9/11 Terror Attack: अमेरिकी इतिहास की वो घटना, जिसने दुनिया को झकझोर कर रख दिया
9/11 Terror Attack: सितंबर साल 2001 में न्यूयॉर्क के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर, पेंटागन, पेंसिलवेनिया पर एक के बाद एक हुए एक आत्मघाती हमले में करीब-करीब 3000 लोगों ने अपनी जान गवां दी थी। इस हमले में आतंकी संगठन अल-काएदा का हाथ था।
9/11 Terror Attack: अमेरिका में हुए 9/11 के आतंकी हमले को आज 22 साल पूरे हो चुके हैं। क्रमवार हुए तीन हमलों में कम से कम 3000 लोगों की मौत हो गई थी। इस हमले के बाद से अमेरिका में एक अलग ही तरह की दहशत थी। दुनिया के कई देशों ने इस आत्मघाती हमले के बाद अपने यहां भी रेड अलर्ट जारी कर दिया था। ये हमला दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश की अस्मिता पर प्रहार था। पलक झपकते ही अमेरिका में हजारों लोगों की मौत हो गई।
कैसे हुआ 9/11 का आतंकी हमला?
अल-कायदा से जुड़े आतंकियों ने 11 सितंबर 2001 को चार विमानों को हाईजेक किया। इनका मकसद विमानों को चार अलग-अलग जगहों पर क्रैश कराना था। जिसमें से पहली अमेरिकन एयरलाइंस (American Airlines) की फ्लाइट सुबह के करीब पौने नौ बजे वर्ल्ड ट्रेड सेंटर (World Trade Center) के उत्तरी टावर से टकराई, दूसरी फ्लाइट 175 ठीक 17 मिनट बाद दक्षिणी टावर से टकराई। हाई अलर्ट जारी होने के बावजूद सुबह 9.37 बजे अमेरिकन एयरलाइंस फ्लाइट 77 वॉशिंगटन (washington DC) स्थित अमेरिकी रक्षा मंत्रालय (US Department of Defense) पेंटागन (Pentagon) से टकराई। चौथा विमान जो हाईजैक हुआ था उसका नाम यूनाइटेड एयरलाइंस (United Airlines) फ्लाइट 93 था। जिसका लक्ष्य व्हाइट हाउस (White House) या यूएस कैपिटल बिल्डिंग (US Capitol Building) को निशाना बनाने का था, लेकिन आतंकी की यात्रियों से भिड़ंत की वजह से उसके हाथ से विमान का नियंत्रण छूट गया और वह पेन्सिलवेनिया के शैंक्सविल के एक मैदानी इलाके में जा गिरा।
9/11 की इन चारो घटनाओं में लगभग 3000 लोगों की मौत हो गई थी। मरने वालों में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर (World Trade Center) और उसके आस-पास के करीब 2606 लोग पेंटागन के करीब 125 लोग, विमान में सवार 246 लोग मारे गए थे। हालांकि, अमेरिकी सरकार इस आंकड़े को आज भी पूरी तरह से पुख्ता नहीं मानती। उसका मानना है बचाव अभियान में शामिल बचावकर्मी व बचाव अभियान में मौजूद अमेरिकी सेना के लड़ाकू दस्ते के कई अमेरिकन गार्ड भी मारे गए थे।
जॉर्ज डब्लू बुश ने 9 बजे किया राष्ट्र को संबोधित
जिस दौरान ये हमला हुआ था, उस वक्त अमेरिका के राष्ट्रपति (President of America) जॉर्ज डब्लू बुश (President George W Bush) थे। घटनाक्रम के दौरान वे फ्लौरिडा (US state Florida) में मौजूद थे। जैसे ही उन्हें इस हमले की जानकारी मिली वे तुरंत ही वॉशिंगटन के लिए रवाना हुए। शाम के करीब 7 बजे तक वॉशिंगटन स्थित व्हाइट हाउस को अमेरिकी सेना (us Army) ने अपने कब्जे में लेकर सुरक्षित कर दिया। इसके बाद ही उन्होंने व्हाइट हाउस स्थित ओवल से देश को संबोधित किया।
कैसे लिया गया हमले का बदला?
अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्लू बुश ने उप राष्ट्रपति डिक चेनी (Vice President Dick Cheney) से कहा कि, ‘हम युद्ध के मैदान में आ चुके हैं। उन्हें इसकी भारी कीमत चुकानी होगी।’ आपको बता दें इस दिल दहला देने वाले हमले के पीछे अल कायदा सरगना ओसामा बिन लादेन (Osama bin Laden) का हाथ था। इस हमले के बाद अमेरिका ने दुनियाभर से आतंकवाद को खत्म करने का बीड़ा उठा लिया। इसी सिलसिले में उसने लेबनान (lebanon) से लेकर ईराक तक से आतंकी हमलों के बारे में जानकारी जुटाना शुरू कर दिया। इस हमले का कनेक्शन आतंकी संगठन अल-कायदा से था। जिसका मास्टरमाइंड ओसामा-बिन-लादेन था।
अमेरिका हमले की प्लानिंग अफगानिस्तान में हुई
इन हमलों की पूरी प्लानिंग अफगानिस्तान (afghanistan) में की गई जहां ओसामा बिन-लादेन को अफगानिस्तान की तालिबानी सरकार (taliban government) का पूरा समर्थन भी हासिल था। इस हमले के बाद राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश (President George W Bush) ने ओसामा बिन लादेन (Osama bin Laden) और उसके आतंकी संगठन अल कायदा (terrorist organization al Qaeda) को खत्म करने की ठान ली थी। इस घटना के बाद जब अमेरिका को ये बात पता चली तब उसने अफगानिस्तान से तालिबानी शासन हटाने की कवायद भी तेज कर दी। इसी के बाद अमेरिकी सरकार ने इंटेलिजेंस (US government intelligence) और रेकी के जरिए तालिबान और अल-कायदा के लड़ाकों का पता लगाना शुरू कर दिया। उसके बाद उसने अफगानिस्तान में ऑपरेशन इंडयूरिंग फ्रीडम (Operation Enduring Freedom) को लॉन्च किया गया। जिसके बाद साल 2011 में पाकिस्तान के एबटाबाद में अमेरिकी सील्स ने मार गिराया।