MP Assembly Elections: मप्र में कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने के लिए सपा तैयार; बसपा, जीजीपी भी करेगी वोटों का बंटवारा
लोकसभा चुनाव से पहले हो रहे पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में इंडिया गठबंधन के दलों के बीच मनमुटाव या कहें कि टकराव सामने आया है। मध्यप्रदेश में कांग्रेस के साथ सीटों की साझेदारी न होने पर सपा ने खुलकर नाराजगी जताई है।
MP Assembly Elections: लोकसभा चुनाव (lok sabha election 2023) से पहले हो रहे पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में इंडिया गठबंधन (INDIA alliance) के दलों के बीच मनमुटाव या कहें कि टकराव सामने आया है। मध्यप्रदेश में कांग्रेस के साथ सीटों की साझेदारी न होने पर सपा ने खुलकर नाराजगी जताई है। इतना ही नहीं, सपा ने मध्य प्रदेश में कई सीटों पर अपने उम्मीदवार भी उतार दिए हैं। पिछले चुनाव में जीत-हार का रिकॉर्ड देखें तो कई जगहों पर सपा और बसपा के उम्मीदवार काफी कम मार्जिन से हारे थे। अगर इस बार उन्होंने उस अंतर को पूरा कर लिया तो मध्य प्रदेश में सरकार बनाने का कांग्रेस का सपना टूट सकता है।
राजनीतिक जानकर कहते हैं कि मध्य प्रदेश के चुनावी रण में सपा भाजपा के साथ कांग्रेस को भी पटखनी देने की योजना पर काम कर रही है। कांग्रेस के साथ गठबंधन न होने पर 230 सीटों वाली मध्य प्रदेश विधानसभा के लिए अब तक 33 प्रत्याशी सपा घोषित कर चुकी है।
बसपा और जीजीपी चुनावी मैदान में साथ
अगर 2018 के चुनावी आंकड़ों को देखें तो सपा के चुनावी मैदान में होने से कांग्रेस को कई सीटों पर नुकसान उठाना पड़ा था। इस बार भी सपा अकेले लड़ रही है। कांग्रेस ने इंडिया गठबंधन में बसपा को शामिल करने की हसरत पाल रखी है। लेकिन मध्य प्रदेश में बसपा और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (Gondwana Republic Party) आपस में मिलकर चुनाव मैदान में है। बसपा 178 और जीजीपी 52 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार रही है।
भिंड और मुरैना में बसपा की पकड़ मजबूत
बसपा (Bahujan samaj party) ने 2018 में यहां दो सीटें जीती थी। एक भाजपा में शामिल हो गया था। पिछले विधानसभा चुनाव में बसपा ने भिंड और मुरैना के रास्ते मध्य प्रदेश में प्रवेश किया था। इन दोनों जिलों में इसका प्रभाव भी अच्छा खासा रहा है। पिछले 30 वर्षों में मप्र विधानसभा चुनाव में भिंड और मुरैना की तीन-सीटों, शिवपुरी में एक, ग्वालियर में दो, व दतिया में इसे सफलता भी मिल चुकी है। वर्ष 2018 में पोहरी में करीब 32 फीसद वोटों के साथ बसपा प्रत्याशी दूसरे स्थान पर रहे थे। वहीं, करैरा में बसपा तीसरे स्थान पर रही थी।
राजनीतिक जानकर कहते हैं कि बसपा बागी नेताओं की पहली पसंद होती है, क्योंकि इसका सॉलिड वोट बैंक है। मध्यप्रदेश बसपा के प्रदेश अध्यक्ष रमाकांत पिप्पल कहते हैं कि बसपा इस बार एमपी में 178 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। इस बार बगैर बसपा के यहां सरकार नहीं बनेगी।
एमपी में नहीं चलेगी (chandrashekhar azad ravan) आजाद समाज पार्टी
चंद्रशेखर (chandrashekhar azad ravan) के फैक्टर को वह नगण्य मानते हुए कहते हैं कि वह बसपा को सिर्फ कमजोर करने में लगे हैं। लेकिन कुछ होगा नहीं। सपा और कांग्रेस के गठबंधन को लेकर उन्होंने कहा इन लोगों का चरित्र यही है। सपा का यहां कोई भी जनाधार नहीं है। इस बार बसपा अच्छी सीटें भी बढ़ाएगी। प्रचार के लिए राम जी गौतम स्टेट इंचार्ज हैं, लगे हैं। आकाश आनंद (Akash Anand) भी हैं। बहन जी की भी कई रैलियां हैं। इससे माहौल बनेगा।
समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party leader) के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं। भले ही सपा मध्यप्रदेश में कांग्रेस के मुकाबले में कुछ कमजोर हो। लेकिन कुछ क्षेत्र और कुछ सीटें ऐसी हैं जहां पिछले चुनाव में हमने बहुत अच्छा मार्जिन हासिल किया था। उदाहरण के लिए परसवाड़ा, बालाघाट और गूढ़ सीट है, जहां हमारी पार्टी दूसरे और तीसरे नंबर में आई थी। निवाड़ी में हम दूसरे नंबर पर थे। इसके अलावा यूपी से सटे इलाके में हमारा वोट बैंक ठीक ठाक है। इसीलिए पार्टी को इस क्षेत्र से उम्मीद भी है। सपा का सबसे बेहतर प्रदर्शन 2003 और उससे पहले 1998 में ही रहा था।
मध्यप्रदेश चुनाव आयोग के आंकड़ों में नजर डालें तो सपा के 2003 में सबसे ज्यादा सात प्रत्याशी यहां जीते थे। उसके पहले 1998 के विधानसभा चुनाव में भी इनके चार प्रत्याशी चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचे थे। उसके बाद 2008 और 2018 में एक-एक प्रत्याशी चुनाव जीता था। मध्य प्रदेश में कांग्रेस से समझौता न होने पर सपा मुखिया अखिलेश यादव (SP chief Akhilesh Yadav) नाराज हैं। उन्होंने इसे लेकर हमला भी बोला है। उन्होंने कहा कि भाजपा को हराने के लिए अगर कांग्रेस को मध्यप्रदेश में समझौता नहीं करना था तो पहले ही मना कर देते। सपा ने सिर्फ उनसे वही सीटें मांगी थी जहां पिछले चुनाव में जीते या दूसरे नंबर पर थे। कांग्रेस जैसा व्यवहार सपा के साथ करेगी, उनके साथ वैसा ही किया जाएगा।