Day fourth of navratri:नवरात्रि के चौथे दिन होती है मां कूष्मांडा की पूजा, जानें विधि, मंत्र और भोग
शारदीय नवरात्रि शुरूआत हो चुकी है और कल नवरात्रि का चौथ दिन है। कल के दिन देवी मां के कूष्मांडा रूप की पूजा अर्चना की जाती है। उन्हें सौरमंडल की अधिष्ठात्री देवी भी कहा जाता है।
Day fourth of Navratri: शारदीय नवरात्रि शुरूआत हो चुकी है और कल नवरात्रि का चौथ दिन है। कल के दिन देवी मां के कूष्मांडा रूप की पूजा अर्चना की जाती है। उन्हें सौरमंडल की अधिष्ठात्री देवी भी कहा जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार , मां के कुष्मांडा रूप की पूजा अर्चना करने से सभी प्रकार के दुखों का नाश होता है, तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि कैसे कूष्मांडा देवी की पूजा अर्चना आपको करनी चाहिए, उनका मंत्र क्या है और भोग के रूप में उन्हें क्या चढ़ाना चाहिए।
मां को इसलिए कहा जाता है कुष्मांडा
देवी भागवत पुराण के अनुसार, मां दुर्गा के चौथे रूप ने अपनी मंद मुस्कान से ब्रह्मांड की उत्पत्ति की थी, इसलिए मां का नाम कुष्मांडा देवी पड़ा। ऐसी मान्यता है कि सृष्टि के आरंभ में चारों तरफ अंधियारा था और मां ने अपनी हल्की हंसी से पूरे ब्रह्मांड को रच डाला। सूरज की तपिश को सहने की शक्ति मां के अंदर है।
मां कुष्मांडा का रूप कैसा है?
मां कुष्मांडा का स्वरूप बहुत ही दिव्य और अलौकिक माना गया है। मां कुष्मांडा शेर की सवारी करती हैं और अपनी आठ भुजाओं में दिव्य अस्त्र धारण करती हैं। मां कुष्मांडा ने अपनी आठ भुजाओं में कमंडल, कलश, कमल, सुदर्शन चक्र धारण किया हुआ हैं। मां का यह रूप हमें जीवन शक्ति प्रदान करने वाला माना जाता है।
ऐसे करें मां कूष्मांडा की पूजा-अर्चना
माता कूष्मांडा देवी की पूजा-अर्चना करने के लिए सबसे पहले सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके पीले वस्त्र पहनें। पूजा के दौरान देवी मां को पीले वस्त्र फूल, फल, मिठाई, धूप, दीप, नैवेद्य, अक्षत आदि अर्पित करें। और एक पान के पत्ते को ओम बृं बृहस्पतये नमः मंत्र बोलते हुए माता को चढ़ाएं। इस बीच ॐ कूष्माण्डायै नम: मंत्र का जाप करें। सारी सामिग्री अर्पित करने के बाद मां की आरती करें और भोग लगाएं। सबसे आखिर में क्षमा याचना करें और ध्यान लगाकर दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ करें।
मां को लगाए ये भोग
मां कुष्मांडा को कुम्हरा यानी के पेठा सबसे प्रिय है। इसलिए इनकी पूजा में पेठे का भोग लगाना चाहिए। आप देवी की पूजा में सफेद समूचे पेठे के फल की बलि चढ़ा सकते हैं। इसके साथ ही देवी को मालपुए और दही हलवे का भी भोग लगाना अच्छा होता है।
मां कुष्मांडा की आरती
कूष्मांडा जय जग सुखदानी।
मुझ पर दया करो महारानी॥
पिगंला ज्वालामुखी निराली।
शाकंबरी माँ भोली भाली॥
लाखों नाम निराले तेरे ।
भक्त कई मतवाले तेरे॥
भीमा पर्वत पर है डेरा।
स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥
सबकी सुनती हो जगदंबे।
सुख पहुँचती हो माँ अंबे॥
तेरे दर्शन का मैं प्यासा।
पूर्ण कर दो मेरी आशा॥
माँ के मन में ममता भारी।
क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥
तेरे दर पर किया है डेरा।
दूर करो माँ संकट मेरा॥
मेरे कारज पूरे कर दो।
मेरे तुम भंडारे भर दो॥
तेरा दास तुझे ही ध्याए।
भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥