Supreme Court on Women Reservation: SC का महिला आरक्षण विधेयक को तत्काल लागू करने की मांग पर सुनवाई से इंकार

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाकर्ता-योगमाया एमजी- को इस मुद्दे को उठाने वाली याचिकाओं के लंबित बैच में एक पक्षकार आवेदन दायर करने के लिए कहा।

Supreme Court on Women Reservation: SC का महिला आरक्षण विधेयक को तत्काल लागू करने की मांग पर सुनवाई से इंकार

Supreme Court on Women Reservation: सुप्रीम कोर्ट ने आज शुक्रवार 12 जनवरी को मौजूदा जनगणना आंकड़ों के आधार पर 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले महिला आरक्षण विधेयक को लागू करने की मांग करने वाली एक वकील की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया है। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाकर्ता-योगमाया एमजी- को इस मुद्दे को उठाने वाली याचिकाओं के लंबित बैच में एक पक्षकार आवेदन दायर करने के लिए कहा।

नहीं चाहते मुकदमेबाजी की बहुलता

संजीव खन्ना की पीठ में न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता भी शामिल थे, जिन्होंने याचिकाकर्ता को अपनी पीआईएल वापस लेने की अनुमति देते हुए कहा कि वह इस मामले में मुकदमेबाजी की बहुलता नहीं चाहती है।

जया ठाकुर की याचिका पर हो रहा विचार

गौरतलब है कि शीर्ष अदालत पहले ही कांग्रेस नेता जया ठाकुर द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर विचार कर रही है, जिसमें नारी शक्ति वंदन अधिनियम विधेयक 2023 को तत्काल लागू करने की मांग की गई है।

पिछले साल सितंबर में हुआ था पारित 

बता दें कि पिछले साल सितंबर में संसद के एक विशेष सत्र में महिला आरक्षण विधेयक पारित किया गया था। इस बिल में लोकसभा और दिल्ली सहित सभी राज्य की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण अनिवार्य किया गया था। हालांकि महिला आरक्षण कानून का इरादा वर्तमान लोकसभा या मौजूदा विधान सभाओं की संरचना में बदलाव करने का नहीं है, बल्कि उनके संबंधित कार्यकाल के पूरा होने पर या किसी अन्य कारण से भंग होने पर नए सिरे से गठित होने पर लागू होगा।

परिसीमन की प्रक्रिया के बाद हो सकता है लागू

यह अनुमान लगाया गया है कि परिसीमन प्रक्रिया पूरी होने के बाद 2029 में महिलाओं के लिए कोटा पूरी तरह से देशभर में लागू हो जाएगा और 15 साल की अवधि तक जारी रहेगा। वहीं अपनी याचिका में, वकील योगमाया एमजी ने परिसीमन आयोग अधिनियम, 2002 के प्रावधानों के तहत 2001 या 2011 की जनगणना के आंकड़ों के आधार पर संविधान के एक सौ अट्ठाईसवें संशोधन विधेयक के तत्काल और समयबद्ध कार्यान्वयन को अनिवार्य करने के निर्देश देने की प्रार्थना की।