उत्तरकाशी के निर्माणाधीन टनल में फंसे मजदूरों का रेस्क्यू ऑपरेशन जारी, 80 घंटे से ज्यादा हुआ समय

80 घंटों से ज्यादा समय से टनल में फंसे 40 मजदूरों को बचाने का काम युद्ध स्तर पर जारी है। हालांकि, बीच-बीच में कुछ प्राकृतिक बाधा आने के कारण रेस्क्यू ऑपरेशन में ड्रिलिंग की रफ्तार धीमी है।

उत्तरकाशी के निर्माणाधीन टनल में फंसे मजदूरों का रेस्क्यू ऑपरेशन जारी, 80 घंटे से ज्यादा हुआ समय

उत्तरकाशी के सिलक्यारा में हुए सुरंग हादसे का बुधवार यानि 15 नवंबर को चौथा दिन है। 80 घंटों से ज्यादा समय से टनल में फंसे 40 मजदूरों को बचाने का काम युद्ध स्तर पर जारी है। हालांकि, बीच-बीच में कुछ प्राकृतिक बाधा आने के कारण रेस्क्यू ऑपरेशन में ड्रिलिंग की रफ्तार धीमी है। 

रेस्क्यू ऑपरेशन में ली जा रही एयरफोर्स की मदद

टनल में ड्रिलिंग के दौरान मलबा लगातार ऊपर से गिर रहा है, जिसके कारण ड्रिलिंग की गति धीमी है। वहीं मजदूरों को जल्द से जल्द रेस्क्यू करने के लिए प्लान बी पर भी काम चल रहा है। मजदूरों के रेस्क्यू ऑपरेशन में केंद्रीय एजेंसियां भी लगी हुई है। ये एजेंसियां एयरफोर्स की मदद से भारी ऑगर ड्रिलिंग मशीन को ला रही हैं। इस मशीनों से रेस्क्यू ऑपेरशन की रफ्तार तेज होगी। उत्तराखंड डीजीपी अशोक कुमार ने रेस्क्यू पर अपडेट देते हुए बताया कि हम जल्द ही सभी श्रमिकों को सुरक्षित बचा लेंगे।

ऑगर मशीन पर टिकी है मजदूरों के बचने की उम्मीद

जानकारी के मुताबिक, सिलक्यारा टनल में भूस्खलन के चलते फंसे 40 मजदूरों को बचाने के लिए अब उम्मीदें भारी ऑगर मशीन पर टिकी हुई हैं। पाइप पुशिंग तकनीकी वाली यह मशीन सुरंग में आए मलबे के बीच ड्रिलिंग कर 880 से 900 एमएम के पाइप को अंदर भेजेगी। इससे एक रास्ता तैयार होगा और उस रास्ते से टनल के अंदर फंसे लोग बाहर आ पाएंगे।

टनल में लगातार गिर रहा मलबा

बता दें कि रविवार सुबह यानि दिवाली के दिन निर्माणाधीन सिलक्यारा टनल में भूस्खलन हुआ था। भूस्खलन के बाद मलबा 60 मीटर के दायरे में फैला हुआ है। बीते 24 घंटे में करीब 25 मीटर क्षेत्र से मलबा हटाया गया है, लेकिन इस बीच रुक-रुककर मलबा गिरना जारी है। इसके चलते राहत और बचाव कार्य प्रभावित हो रहा है।

मंगलवार रात शुरू हुआ ड्रिलिंग का काम 

आपको बता दें कि मंगलवार को रात करीब 12 बजे मशीन से ड्रिलिंग का काम शुरू हुआ। इसके साथ ही श्रमिकों को बचाने की उम्मीद भी बढ़ी। सुरंग के अंदर मलबे में पहला पाइप डालने के लिए ड्रिलिंग शुरु हुई। लेकिन ऑगर ड्रिलिंग मशीन में तकनीकी खराबी आ गई जिसके बाद खराब मशीन को हटाकर नई ड्रिलिंग मशीन की स्थापना के लिए प्लेटफॉर्म लेवलिंग का काम शुरू किया गया। मशीन में खराबी से रेस्क्यू ऑपरेशन प्रभावित हुआ है। तकनीकी विशेषज्ञों का कहना है कि आज बुधवार को मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया जाएगा।

इसके पहले मंगलवार को सुबह से लेकर रात तक कई बार उम्मीदें बंधती और बिगड़ती रहीं। हरिद्वार से आयरन पाइप और देहरादून से ड्रिलिंग के लिए ऑगर मशीन पहुंचने के बाद दोपहर को प्लेटफार्म तैयार करने का काम शुरू हुआ। इस दौरान मलबा गिरने से कुछ समय तक कार्य बाधित रहा। रात करीब नौ बजे जब सुरंग में ड्रिलिंग शुरू हुई तो फिर मलबा गिरने लगा। जिससे उस स्थान को शॉटक्रिटिंग कर सीमेंट का छिड़काव किया गया। इसके बाद रात करीब 12 बजे फिर ड्रिलिंग शुरू हुई। इससे पहले पूजा भी की गई। 

भगदड़ में एक मजदूर घायल

गौरतलब है कि पिछले 80 घंटों से भी ज्यादा समय से टनल में फंसे मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकलने के लिए हर कोशिश की जा रही है लेकिन एक के बाद एक कोई नई समस्या सामने आ कर खड़ी हो जा रही है। मंगलवार को मशीन से ड्रिलिंग के दौरान काम कर रहे मजदूरों पर मलबा गिर गया। जिससे मजदूरों के बीच भगदड़ मच गई। भगदड़ में एक मजदूर घायल भी हो गया। जिसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है। वहीं इस घटना के बाद रेस्क्यू में लगे लोंगों और मशीन ऑपरेटरों को अलर्ट होकर काम करने के निर्देश दिए गए हैं।

12 नवंबर की सुबह हुआ था हादसा

आपको बता दें कि दीवाली के दिन यानि 12 नवंबर को सुबह करीब 5:30 बजे ये हादसा हुआ। यमुनोत्री हाईवे पर निर्माणाधीन सुरंग के सिलक्यारा वाले मुहाने से टनल में 230 मीटर अंदर मलबा गिरा। पहले 30 से 35 मीटर हिस्से में हल्का मलबा गिरा। फिर अचानक भारी मलबा व पत्थर गिरने लगे। जिसके कारण सुरंग के अंदर काम कर रहे 40 मजदूर अंदर ही फंस गए।