UP Madrasa Act : सुप्रीम कोर्ट ने यूपी मदरसा एक्ट को रद्द करने के फैसले पर लगाई रोक
सुप्रीम कोर्ट ने 'यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004' को असंवैधानिक करार देने वाले इलाहाबाद हाईकोर्ट के 22 मार्च के फैसले पर रोक लगा दी है। कोर्ट के आदेश के अनुसार, फिलहाल 2004 के कानून के तहत मदरसों में पढ़ाई चलती रहेगी।
UP Madrasa Act : सुप्रीम कोर्ट ने 'यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004' को असंवैधानिक करार देने वाले इलाहाबाद हाईकोर्ट के 22 मार्च के फैसले पर रोक लगा दी है। कोर्ट के आदेश के अनुसार, फिलहाल 2004 के कानून के तहत मदरसों में पढ़ाई चलती रहेगी। आपको बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसले में एक्ट को असंवैधानिक करार दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट प्रथम दृष्टया सही नहीं है। ये कहना सही नहीं कि ये धर्मनिरपेक्षता का उल्लंघन है।
यूपी में 15 हजार 613 मान्यता प्राप्त मदरसे
10 सितंबर 2022 से 15 नवंबर 2022 तक मदरसों का सर्वे कराया था। बाद में इस टाइम लिमिट को 30 नवंबर तक बढ़ाया गया था। इस सर्वे में प्रदेश में करीब 8441 मदरसे ऐसे मिले थे, जिनकी मान्यता नहीं थी। सबसे ज्यादा मुरादाबाद में 550, बस्ती में 350 और मुजफ्फरनगर में 240 मदरसे बिना मान्यता के थे वहीं लखनऊ में 100 मदरसों की मान्यता नहीं थी। इसके अलावा, प्रयागराज-मऊ में 90, आजमगढ़ में 132 और कानपुर में 85 से ज्यादा मदरसे को मान्यता नहीं मिली थी
इलाहाबद के फैसले पर लगी रोक
बतादें कि इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ न्यायमूर्ति विवेक चौधरी और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने 22 मार्च को यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004 को असंवैधानिक घोषित कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि यह धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन है। इसके साथ ही यूपी सरकार को एक स्कीम बनाने को कहा है, ताकि मदरसों में पढ़ रहे छात्रों को औपचारिक शिक्षा प्रणाली में शामिल किया जा सके।
SIT कर रही थी मदरसों की जांच
सरकार के मुताबिक प्रदेश में फिलहाल 15 हजार 613 मान्यता प्राप्त मदरसे हैं। अक्टूबर 2023 में यूपी सरकार ने मदरसों की जांच के लिए SIT का गठन किया था। SIT मदरसों को हो रही विदेशी फंडिंग की जांच कर रही है।