Shri Laxmi stotram: दीपावली पर देवी लक्ष्मी के स्तोत्र का करें पाठ, मिलेंगे अत्रत लाभ

दीपावली के दिन माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है । इस दिन देवी लक्ष्मी के स्तोत्र का पाठ करना बेहद ही शुभ और लाभकारी माना जाता है।

Shri Laxmi stotram: दीपावली पर देवी लक्ष्मी के स्तोत्र का करें पाठ, मिलेंगे अत्रत लाभ

Shri Laxmi stotram: हिन्दू धर्म में दीपावली के त्योहार का बहुत महत्व होता है। ये हिंदू धर्म के सबसे बड़े पर्वों में से एक होता है। इस दिन धन की देवी माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। इस बार दिवाली का पावन पर्व 12 नवंबर को पड़ रहा है। इस दिन देवी लक्ष्मी को गेंदे या पान के पत्तों की माला जरूर पहनाएं। आझ हम आपको बतायेंगे कि दीवाला वाले दिन माता को क्या क्या चीजें अर्पण करनी चाहिए। 

इन चीजों को करें अर्पण

माता लक्ष्मी को दिवाली के दिन पूजा के दौरान कौड़ी रखना बेहद शुभ माना जाता है। साथ ही हल्दी की गांठ, चांदी के सिक्के, सिंघाड़ा, गंगा जल और कमल का फूल भी मां को बेहद प्रिय होता है। इन चीजों को चढ़ाने से वो खुश होती है और आपके घर में सुख समृद्धि की बहार आती है। 

जरूर करें जाप 

'इन्द्र उवाच'

''ऊँ नम: कमलवासिन्यै नारायण्यै नमो नम: ।
कृष्णप्रियायै सारायै पद्मायै च नमो नम: ॥॥

पद्मपत्रेक्षणायै च पद्मास्यायै नमो नम: ।
पद्मासनायै पद्मिन्यै वैष्णव्यै च नमो नम: ॥॥

सर्वसम्पत्स्वरूपायै सर्वदात्र्यै नमो नम: ।
सुखदायै मोक्षदायै सिद्धिदायै नमो नम: ॥॥

हरिभक्तिप्रदात्र्यै च हर्षदात्र्यै नमो नम: ।
कृष्णवक्ष:स्थितायै च कृष्णेशायै नमो नम: ॥॥

कृष्णशोभास्वरूपायै रत्नपद्मे च शोभने ।
सम्पत्त्यधिष्ठातृदेव्यै महादेव्यै नमो नम: ॥॥

शस्याधिष्ठातृदेव्यै च शस्यायै च नमो नम: ।
नमो बुद्धिस्वरूपायै बुद्धिदायै नमो नम: ॥॥

वैकुण्ठे या महालक्ष्मीर्लक्ष्मी: क्षीरोदसागरे ।
स्वर्गलक्ष्मीरिन्द्रगेहे राजलक्ष्मीर्नृपालये ॥॥

गृहलक्ष्मीश्च गृहिणां गेहे च गृहदेवता ।
सुरभी सा गवां माता दक्षिणा यज्ञकामिनी ॥॥

अदितिर्देवमाता त्वं कमला कमलालये ।
स्वाहा त्वं च हविर्दाने कव्यदाने स्वधा स्मृता ॥॥

त्वं हि विष्णुस्वरूपा च सर्वाधारा वसुन्धरा ।
शुद्धसत्त्वस्वरूपा त्वं नारायणपरायणा ॥1॥

क्रोधहिंसावर्जिता च वरदा च शुभानना ।
परमार्थप्रदा त्वं च हरिदास्यप्रदा परा ॥11॥

यया विना जगत् सर्वं भस्मीभूतमसारकम् ।
जीवन्मृतं च विश्वं च शवतुल्यं यया विना ॥1॥

सर्वेषां च परा त्वं हि सर्वबान्धवरूपिणी ।
यया विना न सम्भाष्यो बान्धवैर्बान्धव: सदा ॥॥

त्वया हीनो बन्धुहीनस्त्वया युक्त: सबान्धव: ।
धर्मार्थकाममोक्षाणां त्वं च कारणरूपिणी ॥॥

यथा माता स्तनन्धानां शिशूनां शैशवे सदा ।
तथा त्वं सर्वदा माता सर्वेषां सर्वरूपत: ॥॥

मातृहीन: स्तनत्यक्त: स चेज्जीवति दैवत: ।
त्वया हीनो जन: कोsपि न जीवत्येव निश्चितम् ॥॥

सुप्रसन्नस्वरूपा त्वं मां प्रसन्ना भवाम्बिके ।
वैरिग्रस्तं च विषयं देहि मह्यं सनातनि ॥॥

वयं यावत् त्वया हीना बन्धुहीनाश्च भिक्षुका: ।
सर्वसम्पद्विहीनाश्च तावदेव हरिप्रिये ॥॥

राज्यं देहि श्रियं देहि बलं देहि सुरेश्वरि ।
कीर्तिं देहि धनं देहि यशो मह्यं च देहि वै ॥॥

कामं देहि मतिं देहि भोगान् देहि हरिप्रिये ।
ज्ञानं देहि च धर्मं च सर्वसौभाग्यमीप्सितम् ॥॥

प्रभावं च प्रतापं च सर्वाधिकारमेव च ।
जयं पराक्रमं युद्धे परमैश्वर्यमेव च'' ॥॥

अगर आप भी देवी लक्ष्मी को प्रसत्र करना चाहते है और अपने बिगड़े काम बनान चाहते है तो ब्रह्ममुहूर्त में उठकर उनकी उपासना अवश्य करें। साथ ही लक्ष्मी स्तोत्र का पाठ भी जरूर करें।