Supreme Court's decision: सुप्रीम कोर्ट का फैसला, कोरोना काल में ली फीस वापस करेंगे यूपी के 35 हजार स्कूल
कोरोना काल में स्कूलों द्वारा वसूली गई फीस पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार स्कूलों को फीस का 15 प्रतिशत अभिभावकों को वापस करना होगा। जिसके बाद अब यूपी के 35 हजार प्रइवेट स्कूल फीस वापस करने के लिए मजबूर हो गए हैं।
Supreme Court's decision: कोरोना काल में स्कूलों द्वारा वसूली गई फीस पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के आदेश के अनुसार स्कूलों (private schools) को फीस का 15 प्रतिशत अभिभावकों को वापस करना होगा। जिसके बाद अब यूपी के 35 हजार प्रइवेट स्कूल फीस वापस करने के लिए मजबूर हो गए हैं। अगर लखनऊ की बात की जाए तो टॉप 10 स्कूलों को करीब 150 करोड़ अभिभावकों को लौटाने पड़ेगें। अभी निजी स्कूल इस निर्णय पर ज्यादा कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं। लेकिन फीस एडजस्टमेंट की दिशा में तैयारी शुरू कर दी है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिया था फैसला
इलाहाबाद हाईकोर्ट के प्राइवेट स्कूलों (Private schools of Uttar Pradesh) को 15 प्रतिशत फीस वापसी के फैसले निजी स्कूलों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर स्टे लगा दिया था। लेकिन गुरूवार को कोर्ट ने पेरेंट्स के पक्ष में फैसला सुनाते हुए हाइकोर्ट के फीस वापसी के आदेश को पर लगाई रोक को वापस ले लिया। कोर्ट ने कहा- स्कूल प्रबंधन को कोविड काल के दौरान साल 2020-21 के लिए स्कूल के संसाधनों का पूरा इस्तेमाल नहीं किया। इसलिए पेरेंट्स को राहत मिलनी ही चाहिए।
15 प्रतिशत फीस करनी होगी वापस
अनऐडेड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने बताया, "स्कूल सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का सम्मान करते हैं। अनऐडेड प्राइवेट स्कूल्स एसोसिएशन के ज्यादातर विद्यालयों द्वारा कोरोना काल में आम सहमति से 20% तक और कुछ अन्य परिस्थितियों में इससे अधिक की भी छूट अभिभावकों को दी थी। इसके अलावा उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा जारी शासनादेश का पालन करते हुए में सत्र 2020-21 और 2021-22 में भी उत्तर प्रदेश के किसी भी प्राइवेट स्कूल में कोई भी फीस नहीं बढ़ाई गई थी। अब सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का सम्मान करते हुए सत्र 2020-21 में ली गई फीस को आगे की किस्तों में समायोजित कर देंगे। जिन विद्यालयों द्वारा कोरोना काल में मासिक शुल्क में छूट दी गई थी। उन्हें अनायास परेशान ना किया जाए। उनके ऊपर किसी भी प्रकार का दबाव न बनाया जाए।"