UP RO/ARO Exam: RO/ARO परीक्षा लीक केस का STF ने किया खुलासा, प्रयागराज से 6 आरोपी गिरफ्तार
पीपीएससी RO/ARO परीक्षा लीक मामले में एसटीएफ को बड़ी सफलता मिली है। एसटीएफ ने इस मामले में 6 आरोपियों को प्रयागराज से गिरफ्तार किया है। एसटीएफ ने सभी आरोपियों को इलाहाबाद में परेड ग्राउंड के मिंटो पार्क की तरफ जाने वाले रास्ते से पकड़ा है। इस मामले में 10 आरोपियों को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है।
UP RO/ARO Exam: यूपीपीएससी RO/ARO परीक्षा (UPPSC RO/ARO Exam) लीक मामले में एसटीएफ (STF) को बड़ी सफलता मिली है। एसटीएफ ने इस मामले में 6 आरोपियों को प्रयागराज (Prayagraj) से गिरफ्तार किया है। एसटीएफ ने सभी आरोपियों को इलाहाबाद में परेड ग्राउंड के मिंटो पार्क की तरफ जाने वाले रास्ते से पकड़ा है। इस मामले में 10 आरोपियों को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। इसी के साथ ही एसटीएफ अब तक 16 लोगों को जेल भेज चुकी है।
11 फरवरी को हुई थी RO/ARO की परीक्षा
दरअसल, 11 फरवरी 2024 को RO/ARO की परीक्षा आयोजित की गई थी। कई परीक्षा केंद्रों पर परीक्षा शुरू होने से पहले ही उसका प्रश्नपत्र शोसल मीडिया पर वायरल हो गया था। इस बीच इलाहाबाद के एग्जाम सेंटर विशप जॉनसन गर्ल्स स्कूल और कॉलेज से पेपर आउट होने की खबर मिली थी। जिस पर भारी विवाद को देखते हुए यूपी सरकार (UP government) ने परीक्षा निरस्त कर दी थी। इसके साथ ही इस मामले की जांच एसटीएफ को सौंपी गई थी।
प्रिंटिंग प्रेस से पेपर लीक होने की थी संभावना
यूपी एसटीएफ को स्कूल के अलावा प्रिंटिंग प्रेस से भी पेपर लीक कराए जाने की संभावना थी। जिस पर कार्रवाई पर एसटीएफ ने खुलासा कर दिया है। एसटीएफ के मुताबिक, RO/ARO परीक्षा का पेपर भोपाल की प्रिंटिंग प्रेस में छपा था और यहीं से पेपर लीक हुआ था। एसटीएफ ने 100 से ज्यादा मोबाइल नंबर सर्विलांस पर लगाए। RO/ARO परीक्षा का पेपर भोपाल में छपा था, तो प्रेस के हर कर्मचारी का कॉल डेटा रिकॉर्ड यानी CDR निकाला। एसटीएफ की टीम जब भोपाल पहुंची तो उसे पता चला कि पेपर लीक का मास्टर माइंड राजीव नयन मिश्रा (Master Mind Rajeev Nayan Mishra) काफी समय अपने गैंग के साथ भोपाल में रह रहा था।
10-12 लाख रुपए में बेचा गया RO-ARO का पेपर
प्रिंटिंग प्रेस के कर्मचारी सुनील रघुवंशी (Sunil Raghuvanshi) की मदद से राजीव नयन मिश्रा ने पेपर लीक करवाया था। एसटीएफ की पूछताछ में पेपर लीक के मास्टर माइंड राजीव नयन मिश्रा का कनेक्शन भी भोपाल ने निकला। जिसके बाद ये कार्रवाई की गई। प्रिंटिंग प्रेस से बाहर लाए गए RO-ARO के पेपर को 10-12 लाख रुपए में बेचा गया। पैसे लेकर अभ्यर्थियों से भोपाल के एक होटल में उसे रटवाया गया। सुनील रघुवंशी ने एसटीएफ की पूछताछ में अपना जुर्म कबूल कर लिया और अन्य आरोपियों के नाम भी बताए। जिन्हें एसटीएफ ने दबिश देकर गिरफ्तार कर लिया है।
पहले से एक-दूसरे को जानते थे आरोपी
एसटीएफ की जांच में प्रिंटिंग प्रेस कर्मी और गिरफ्तार सॉल्वर गैंग के मोबाइल नंबरों के बीच बातचीत होने के सबूत भी मिले है। गैंग में शामिल प्रयागराज का राजीव नयन मिश्रा, बिहार के सुभाष प्रकाश, प्रयागराज के विशाल दूबे और भोपाल के प्रिंटिंग प्रेस कर्मी सुनील रघुवंशी अलग-अलग प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ते थे, लेकिन एक-दूसरे से परिचित थे। विशाल दुबे और सुनील रघुवंशी ने साल 2014 से 2017 तक इंजीनियरिंग कॉलेज (College of Engineering) में एक साथ पढ़ाई की थी। सुनील रघुवंशी प्रिंटिंग प्रेस में मैकेनिकल इंजीनियर है। सुभाष प्रकाश प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज में नौकरी करता है। सुनील की प्रिंटिंग प्रेस में ही पेपर छपते हैं। यह बात विशाल दुबे ने राजीव नयन और सुभाष प्रकाश को बताई थी, जिसके बाद सभी ने पेपर लीक की योजना बनाई।
सुनील रघुवंशी ने विशाल दुबे को दी RO-ARO पेपर छपने की जानकारी
प्रिंटिंग प्रेस कर्मी सुनील रघुवंशी ने विशाल दुबे को बताया कि RO-ARO के प्रश्नपत्र की छपाई हो रही है, जिसके एक पेपर में 140 प्रश्न हैं। दूसरे में 40 प्रश्न हैं। इसके बाद राजीव नयन, विशाल दुबे और सुभाष प्रकाश ने प्रश्नपत्र को लीक कराने के लिए सुनील रघुवंशी को तैयार किया। सुनील रघुवंशी ने 10 लाख रुपए की मांग की और प्रश्नपत्र अपने सामने पढ़वाने की शर्त रखी। जिसपर राजीव नयन, विशाल दुबे और सुभाष तैयार हो गए।
प्रिंटिंग प्रेस से ऐसे बाहर आया पेपर
प्रिंटिंग के दौरान जब पेपर में स्याही लग जाती है तो उसे छांटकर अलग रखा जाता है और बाद में इसे कटर मशीन में नष्ट कर दिया जाता है। 3 फरवरी 2024 को प्रिंटिंग मशीन की मरम्मत हो रही थी, इस समय सुनील मशीन वहां मौजूद था। मौका पाकर सुनील ने एक स्याही लगा प्रश्नपत्र अपनी पानी की बोतल में छिपा लिया और प्रेस से बाहर ले आया। इसके बाद उसने फोन करके विशाल, राजीव नयन मिश्रा और सुभाष प्रकाश को होटल बुलाया। फिर प्रश्न पत्र को सॉल्वरों से हल कराया गया। इसके बाद 12-12 लाख रुपए में इसे अभ्यर्थियों को बेचा गया।
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