Navratri first day: नवरात्रि के पहले दिन इस तरह करें कलश स्थापना, मां शैलपुत्री हो जायेंगी प्रसत्र
शारदीय नवरात्र का आज पहला दिन है इस दिन मां शैलपुत्री की पूजा होती है। और साथ ही आज के दिन कलश स्थापना भी की जाती है।
Navratri first day: शारदीय नवरात्र आज यानी 15 अक्टूबर से शुरु हो गये हैं। नवरात्र का पहला दिन मां शैलपुत्री को समर्पित होता है। नवरात्र के पहले दिन (Navratri 1st Day ) घट स्थापना और मां शैलपुत्री (Maa Shailputri) की पूजा का विधान होता है। इसी दिन से मां दुर्गा का आगमन होता है और देवी पक्ष की शुरुआत होती है। माना जाता है कि मां शैलपुत्री की पूजा से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। तो आज हम आपको बतायेंगे कि नवरात्र के पहले दिन देवी मां के शैलपुत्री रूप की पूजा कैसे करनी चाहिए, पूजा की विधि (Puja Vidhi) और मंत्र। मान्यता है कि मां शैलपुत्री की पूजा से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
शैलपुत्री
पर्वतराज हिमालय के यहां जन्म लेने के कारण इन्हें शैलपुत्री कहा जाता है। पार्वती के रूप में इन्हें भगवान् शंकर की पत्नी के रूप में भी जाना जाता है। वृषभ (बैल) इनका वाहन होने के कारण इन्हें वृषभारूढा के नाम से भी जाना जाता है। माता शैलपुत्री दाएं हाथ में त्रिशूल है और बाएं हाथ में कमल धारण करती हैं।
कलश स्थापना की विधि
सुबह उठकर स्नान करें और मंदिर साफ करें। माता का गंगाजल से अभिषेक करें। अक्षत, लाल चंदन, चुनरी और लाल पुष्प अर्पित करें। सभी देवी-देवताओं का जलाभिषेक कर फल, फूल चढ़ाए और तिलक लगाएं। इसके बाद कलश को स्थापित करें। प्रसाद के रूप में फल और मिठाई चढ़ाएं। घर के मंदिर में धूपबत्ती और घी का दीपक जलाएं दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ करें।
क्यों करते हैं कलश स्थापना
कलश स्थापना का अर्थ है नवरात्र के वक्त ब्रह्मांड में मौजूद शक्ति तत्व का घट यानी कलश में आह्वान करना। इसकी स्थापना करने से घर की नकारात्मक ऊर्जा खत्म हो जाती है। नवरात्र के पहले दिन पूजा की शुरुआत दुर्गा पूजा के लिए संकल्प लेकर ईशान कोण (पूर्व-उत्तर) में कलश स्थापना करके की जाती है। नवरात्र में स्थापित कलश नकारात्मक ऊर्जा खत्म कर देता है। इससे घर में शांति रहती है। घर में रखा कलश माहौल को भक्तिमय बनाता है। इससे पूजा में एकाग्रता बढ़ती है। अगर घर में कोई व्यक्ति बीमार रहता है तो नारियल का कलश उसको दूर करने में मदद करता है। कलश को भगवान गणेश का रूप भी माना जाता है, इससे कामकाज में आ रही रुकावटें भी दूर होती हैं।
इन मंत्रों का करें उच्चारण
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे ॐ शैलपुत्री देव्यै नम:। ॐ शं शैलपुत्री देव्यै: नम:।