'Police Memorial Day': देश में पुलिस की ड्यूटी सबसे कठिन- अमित शाह

आजादी के बाद से देश भर के पुलिस बलों और सीएपीएफ के 35,000 से अधिक कर्मियों ने देश की रक्षा करते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया है। देश की रक्षा के लिए उनका बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा।

'Police Memorial Day': देश में पुलिस की ड्यूटी सबसे कठिन- अमित शाह

'Police Memorial Day': 'पुलिस स्मृति दिवस' के अवसर पर गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली स्थित नेशनल पुलिस मेमोरियल पहुंच कर शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर शाह ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि पुलिस के जवानों की ड्यूटी सबसे कठिन है। किसी भी देश की सीमा और आंतरिक सुरक्षा सतर्क पुलिस बल के बिना संभव नहीं है।

'पुलिस स्मृति दिवस' पर एक सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि देश भर में पुलिस बल देश की आंतरिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सबसे कठिन परिस्थितियों में भी अपनी जिम्मेदारियों को निभाती हैं। आजादी के बाद से देश भर के पुलिस बलों और सीएपीएफ के 35,000 से अधिक कर्मियों ने देश की रक्षा करते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया है। देश की रक्षा के लिए उनका बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। मैं उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। उन्होंने कहा कि किसी भी देश में सीमा सुरक्षा या आंतरिक सुरक्षा सतर्क पुलिस बल के बिना संभव नहीं है। आगे कहा कि देश की सेवा करने वाले सभी लोगों के बीच पुलिस की ड्यूटी सबसे कठिन है।

अमित शाह ने कहा कि, नॉर्थ-ईस्ट राज्यों में आतंकवाद, वामपंथी उग्रवाद और उग्रवाद की घटनाओं में 65 फीसदी की गिरावट आई है। नरेंद्र मोदी सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाते हुए सख्त कानून बनाए हैं। इसके साथ ही पुलिस फोर्स के मॉडर्नाइजेशन को लेकर अमित शाह ने कहा कि, हमारी सरकार ने मॉडर्नाइजेशन के लिए पुलिस टेक्नोलॉजी मिशन की स्थापना करके दुनिया की सबसे बेहतर एंटी टेररिज्म फोर्स बनाने की दिशा में काम किया है।

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि किसी भी मौसम या त्यौहार में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए एक पुलिसकर्मी हमेशा ड्यूटी पर रहता है। चाहे आतंकवाद अपराध हो या भारी भीड़ हो, पुलिस हमेशा आम लोगों की जान की सुरक्षा के लिए मौजूद रही है हमारे देश की पुलिस हमेशा हर मुद्दे पर खुद को साबित करती आई है। उन्होंने कोविड महामारी के दौरान पुलिस की भूमिका की भी सराहना की और कहा कि उन्होंने महामारी के दौरान सभी कठिन परिस्थितियों में भी चुपचाप काम किया, क्योंकि उन्होंने न केवल सभी को सहायता प्रदान की, बल्कि अंतिम संस्कार भी किया। उन्होंने कहा कि पिछले एक साल में 188 पुलिसकर्मी ड्यूटी के दौरान अपनी जान गंवा चुके हैं।