Pakadwa Vivah: सुप्रीम कोर्ट ने कथित 'पकड़वा विवाह' को रद्द करने के पटना हाईकोर्ट के आदेश पर लगाई रोक
सुप्रीम कोर्ट ने कथित 'पकड़वा विवाह' या 'जबरन विवाह' को रद्द करने के पटना उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी है।
Pakadwa Vivah: सुप्रीम कोर्ट ने कथित 'पकड़वा विवाह' या 'जबरन विवाह' (Pakadwa Vivah) को रद्द करने के पटना उच्च न्यायालय (Patna High Court) के आदेश पर रोक लगा दी है। दरअसल, पटना हाईकोर्ट ने एक शादी को इस आधार पर रद्द कर दिया गया था कि दूल्हे को बंदूक की नोक पर शादी करने के लिए मजबूर किया गया था और सात फेरे भी नहीं लिए गए थे जो कि हिंदू विवाह अधिनियम (Hindu Marriage Act), 1955 के तहत जरूरी है। न्यायमूर्ति हिमा कोहली (Justice Hima Kohli) और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह (Justice Ahsanuddin Amanullah) की पीठ ने बुधवार को आदेश दिया कि अगले आदेश तक, लागू फैसले के संचालन और कार्यान्वयन पर रोक रहेगी।
10 नवंबर को पटना उच्च न्यायालय "जबरन” विवाह को रद्द किया
10 नवंबर 2023 को पटना उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति पी बी बजंथरी (Justice P B Bajanthri) और अरुण कुमार झा (Justice Arun Kumar Jha) की पीठ ने "जबरन” विवाह को रद्द करते हुए कहा कि विवाह का पारंपरिक हिंदू (Traditional Hindu Wedding Ceremony) रूप 'सप्तपदी' और 'दत्त होम' के अभाव में विवाह वैध नहीं है। उच्च न्यायालय ने कहा, "यदि 'सप्तपदी' पूरी नहीं हुई है, तो विवाह पूर्ण और बाध्यकारी नहीं माना जाएगा।" उच्च न्यायालय (Patna High Court) के समक्ष अपनी याचिका में, अपीलकर्ता-सैन्यकर्मी ने तर्क दिया कि उसे बंदूक की नोक पर शादी के लिए मजबूर किया गया था और कहा कि उसे बिना किसी धार्मिक या आध्यात्मिक अनुष्ठान के लड़की के माथे पर सिन्दूर लगाने के लिए मजबूर किया गया था।
पकड़वा विवाह में लड़कों का जबर विवाह किया जाता
दूसरी ओर, प्रतिवादी ने कहा कि उनकी शादी जून 2013 में हिंदू रीति-रिवाजों (Hindu customs) के तहत हुई थी और शादी के समय उसके पिता ने उपहार में सोना, 10 लाख रुपये और अन्य सामग्री दी थी। 'पकड़वा विवाह' में लड़कों को अपहरण करके या बहला-फुसलाकर बंधक बना लिया जाता है और फिर रीति-रिवाजों और परंपराओं के अनुसार लड़की से शादी की जाती है और दूल्हा-दुल्हन बनने वाले लड़के और लड़की की इच्छाओं का कोई महत्व नहीं होता है।
दहेज देने में असमर्थता के कारण होता है पकड़वा विवाह
वरिष्ठ नागरिकों के अनुसार इसका मुख्य कारण यह था कि दहेज देने में असमर्थता के कारण लोग अपनी बेटियों की शादी नौकरीपेशा पुरुषों से नहीं कर पाते थे। लेकिन, वे अपनी बेटियों की शादी एक अच्छे परिवार में करना चाहते थे, इसलिए उन्होंने इस तरह की शादी की शुरुआत की थी।