Supreme Court verdict on Article 370: धारा 370 हटाने का फैसला संवैधानिक, SC ने सितंबर 2024 तक चुनाव कराने का दिया आदेश

5 जजों की संविधान पीठ ने कहा कि आर्टिकल 370 अस्थायी प्रावधान था। संविधान के अनुच्छेद 1 और 370 से स्पष्ट है कि जम्मू और कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और इसलिए भारतीय संविधान के सभी प्रावधान वहां लागू हो सकते हैं।

Supreme Court verdict on Article 370: धारा 370 हटाने का फैसला संवैधानिक, SC ने सितंबर 2024 तक चुनाव कराने का दिया आदेश

Supreme Court verdict on Article 370 : आज सोमवार 11 दिसंबर को केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर से धारा 370 (Article 370) हटाने के आदेश बरकार रखने का फैसला दिया। सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर से धारा 370 (Article 370) हटाने के केंद्र सरकार के फैसले को संवैधानिक (Article 370 is Constitutional) करारा दिया और इसे बरकरार रखने की बात कही। 

क्या दिया फैसला

बता दें कि केंद्र ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से 370 (Article 370 Removal Date) हटा दिया था। इसके 4 साल बाद हुई सुनवाई में कोर्ट ने कहा कि, 'हम आर्टिकल 370 को निरस्त करने के लिए जारी राष्ट्रपति के आदेश को वैध मानते हैं। हम लद्दाख (Union Territory) को केंद्र शासित प्रदेश बनाने के फैसले की वैधता को भी बरकरार रखते हैं।' इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में 30 सितंबर 2024 तक विधानसभा चुनाव कराने के आदेश दिए हैं। 5 जजों की संविधान पीठ ने कहा कि आर्टिकल 370 अस्थायी प्रावधान था (Article 370 was temporary provision)। संविधान के अनुच्छेद 1 और 370 से स्पष्ट है कि जम्मू और कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और इसलिए भारतीय संविधान के सभी प्रावधान वहां लागू हो सकते हैं।

2019 में किया था 370 निरस्त

दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार (Narendra Modi Government) ने अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान 5 अगस्त 2019 को आर्टिकल 370 खत्म (Abrogation of Article 370) कर दिया था। इसी के साथ जम्मू-कश्मीर को 2 हिस्सों जम्मू-कश्मीर (UT of Jammu and Kashmir) और लद्दाख (UT of Ladakh) में बांट दिया था। और इन्हें केंद्र शासित प्रदेश घोषित किया था।

96 दिनों बाद सुनाया फैसला

केंद्र सरकार (Central government) के फैसले खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कुल 23 याचिकाएं दाखिल हुई थीं। 5 जजों की बेंच ने सभी याचिकाओं की एक साथ सुनवाई की थी। संविधान पीठ में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (CJI Chandrachud), जस्टिस बीआर गवई (Justice BR Gavai), जस्टिस सूर्यकांत (Justice Suryakant), जस्टिस संजय किशन कौल (Justice Sanjay Kishan Kaul) और जस्टिस संजीव खन्ना (Justice Sanjiv Khanna) शामिल थे। बेंच के सामने लगातार 16 दिन तक चली सुनवाई 5 सितंबर को खत्म हुई थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court of India) ने सुनवाई के 96 दिन बाद केस पर फैसला सुनाया।

क्या है अनुच्छेद 370

दरअसल अनुच्छेद 370 एक संवैधानिक प्रावधान है जो जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देता है। प्रावधान को संविधान के भाग XXI (Part 21 of Indian Constitution) में शामिल किया गया था जिसका शीर्षक है अस्थायी, संक्रमणकालीन और विशेष प्रावधान। अनुच्छेद 370 की प्रमुख विशेषता यह थी कि संसद द्वारा पारित केंद्रीय कानून पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य पर स्वचालित रूप से लागू नहीं होते थे, और यह राज्य विधानमंडल का अधिकार था कि वह एक समानांतर अधिनियम पारित करके उन्हें मंजूरी दे। 

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5 अगस्त 2019

केंद्र सरकार की तरफ से गृहमंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम विधेयक (Jammu Kashmir Reorganization Bill) को राज्यसभा में पेश किया था। इसमें जम्मू कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया गया। राज्यसभा में उसी दिन इसे पारित कर दिया गया। जिसके बाद 6 अगस्त को ये विधेयक लोकसभा से भी यह पारित हो गया। 9 अगस्त 2019 को इसे राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई, जिसके बाद जम्मू कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा हट गया।

28 अगस्त 2019 

28 अगस्त 2019 को सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की पीठ ने राष्ट्रपति के आदेश की संवैधानिकता पर दलीलें सुनना शुरू किया और दो दिनों की बहस के बाद मामले को संविधान पीठ के पास भेजने का फैसला किया था। 

मार्च 2020 

मार्च 2020 में पांच जजों की संविधान पीठ ने शाह फैसल बनाम केंद्र सरकार मामले में केंद्र सरकार के फैसले की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को 7 जजों की बड़ी संविधान पीठ के पास भेजने से इनकार कर दिया था। 

3 जुलाई 2023 

3 जुलाई 2023 को अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने नई संविधान पीठ का गठन किया। जिसकी अध्यक्षता मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ करे रहे थे। पीठ में जस्टिस एसके कौल, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस संजीव खन्ना भी शामिल रहे। 

11 जुलाई 2023 

11 जुलाई 2023 को केंद्र सरकार और याचिकाकर्ताओं की तरफ से पेश होने वाले वकील मुख्य न्यायाधीश के कोर्ट में इकट्ठा हुए। जिसके बाद पीठ ने 2 अगस्त 2023 से इस मामले पर नियमित सुनवाई करने को कहा। एक याचिकाकर्ता ने इस दौरान अपनी याचिका वापस ले ली। 

2 अगस्त 2023 

2 अगस्त 2023 से अनुच्छेद 370 के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में नियमित सुनवाई हुई, जो 5 सितंबर 2023 तक चली। 5 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। अब 96 दिनों बाद सोमवार यानी 11 दिसंबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुनाया।