Nithari Killings: जानें निठारी हत्याकांड की पूरी कहानी, मुख्य आरोपी आज हुए बरी

इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति एसएएच रिजवी की पीठ ने चर्चित निठारी कांड में आरोपित सुरेंद्र कोली और मनिंदर पंढेर को आज 16 अक्टूबर (सोमवार) को बरी कर दिया है।

Nithari Killings: जानें निठारी हत्याकांड की पूरी कहानी,  मुख्य आरोपी आज हुए बरी

Nithari Killings: इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति एसएएच रिजवी की पीठ ने चर्चित निठारी कांड में आरोपित सुरेंद्र कोली और मनिंदर पंढेर को आज 16 अक्टूबर (सोमवार) को बरी कर दिया है। बता दें कि आरोपी मनिंदर पंढेर और सुरेंद्र कोली को सीबीआई कोर्ट द्वारा साल 2017 में फांसी की सजा सुनाई गई थी।

क्या था निठारी हत्याकांड

यह मामला साल 2005-2006 के बीच का है, जब एक शख्स ने नोएडा के सेक्टर 20 थाने में अपनी बेटी के गायब होने की शिकायत दर्ज कराई थी। पुलिस के द्वारा जब इसकी जांच की गई तो निठारी कोठी नंबर डी-5 में रहने वाले मनिंदर सिंह पंढ़ेर की कोठी के पीछे स्थित नाले में से कई नरकंकाल बरामद हुए। नाले में से 40 ऐसे पैकेट भी बरामद किए गए थे जिनमें मानव अंग पाए गए थे, साथ ही कई बच्चों के नरकंकाल भी शामिल थे। जिसके बाद मनिंदर पंढेर और सुरेंद्र कोली को गिरफ्तार कर लिया गया था।

कौन है सुरेंद्र कोली

सुरेंद्र कोली उत्तराखंड के अल्मोड़ा का रहने वाला एक शख्स है जो मनिंदर सिंह पंढेर के नोएडा सेक्टर-31 डी-5 स्थित कोठी का केयरटेकर था। 2004 में मनिंदर पंढेर का परिवार पंजाब चला गया था जिससे बाद पंढेर और कोली ही घर में रहते थे। जानकारी के मुताबिक कोली नेक्रोफीलिया नामक बीमारी से पीड़ित था।

मामले में अब तक क्या हुआ

  • 29 दिसंबर 2006: नोएडा के निठारी में एक घर के पीछे के नाले से आठ बच्चों के कंकाल मिलने से निठारी हत्याकांड का खुलासा हुआ था। घर के मालिक, व्यवसायी मनिंदर सिंह पंढेर और उनके घरेलू सहायक सुरिंदर कोली को गिरफ्तार किया गया।
  • 30 दिसंबर 2006: नाले से कई और नरकंकाल भी निकाले गए।
  • 31 दिसंबर 2006: राजनीतिक दबाव बनने पर दो बीट कांस्टेबल निलंबित।
  • 3 जनवरी 2007: यूपी सरकार ने गौतमबुद्ध नगर जिले के पूर्व एसएसपी पीयूष मोर्डिया को निलंबित कर दिया गया।
  • 5 जनवरी 2007: पंढेर और कोली को उत्तर प्रदेश पुलिस के द्वारा नार्को टेस्ट के लिए गांधीनगर ले जाया गया।
  • 10 जनवरी 2007: सीबीआई ने इस मामले की जांच अपने हाथ में ले ली।
  • 11 जनवरी 2007: मामले की जांच शुरू करने के लिए सीबीआई टीम निठारी पहुंची, जब पंढेर के घर के पास 30 और हड्डियां मिलीं।
  • 12 जनवरी 2007: पंढेर और कोली से सीबीआई ने पूछताछ की।
  • 20 जनवरी 2007: यूपी सरकार ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) को रिपोर्ट दाखिल की।
  • 8 फरवरी 2007: विशेष सीबीआई अदालत ने पंढेर और कोली को 14 दिन की सीबीआई हिरासत में भेजा।
  • 13 फरवरी 2009: कई पीड़ितों में से एक, 14 वर्षीय रिम्पा हलदर के बलात्कार और हत्या के लिए कोली को एक विशेष सीबीआई अदालत ने दोषी ठहराया और मौत की सजा सुनाई।
  • 10 सितंबर 2009: पंढेर और कोली को ट्रायल कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पंढेर को अपराध से बरी कर दिया, लेकिन कोली की मौत की सजा की पुष्टि की।दिसंबर: राजनीतिक दबाव बनने पर दो बीट कांस्टेबल निलंबित।
  • 7 जनवरी 2010: सुप्रीम कोर्ट ने कोली की मौत की सज़ा पर रोक लगा दी।
  • 20 जुलाई 2014: सुरेंद्र कोली और 5 अन्य दोषियों को हुई मौत की सजा की दया याचिका राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने खारिज कर दी।
  • 8 सितंबर 2014: कोर्ट ने रात 1 बजे कोली की फांसी पर रोक लगा दी, बता दें कि कोली को उसी दिन फांसी की सज़ा होनी थी।
  • 22 जुलाई 2017: सीबीआई अदालत ने व्यवसायी मनिंदर सिंह पंढेर और उनके घरेलू सहायक सुरेंद्र कोली को दोषी ठहराया और कहा कि सजा 24 जुलाई को सुनाई जाएगी।
  • 24 जुलाई 2017: सुरेंद्र कोली और मनिंदर सिंह पंढेर को 20 वर्षीय पिंकी सरकार की हत्या और बलात्कार के प्रयास में सीबीआई अदालत ने दोषी ठहराया। दोनों के खिलाफ हत्या के 16 मामलों में से यह आठवां मामला था, जिसमें फैसला सुनाया गया।


2014 में जारी हुआ था डेथ वारंट

सुरेंद्र कोली और मनिंदर सिंह पंढेर को फांसी की सजा सुनाने के बाद सितंबर 2014 में इनके खिलाफ डेथ वारंट जारी हो गया था, गाजियाबाद की डासना जेल में बंद इन नरपिशाचों को फांसी के लिए मेरठ जेल ले जाने की तैयारी हो रही थी। संयोग से जिस तिथि के लिए वारंट जारी हुआ था, उस दिन इतवार था, ऐसे में उस दिन फांसी टल गई और आज तक टलती ही जा रही थी और आखिरकार आज दोनों आरोपी बरी कर दिए गए।

किस आधार पर हुए बरी

हाईकोर्ट ने सीधे तौर पर कोई सबूत या गवाह नहीं होने के आधार पर दोनों दोषियों को बरी करार दिया है। हालांकि इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले से सीबीआई को एक बड़ा झटका ज़रूर लगा है जिसके बाद अब सीबीआई ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का मन बना लिया है।