप्त मामलों मे ये अधिनियम लागू नहीं होता। आखिर में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि ऐसे मामलों मे अदालत को ध्यानपूर्वक निर्णय लेने पड़ते हैं।