Google Doodle Hamida Banu: कौन है हमीदा बानो जिनका डूडल आ रहा गूगल पर नजर !
अगर आज आपने अभी तक गूगल का इस्तेमाल किया तो आपको एक अलग सा डूडल नजर आया होगा, पिंक कलर के ड्रेस में एक रेसलर नजर आ रही होगी, जी हां, नजर आ रही होगी, क्योंकि वो एक महिला रेसलर का ही डूडल है आप उस डूडल पर टैप करके उनके बारे में पढ़ भी सकते हैं, यकीन जानिए, उस महिला के बारे में जानकार आपको भी हैरानी होगी।
Google Doodle Hamida Banu:अगर आज आपने अभी तक गूगल का इस्तेमाल किया तो आपको एक अलग सा डूडल नजर आया होगा, पिंक कलर के ड्रेस में एक रेसलर नजर आ रही होगी, जी हां, नजर आ रही होगी, क्योंकि वो एक महिला रेसलर का ही डूडल है, ज़रा सा ध्यान से देखेंगे आप तो आपको पता चल जाएगा, साथ ही आप उस डूडल पर टैप करके उनके बारे में पढ़ भी सकते हैं, यकीन जानिए, उस महिला के बारे में जानकार आपको भी हैरानी होगी।
कौन हैं डूडल वाली रेसलर
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में 1900 के दशक में हमीदा बानो (Hamida Banu) का जन्म हुआ। उनके जन्म की तारीख की सटीक जानकारी कहीं नहीं मिलती। हमीदा पहलवानों के परिवार में जन्मीं तो उनका मन भी पहलवानी में लगने लगा। उस दौर में कुश्ती सिर्फ पुरुषों तक सीमित थी, महिलाओं के लिए सिर्फ घर का काम ही बना था। ऐसे में हमीदा ने परिवार के सामने कुश्ती में दिलचस्पी की बात कही तो अलग ही बवाल मच गया। परिवार ने उन्हें खूब ताने दिए। लेकिन हमीदा नहीं मानीं, परिवार से बगावत करके सलाम पहलवान से कुश्ती के दांव-पेंच सीखे।
कुछ ही दिनों में वे बिल्कुल पुरुष पहलवानों की तरह कुश्ती लड़ने लगी। कुछ साल में भारत की पहली महिला पहलवान (first female wrestler) के बारे में सुनकर हर कोई दंग रह जाता था। वे उत्तर प्रदेश से लेकर कई राज्यों में मशहूर हो गईं।1940 और 1950 के दौरान अपने करियर में 300 से अधिक प्रतियोगिताओं में जीत दर्ज की।. इसी के बाद उनका नाम ‘अमेजन ऑफ अलीगढ़’ पड़ गया। उन्होने चुनौती देते हुए ऐलान किया था कि जो भी उन्हें दंगल में हराएगा वे उससे शादी करेंगी। लाहौर के फिरोज खान और कोलकाता के पहलवान खड़ग सिंह ने चुनौती स्वीकार की, लेकिन हमीदा ने दोनों को चित कर दिया। बाद में हमीदा के कोच सलाम पहलवान से उनकी शादी हुई।
पति ने तोड़े थे हाथ-पैर
बताया जाता है कि एक बार हमीदा साल 1954 में यूरोप जाकर कुश्ती लड़ना चाहती थी। लेकिन उनके पति को ये बात पसंद नहीं आई। हमीदा बानो ने रूस की पहलवान वेरा चिस्टिलीन को मुंबई में हराया था। वेरा को रूस की ‘फीमेल बियर’ कहा जाता था, लेकिन हमीदा ने वेरा को 1 मिनट से भी कम समय में धूल चटा दी। वे यूरोप जाकर कुश्ती लड़ना चाहती थीं। हमीदा के कोच और पति सलाम पहलवान को यूरोप जाकर कुश्ती लड़ने वाला आइडिया पसंद नहीं आया। बीबीसी की एक रिपोर्ट बताती है कि हमीदा बानो के पोते फिरोज शेख ने बताया था कि, हमीदा ने यूरोप जाकर कुश्ती लड़ने की जिद नहीं छोड़ी तो सलाम पहलवान ने उनकी इतनी पिटाई की कि उनका हाथ-पैर टूट गया, कई सालों तक वह लाठी के सहारे चलती रहीं।
सबसे कमाल का मैच
जिस महिला को आप स्क्रीन पर देख रहे हैं, वो भारत की पहली महिला रेसलर हैं। नाम है हमीदा बानो।
1954 में आज ही के दिन केवल 1 मिनट 34 सेकेंड में उन्होने एक कुश्ती मैच में कमाल कर दिया था। आज ही के दिन उन्हे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली थी। उन्होंने प्रसिद्ध पहलवान, बाबा पहलवान को हराया था। ये वो हार बनी जिसके बाद बाबा पहलवान ने कुश्ती से संन्यास ले लिया।
गूगल का डूडल
डूडल में भारतीय रूप देते हुए इस फोटो में टॉम बॉय लुक में महिला की तस्वीर तैयार की गई है। बारीकी का ध्यान देते हुए, महिला का रूप दिखाने के लिए नेल पेंट का इस्तेमाल भी किया गया है। बैकग्राउंड में Google लिखा है, जिस पर पक्षी और फूल बने हैं। हमीदा बानो को 'अलीगढ़ की अमेजन' के नाम से भी जाना जाता है। गूगल ने अपने डूडल में कहा कि “हमीदा बानो अपने समय की अग्रणी थीं और उनकी निडरता को पूरे भारत और दुनियाभर में याद किया जाता है। अपनी खेल उपलब्धियों के अलावा, उन्हें हमेशा खुद के प्रति सच्चे रहने के लिए मनाया जाएगा।" जानकारी के मुताबिक ये बेंगलूरू की गेस्ट कलाकार दिव्या नेगी ने बनाया है।
गुमनामी में मौत
रोनोजॉय सेन ने अपनी किताब में लिखा था कि महिला पहलवान को अखाड़े में पुरुष पहलवान को धूल चटाते देख समाज को अच्छा नहीं लगता था। हमीदा बानो को कई बार विरोध का सामना करना पड़ा। एक बार तो लोगों ने उन पर पत्थरबाजी भी की। पुलिस किसी तरह उन्हें सुरक्षित निकालकर ले गई। बताया जाता है कि साल 1986 की बात है जब उनकी मौत हो गई। लेकिन किसी को नहीं पता कि आखिर उनकी मौत कैसे हुई।