Alankrita Pandey: कौन हैं डीएम अंलकृता पांडेय? जो दफ्तर जाने से पहले सड़क पर खुद ही करवाने लगी ट्रैफिक क्लियर

जहानाबाद की सड़कों पर उस वक्त अफरा तफरी मच गई जब खुद डीएम अलंकृता पांडे अपनी गाड़ी उतर कर ट्रैफिक को कंट्रोल करने लगीं। दरअसल हुआ कुछ यूं कि सोमवार को सोमवार जहानाबद डीएम अलंकृता पांडेय अपने ऑफिस जा रही थीं कि तभी उनकी नज़र लचर ट्रैफिक व्यवस्था पर पड़ी। फिर क्या था डीएम मैडम तुरंत गाड़ी से उतर गईं और खुद से ही ट्रैफिक कंट्रोल करने लगीं।

Alankrita Pandey: कौन हैं डीएम अंलकृता पांडेय? जो दफ्तर जाने से पहले सड़क पर खुद ही करवाने लगी ट्रैफिक क्लियर

Alankrita Pandey: जहानाबाद की सड़कों पर उस वक्त अफरा तफरी मच गई जब खुद डीएम अलंकृता पांडे अपनी गाड़ी उतर कर ट्रैफिक को कंट्रोल करने लगीं। दरअसल हुआ कुछ यूं कि सोमवार को सोमवार जहानाबद डीएम अलंकृता पांडेय अपने ऑफिस जा रही थीं कि तभी उनकी नज़र लचर ट्रैफिक व्यवस्था पर पड़ी। फिर क्या था डीएम मैडम तुरंत गाड़ी से उतर गईं और खुद से ही ट्रैफिक कंट्रोल करने लगीं।ट्रैफिक नियमों में लापरवाही चलते उन्होंने वहां मौजूद ट्रैफिक स्टाफ की भी जमकर क्लास लगाई। इतना ही नहीं उन्हेंने यातायात नियमों का पालन न करने वालों के चालान कटवाए तो वहीं कई गाड़ियां भी जब्त की गईं। तो चलिए जानते हैं कि कौन है डीएम अलंकृता पांडे जिनके काम की खूब सराहना हो रही हैं।

कौन हैं डीएम अंलकृता पांडेय?

UPSC परीक्षा पास कर अपनी अलग पहचान बनाने वाली IAS अधिकारी अलंकृता पांडेय (IAS officer Alankrita Pandey) के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनके काम करने के अंदाज़ से चारों तरफ़ तारीफ़ हो रही है। IAS अधिकारी अलंकृता पांडेय मौजूदा वक्त में जहानाबाद की डीएम (DM of Jehanabad) हैं।

मीडिया से ख़ास बातचीत में जहानाबाद डीएम अलंकृता पांडेय ने कहा कि, कई बार ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारने के लिए दिशा निर्देश दिए गए थे, लेकिन उस पर अम्ल नहीं किया जा रहा था।

2015 में क्रैक किया था यूपीएससी

IAS अलंकृता पांडेय की सोच जितनी शानदार है, वैसे ही उनकी कामयाबी कहानी भी काफी प्रेरणादायक है। साल 2015 में अलंकृता पांडेय ने पहली कोशिश में ही यूपीएससी परीक्षा में कामयाबी हासिल कर ली थी। उन्होंने 85वीं ऑल इंडिया रैंक हासिल की थी।

उत्तर प्रदेश के कानपुर की रहने वाली 2016 बैच की।AS अधिकारी अलंकृता पांडेय को शुरुआत में वेस्ट बंगाल कैडर अलॉट हुआ था। IAS अंशुल अग्रवाल से शादी के बाद इंटर कैडर ट्रांसफर कर उन्हें बिहार भोज दिया गया। आईएएस अलंकृता के यूपीएससी का सफर काफी संघर्षपूर्ण रहा। साल 2014 में ही उन्होंने यूपीएससी एग्जाम की तैयारी का फैसला किया, लेकिन बीच साल में ही वह डिप्रेशन की मरीज़ हो गई थी।

एंटी डिप्रेशन दवाई और एंगर मैनेजमेंट के साथ-साथ दोस्तों और परिवार के लोगों की काउंसलिंग उन्होंने इस मर्ज़ से बाहर निकलने की कोशिश भी की। लेकिन साल 2014 के UPSC प्रीलिम्स में शामिल नहीं हो पाईं। साल 2015 में वह मर्ज को मात देते हुए पहली बार UPSC Exam दी और कामयाब हो गई।

यूपीएससी से पहले आईटी कंपनी में करती थी जॉब

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के लिए अलंकृता रोज़ाना आठ घंटे पढ़ाई करती थीं। गौरतलब है कि वह यूपीएससी एग्जाम देने से पहले बेंगलुरु की एक आईटी कंपनी में काम करती थीं। उन्होंने MNNIT इलाहाबाद से इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन की तालीम ली है।

आपको बता दें कि अलंकृता पांडेय को इंटर कैडर तबादले के लिए सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (CAT) और बाद में दिल्ली हाईकोर्ट का रुख करना पड़ा था। दिल्ली हाईकोर्ट के फ़ैसले पर केंद्र सरकार की तरफ़ से कैडर बदला गया था। इंटर कैडर तबादला के लिए उन्हें दो साल से ज्यादा वक्त तक परेशानी झेलनी पड़ी थी।

अलंकृता पांडेय ने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए कामयाबी का मंत्र भी दिया है। सुबह 6 बजे उनके दिन की शुरुआत होती है। जॉगिंग और योग के बाद वह पढ़ाई करने बैठती थीं। किसी प्रकार की परेशानी महसूस होती तो कागज पर आईएएस की तैयारी क्यों शुरू लिखती थीं। इससे अपने गोल (लक्ष्य) को टारगेट कर पाती थी।

अलंकृता ने एक ही सबजेक्ट की कई किताबों की पढ़ने की बजाए एक ही किताब को कई बार पढ़ा। पहले मैक्रो लेवल पर पकड़ हासिल की और बाद में माइक्रो लेवल के प्वॉइंट्स क्लियर किए। सब्जेक्टवाइज और ऑब्जेक्टिव की तैयारी कर उन्होंने मई 2015 में UPSC मेन्स के सिलेबस की तैयारी पूरी कर ली थी।