Upcoming ISRO Missions: चांद के बाद अब सूरज का सफर, जाने क्या हैं ISRO के 5 नए अभियान
Upcoming ISRO Missions: मून मिशन चंद्रयान-3 की सफलता के बाद ISRO अब अपने अगले मिशन की तैयारी में लग गया है। चांद की सतह के बाद अब ISRO सूरज पर फतह करने की तैयारी में लग गया है।
Upcoming ISRO Missions: मून मिशन चंद्रयान-3 ( chandrayaan 3) की सफलता के बाद ISRO अब अपने अगले मिशन की तैयारी में जुट गया है। चांद की सतह (Moon mission) का गहन विश्लेषण करने के बाद ISRO अब सूरज के वातावरण (Sun atmosphere) को समझने के लिए मिशन चलाने जा रहा है। इस मिशन के साथ ISRO के 4 अन्य मिशन की तैयारियों में लगा हुआ है। जिनको आने वाले दिनों में शुरू किया जाएगा।
1- ADITYA-L1 मिशन
ISRO सूरज के वातावरण को समझने के लिए मिशन (Mission ADITYA-L1) चलाने जा रहा है। इस मिशन का नाम ADITYA-L1 होगा। यह ISRO का एक महत्वपूर्ण मिशन होगा। अमेरिका, चीन, जापान और यूरोपियन यूनियन के बाद भारत पांचवा ऐसा देश होगा जो सूर्य के वातावरण का अध्ययन करने के लिए मिशन चलाएगा। जिसका मकसद सूर्य के वातावरण में मौजूद उर्जा के सोर्स का पता लगाना होगा। जो पृथ्वी पर भी जीवन (Life on earth) के लिए जरूरी है।
कितना आएगा खर्च।
जानकारी के मुताबिक इस मिशन में 424 करोड़ रूपयों का खर्च आएगा। ADITYA-L1 को 2 सितंबर (aditya l1 launch date) को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा (Satellite Launch Center Sriharikota) से PSLV-C57 रॉकेट (PSLV-C57 rocket) की सहायता से लॉन्च किया जाएगा।
क्या है इस मिशन के मुख्य उद्देश्य
सूरज की सतह को समझने के लिए कई देशों ने अपने-अपने स्तर पर तमाम मिशन (ISRO Mission) चलाए। जिनमे किसी का मकसद सोलर फ्लेयर (Solar flare) का अध्ययन करना था, तो वहीं कुछ का मकसद सूर्य के दोनों ध्रुवों का पता लगाना था। वहीं ISRO अपने इन प्रमुख उद्देश्यों को लेकर स्टडी करेगा।
• सूरज की सतह क्रोमोस्फेयर और कोरोना का अध्ययन करना।
• सौर विस्फोट क्यों और किन कारणों से होता है। उस प्रक्रिया की पहचान करना।
• सौर कोरोना के चुंबकीय क्षेत्र का माप करना।
• कोराना की टोपोलॉजी का माप कर पता लगाना।
• सौर विस्फोटों मे हवा की उत्पत्ति का पता लगाना।
गगनयान मिशन (Mission Gaganyan)
गगनयान मिशन ISRO का पहला और महत्वपूर्ण मानव मिशन (ISRO manned mission) है। जिसके अंतर्गत दो मानवरहित यान भेजे जाएंगे, और एक मानवयुक्त यान को भेजा जाएगा। केंद्रीय अंतरिक्ष राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह (Minister of State for Space Jitendra Singh) ने बताया कि इस मिशन को अगले वर्ष 21 दिसंबर तक लॉन्च ( Gaganyaan launch date) किया जाएगा।
इस मिशन के प्रमुख उद्देश्य
इस मिशन के तहत ISRO अपने लूनर मॉड्यूल (ISRO lunar module) के जरिए अंतरिक्ष यात्री को अंतरिक्ष में भेजेगा। इस मिशन के तहत अंतरिक्ष में एस्ट्रोनॉट (Astronaut in space) को लगभग तीन दिनों के लिए 400KM दूर भेजा जाएगा। ये यान पृथ्वी के चारो ओर एक तय ऑर्बिट (Earth orbit) में चक्कर लगाएगा।
मिशन XPOSAT
XPOSAT मिशन भी ISRO (ISRO mission XPOSAT)के महत्वपूर्ण मिशनों मे से एक है। यहां XPOSAT का अर्थ है X-Ray Polari meter सैटलाइट (X-Ray Polari meter satellite)। इसका मकसद अंतरिक्ष में एक्स-रे सोर्सेस की जानकारी जुटाना होगा। हालांकि अभी इसके लॉन्च की तारीख (ExoSat Mission Launching Date) कुछ तय नहीं है, लेकिन माना जा रहा है कि इस वर्ष के अंत तक या फिर अगले वर्ष की शुरूआत में इस मिशन को लॉन्च कर दिया जाएगा।
मिशन NISAR
मिशन NISAR-(NASA-ISRO synthetic aperture) यह ISRO और NASA का एक साझा अंतरिक्ष अभियान है। जिसमें दोनों स्पेस एजंसियों ने मिलकर साझा तौर पर एक सैटलाइट बनाया है। इस मिशन का मकसद अंतरिक्ष से धरती पर गिरने वाले उल्कापिंडो या फिर सूर्य की तरफ से आने वाली किसी भी तरह के प्राकृतिक आपदा की जानकारी पहले से ही देना होगा। ISRO और NASA ने 2014 में हुए एक समझौते के तहत इस सैटलाइट को संगठित रूप से बनाने का फैसला किया था।
इस सैटलाइट की बात करें तो इसका वजन 2800 किलो के करीब है। इसमें दो बैंड लगे हुए हैं एक L और दूसरा S।, साथ ही इसमें एक शक्तिशाली कैमरा भी दिया गया है। बादलों के बीच सटीक और साफ फोटो लेने में ये सक्षम है। संभवत: इसकी लॉन्चिंग अगले वर्ष (Nisar mission launch date) कर दी जाएगी।
INSAT-3DS
इन्सैट-3डीएस मिशन ISRO का जलवायु और मौसम का अध्ययन (ISRO climate and weather study) करने के लिए एक अहम मिशन है। ग्लोबल वार्मिंग (Global warming) के चलते पृथ्वी का तापमान बीते 100 वर्षों में 1 डिग्री फारेनहाइट (1degree Fahrenheit) तक बढ़ गया है। जिस पर भारतीय वैज्ञानिक (Indian scientist) लगातार काम कर रहे हैं। जल्द ही यह मिशन भी पूरी दुनिया में भारत के लिए एक मिसाल के तौर पर सामने आएगा। पृथ्वी के तापमान (Earth temperature) में वृद्धि होने से बर्फ पिघल रही है। महासागरों का जल स्तर बढ़ता जा रहा है। जिसके चलते प्राकृतिक आपदाओं और कुछ द्वीपों के डूबने का खतरा भी बढ़ गया है। इनसैट -3डी (insat 3ds satellite) एक मौसम संबंधी, डेटा रिले उपग्रह है, जो सहायता प्राप्त खोज और बचाव उपग्रह के रूप मे भी कार्य कर सकता है।