Chhath day 2: छठ के दूसरे दिन क्यों मनाते है खरना, क्या बनता है प्रसाद
छठ पूजा का पर्व दो दिनों तक चलता है। इसके दूसरे दिन को खरना कहते है। इस दिन खास तरीकें का प्रसाद बनता है।
Chhath day 2 : आज से छठ व्रती निर्जला व्रत की शुरुआत हो गयी है। यह त्योहार 4 दिनों तक चलता है। इसके दूसरे दिन को खरना कहते है। खरना का दिन बेहद ही महत्वपूर्ण होता है। इस दिन से व्रतधारी 36 घंटे का कठिन निर्जला व्रत रखती है। मन की शुद्धता के बाद खरना प्रारंभ होता है। खरना के दिन महिलाएं उपवास रखती हैं और छठी माता के लिए प्रसाद बनाती है।
क्या बनता है प्रसाद
खरना के दिन विशेष प्रकार का प्रसाद बनाया जाता है। जिसमें गुड़ और चावल की खीर बनाने की परंपरा है। बता दें कि इस दिन व्रत रखने वाली महिलाएं सूर्य देव को जल देकर ही इस प्रसाद को ग्रहण करती हैं। जिसके बाद घर के बाकी सदस्यों में इसका वितरण किया जाता है। माना जाता है कि छठ पर्व की असली शुरुआत उसके दूसरे दिन से यानि की खरना से ही होती है।
किस तरह करें पूजा
खरना की पूजा करने का तरीका सभी पूजाओं से अलग है। इस दिन दूध,गंगाजल, गुड़ एवं अरवा चावल को मिलाकर खीर बनाई जाती है। खीर में चीनी की अपेक्षा गुड़ को मह्तव दिया जाता है। कहा जाता है कि गुड़ ज्यादा शुद्ध होता है। आपको बता दें कि गुड़ की खीर के अलावा शुद्ध रूप से पिसा हुआ गेहूं के आटे की रोटी भी बनती है। इस दिन सभी प्रसाद को आम की लकड़ी की आग पर बनाया जाता है। शाम में सूर्य अस्त होने के बाद भगवान भास्कर और छठी मां की पूजा करते हैं। शास्त्रों के मुताबिक खरना की पूजा पर पहले भगवान को अलग से प्रसाद चढ़ाया जाता है जिसे केले के पत्ते पर रखा जाता है ऐसा करना इस दिन शुभ माना जाता है। पौराणिक परंपरा के अनुसार खरना का प्रसाद केले के पत्ते पर ही खाना चाहिए, लेकिन अधिकांश जगहों पर केला का पत्ता मिलना संभव नहीं होता है तो लोग मिट्टी के बर्तन में भगवान सूर्य को खरना का चढ़ाते है। छठ व्रती द्वारा खरना करने के बाद सूर्य देव के लिए निकाला गया प्रसाद घर के सभी सदस्यों को दिया जाता है। उसके बाद आसपास के लोगों को प्रसाद खाने के लिए बुलाया जाता है। खरना के बाद से ही छठ व्रती लगभग 36 घंटे तक निर्जला उपवास रखते हैं।