Pitra paksha 2023: इन 6 जगहों पर श्राद्ध और पिंडदान करने से होती है मोक्ष की प्राप्ति
Pitra paksha 2023: हिन्दू पंजांग के अनुसार भाद्रपद महीने की पूर्णिमा जिसे पितृपक्ष के नाम से भी जाना जाता है। जिसमें हम अपने पितरों को तृप्त करने के लिए उनका श्राद्ध करते हैं।
Pitra Paksha 2023: हिन्दू पंजांग के अनुसार भाद्रपद महीने की पूर्णिमा जिसे पितृपक्ष के नाम से भी जाना जाता है। पितृपक्ष में पितर हमारे घर में विराजमान होते हैं। जिसमें हम अपने पितरों को तृप्त करने के लिए उनका श्राद्ध करते हैं। अश्विन कृष्ण की आमावस्या से कुल 16 दिन तक तर्पण क्रिया करते हैं। इस वर्ष पितृ पक्ष की शुरुआत 29 सितंबर से हो चुकी है। जो 14 अक्टूबर को समाप्त होगी।
इन 16 दिनों के अंतराल में सच्ची श्रद्धा के साथ पितरों को याद किया जाता है, साथ ही उनकी आत्मा की शांति के लिए पिंडदान और अन्य अनुष्ठान किए जाते हैं। जिसके करने से हमारे पितर खुश होते हैं, हमें आर्शीवाद देते हैं और हमारे घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। वैसे तो पिंडदान कई जगहों पर किया जाता है, लेकिन ऐसी पांच जगहें हैं जहां पर अगर पिंडदान किया जाए तो हमारे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। इन पांच जगहों पर पिंडदान करने का है खास महत्व।
1- बोधगया
बिहार में स्थित बोधगया फल्गू नदी के तट पर विराजमान हैं। जो 13 किलो मीटर उत्तर तथा राजधानी पटना से 100 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है। मान्यता है कि बोधगया में पिंडदान करने से पितरों को सीधा स्वर्ग में स्थान मिलता हैं। फाल्गु नदी को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है और इस तीर्थ का वर्णन रामायण काल से है। गया में 32 से अधिक श्राद्ध स्थान हैं जहां पिंडदान किया जाता है।
2- वाराणसी
वाराणसी शहर गंगा तट पर स्थित है, जिसे मोक्ष की नगरी कहा जाता है। यहां बाबा विश्वनाथ का धाम है। वाराणासी में तर्पण क्रिया करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, लोग काशी विश्वनाथ मंदिर और शहर के अन्य संबंधित मंदिरों में जाकर भी दर्शन करते हैं। यहां लोग अपने पूर्वजों के लिए स्थानीय ब्राह्मण द्वारा हवन और अनुष्ठान कराते हैं, जिसमें मंत्र जप और फिर पिंड का प्रसाद अर्पित करते हैं।
3- हरिद्वार
हरिद्वार सबसे पवित्र तीर्थ स्थान हैं। पुराणों में भी इसका वर्णन किया गया है। हरिद्वार में गंगा नदी के किनारे तर्पण कार्य और अंतिम संस्कार किया जाता है, जिससे पितरों की आत्मा सीधे स्वर्ग में प्रवेश करती है। हरिद्वार की गंगा नदी में स्नान करने से सारे पाप मिट जाते हैं।
4- बद्रीनाथ
बद्रीनाथ में स्थित ब्रह्मकपाल घाट के बारे में यहां मान्यता है कि यहां किया हुआ पिंडदान गया से भी 8 गुना ज्यादा फलदायी होता है। ब्रह्मकपाल घाट वो जगह है, जहां भगवान शिव को ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति मिली थी, इसी कारण यहां श्राद्ध और पिंडदान करने से अकाल मृत्यु को प्राप्त पूर्वजों की आत्मा को तुरंत मुक्ति मिल जाती है।
5- पुष्कर
राजस्थान में स्थित पुष्कर का विशेष महत्व है, क्योंकि यहां ब्रह्माजी का विश्व प्रसिद्ध मंदिर है। यहां की पवित्र झील के बारे में मान्यता है कि इसकी उत्पत्ति भगवान विष्णु की नाभि से हुई थी। यहां के 52 घाटों पर हर साल श्राद्ध और पिंडदान करने के लिए लोग हवन कराते हैं, जिससे उनके पूर्वज प्रसन्न और शांत रहते हैं।
6- प्रयागराज
प्रयागराज में तीन नदियों गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम है। प्रयागराज के संगम में स्नान करने से मनुष्य के सारे पाप धुल जाते हैं और आत्मा जन्म-मरण के चक्र से मुक्त हो जाती है। यहां तर्पण संस्कार करने से पूर्वजों की आत्मा सभी कष्टों से मुक्त हो जाती है।