UP Ad-hoc Teachers Protest 2024 : विधानसभा उप - चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी का विरोध करेंगे तदर्थ शिक्षक, मानदेय व्यवस्था का कर रहें विरोध

UP Ad-hoc Teachers Protest 2024 : विधानसभा उप - चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी का विरोध करेंगे तदर्थ शिक्षक, मानदेय व्यवस्था का कर रहें विरोध

UP Ad-hoc Teachers Protest 2024 : लखनऊ में आज अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों (Non-Government Aided Secondary Schools) में 25 से 30 वर्षों से नौकरी कर रहे तदर्थ शिक्षकों (Protest by adhoc teachers) को मानदेय व्यवस्था को लेकर प्रदर्शन किया। शिक्षकों ने विरोध करते हुए कहा कि मानदेय व्यवस्था शोषण बहुत ही अपमानजनक हैं। प्रदर्शन के दौरान शिक्षक संघ के ने आगामाी विधानसभा उप-चुनाव (Assembly by-election 2024) में भाजपा प्रत्याशियों के विरोध का फैसला लिया।  तदर्थ शिक्षकों ने मानदेय शासनादेश के विरोध में लखनऊ स्थित शिक्षा निदेशालय कैंप कार्यालय (Directorate of Education Camp Office lucknow) पर धरना प्रदर्शन किया हैं।

तदर्थ शिक्षकों ने सरकार पर कसा तंज

प्रदर्शन के दौरान तदर्थ शिक्षकों कहा कि, "हमने 3 साल में भारतीय जनता पार्टी (BJP government) का ऐसा कोई दरवाजा नहीं बचा जहां अपना मस्तक ना झुकाया हो यहां तक कि शिक्षक राजेश पांडे पूर्व प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव के पैरों पर गिर पड़े लेकिन भाजपा सरकार ने किसी की नहीं सुनी। हमारी मांगों को अनसुना करते हुए यूपी सरकार ने हमें 25-30 हजार रुपए मानदेय देने का आदेश पारित किया हैं। सरकार के इस फैसले ने हमें अपमानित करने का कार्य किया यह भीख हमें स्वीकार नहीं  सरकार इसको भी रख ले हम लोग निशुल्क सेवा कर देंगे।"

समिति के प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र ने कही ये बात 

माध्यमिक तदर्थ शिक्षक संघर्ष समिति उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र सिंह ने बताया की, "इतिहास के पन्नों में यह पहली बार हो रहा है कि पूर्ण अहर्ताधारी 25 से 30 वर्षों तक कार्यरत संपूर्ण उपलब्धियां को प्राप्त करने वाले तदर्थ शिक्षको की सेवाएं समाप्त करके उन्हें मानदेय दिया जा रहा है जबकि पूर्ववर्ती सरकारों ने संविदाकर्मियों को नियमित करते हुए संपूर्ण उपलब्धियां को देने का कार्य किया है ऐसा प्रकरण इतिहास में पहली बार हो रहा है।"

तदर्थ शिक्षकों ने अब अपनी कमर कस ली - कुलदीप सिंह 

प्रदेश संयुक्त मंत्री  कुलदीप सिंह का कहना है कि, "तदर्थ शिक्षकों ने अब पूरी तरह से अपनी कमर कस ली है आर पार की लड़ाई लड़ने के लिए एक तरफ न्यायालय हम सभी तदर्थ शिक्षकों को वेतन देने का आदेश कर रही है दूसरी तरफ वेतन न देना हो इसलिए तदर्थ शिक्षकों के खिलाफ सरकार स्वयं सुप्रीम कोर्ट में गई हुई है। फिलहाल अभी तदर्थ शिक्षकों का प्रकरण सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। लेकिन अचानक सरकार ने आउटसोर्सिंग के माध्यम से मानदेय का प्रस्ताव लाकर अपनी मंशा उन्होंने व्यक्त कर दी।"

भाजपा का विरोध कर रहे है तदर्थ शिक्षक

वहीं प्रदेश महामंत्री सुशील शुक्ला का कहना है तदर्थ शिक्षकों का धैर्य अब टूट चुका है, अब हम लोगों ने  भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ शंखनाद कर दिया है, लोकसभा चुनाव में 80 में से 43 सीटें पर भारतीय जनता पार्टी को हार का सामना करना पड़ा था, जिसका एक प्रमुख कारण तदर्थ शिक्षकों का शोषण भी है 27 जिलों में नियुक्त तदर्थ शिक्षकों में से केवल एक जिला गोंडा छोड़कर बाकी सभी 26 सीटो पर भारतीय जनता पार्टी हारी है। आगामी विधानसभा उप-चुनाव में दस सीटों पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ेगा । अयोध्या और अंबेडकरनगर जिले में लगभग 600 तदर्थ शिक्षक हैं, यहां पर दो विधानसभा मिल्कीपुर और कटेहरी में अभी उपचुनाव होने है दोनों सीटों पर इनका सुपड़ा साफ कर देंगे चाहे हमें नौकरी पर रखें या ना रखें अब हम दो-दो हाथ करने के लिए तैयार है। अब हम उनके पास नहीं जाएंगे।

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