Lok sabha election 2024: क्या 2024 में बसपा के लिए एक बार फिर से शंख बजाएगा ब्राहम्ण? मायावती ने बनाई एक खास योजना!

Lok sabha election 2024: बहुजन समाज पार्टी अपने वोट बैंक को बढ़ाने के लिए नए फॉर्मूले बना रही है। बसपा ने अपने इसी सोशल इंजीनियरिंग के फॉर्मूले का इस्तमाल करके यूपी की सियासत में 2007 में सत्ता हासिल की थी

Lok sabha election 2024: क्या 2024 में बसपा के लिए एक बार फिर से शंख बजाएगा ब्राहम्ण? मायावती ने बनाई एक खास योजना!

Lok sabha election 2024: आगामी लोकसभा चुनाव (Loksabha Election 2024) के लिए देश के सभी दलों ने अपनी अपनी रणनीति बनाकर उस पर काम करना शुरू कर दिया है। 2024 चुनाव के लिए दो बड़े गठबंधनों ने रूप ले लिया है। एक तरफ एनडीए गठबंधन (NDA Alliance) है तो वहीं दूसरी तरफ इंडिया गठबंधन (I.N.D.I.A Alliance) है। लेकिन वहीं कुछ ऐसे दल भी हैं जिन्होने इन दोनों गठबंधनों से दूरी बनाकर रखी हुई है। इसी कड़ी में बहुजन समाज पार्टी (Bahujan Samaj Party) ने अपने वोट बैंक को मजबूत करने के लिए कई फॉर्मूलों पर काम कर रही है।

बसपा तरफ अपने कैडर के वोट बचाने की चुनौती पर काम कर रही है जिसपर लगातार भारतीय जनता पार्टी (Bhartiya Janta Party) और समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) सेंधमारी की कोशिशों में लगी हुई है। वहीं दूसरी तरफ बसपा अपने साथ सवर्णों को जोड़ने की दिशा में काम कर रही है।

2007 के फॉर्मूले पर काम

बसपा अपने 2007 के फॉर्मूले को आगामी लोकसभा के चुनाव में एक बार फिर से लागू करना चाहती है। बसपा ने अपने इसी सोशल इंजीनियरिंग के फॉर्मूले का इस्तमाल करके यूपी की सियासत में 2007 में सत्ता हासिल की थी। उस विधानसभा चुनाव में बसपा ने 86 विधानसभा सीटों पर ब्राह्मणों को टिकट दिया था और 41 सीटों पर उन्हें जीत हासिल हुई थी।

हालांकि इसके बाद बसपा का ये फॉर्मूला 2012 या 2017 में काम नही आया। एक तरफ बसपा से सवर्णों का वोट तो गया ही, 2017 से उसका बेस वोट बैंक भी दरकने लगा जिसका परिणाम 2019 के लोकसभा चुनाव में देखने को मिला।

सवर्ण वोट बैंक पर नजर

जानकार बताते है कि बसपा अपने बेस वोट को और मजबूत करने पर काम कर रही है जिसके लिए बसपा प्रमुख मायावती ने पिछले कई दिनों कई बैठकें भी की है। बसपा नहीं चाहती की किसी भी तरह से उसका बेस वोट बैंक उससे अलग हो। इसके अलावा पार्टी सवर्ण वोटों को अपने पाले में करने के लिए अलग से कार्य योजना बना रही है। बसपा के वरिष्ठ नेता ने बताया कि पार्टी संगठन सर्व समाज फॉर्मूले पर विशेष जोर रहेगा, खासकर कमजोर और न्याय प्रिय सवर्ण ब्राम्हण, क्षत्रिय वैश्य सभी को एक बार पार्टी में मजबूती के साथ जोड़ने का काम किया जाएगा।

‘जनता से करेगें गठबंधन’

बसपा के प्रदेश अध्यक्ष (BSP State President) विश्वनाथ पाल (Vishwanath Pal)  ने 2024 के गठबंधन के सवाल पर जवाब देते हुए कहा कि ‘2007 की तरह जनता से बसपा का गठबंधन होगा। हमारी पार्टी हर समाज को लेकर चलती है. लोकसभा चुनाव को लेकर 10 बूथ का एक कैडर कैंप चल रहा है जिसमें सर्व समाज के लोगों को बुलाया जाता है। गरीब सवर्ण को बुला रहे हैं।’ बसपा मानकर चल रही है कि यही सवर्ण वोट अगर भाजपा से खिसकर बसपा की तरफ आया तो भाजपा ढलान पर जा सकती है। 

सवर्ण वोट क्यों जरूरी?

राजनीतिक विश्लेषक प्रसून पांडेय बताते है कि ‘यूपी की सियासत में सवर्ण महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। इनका सरकार बनाने में काफी बड़ा रोल रहा है। कांग्रेस, सपा और बसपा इनकी बदौलत ही सत्ता में रही है। 2007 के बाद से मायावती का इस वोट बैंक पर खास फोकस रहता है। इस समय उनके सामने अपने बेस वोट बचाए रखने की और सवर्ण वोट जोड़ने की बड़ी चुनौती है। इसमें वह कितना कामयाब होगी यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।