Tulsi pooja in kartik month : कार्तिक माह में जरूर करें तुलसी पूजा, इन मंत्रो से होगी मां प्रसत्र

कार्तिक माह तुलसी पूजा के लिए विशेष माना गया है। कहा जाता है कि इस माह में रोजाना तुलसी पर जल और दीपक जलाने से धन-धान्य में वृद्धि होती है और घर में मां लक्ष्मी जी का वास होता है। 

Tulsi pooja in kartik month : कार्तिक माह में जरूर करें तुलसी पूजा, इन मंत्रो  से होगी मां प्रसत्र

Tulsi pooja in Kartik month: कार्तिक माह अपने साथ कई व्रत त्योहार लेकर आता है। इस महीने करवा चौथ से लेकर नरक चतुर्दशी, दीपावली गौवर्धन पूजा समेत कई त्योहार आते है। कार्तिक माह में तुलसी पूजन का विशेष महत्व बताया गया है। आज हम आपको बतायेंगे कि कार्तिक माह में तुलसी के पेड़ की पूजा क्यों करते है और इसका महत्व क्या है। 
शास्त्रों के अनुसार कार्तिक माह तुलसी पूजा के लिए विशेष माना गया है। कहा जाता है कि इस माह में रोजाना तुलसी पर जल और दीपक जलाने से धन-धान्य में वृद्धि होती है और घर में मां लक्ष्मी जी का वास होता है। 
अपने घर में तुलसी का पौधा जरूर लगाये। माना जाता है कि तुलासी का पेड़ अगर आपके घर में हैं तो आपके घर में मां लक्ष्मी जी का वास है। कार्तिक महीने में तुलसी जी की विशेष पूजा की जाती है। इस महीने में कार्तिक पूर्णिमा के दिन तुलसी पूजन करने से देवी लक्ष्मी भी प्रसन्न होती है।  तुसली पूजा करते वक्त कुछ खास मंत्रों के उच्चारण से सभी दुख दूर हो जाते है। 

तुलसी स्तुति मंत्र 

देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः

नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये।।

तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।

धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।।

लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।

तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।


तुलसी पूजा मंत्र 

तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।

धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।।

लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।

तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।  

तुलसी ध्यान मंत्र 

तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।

धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।।

लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।

तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।  

तुलसी माता की आरती 

जय जय तुलसी माता
सब जग की सुख दाता, वर दाता
जय जय तुलसी माता ।।

सब योगों के ऊपर, सब रोगों के ऊपर
रुज से रक्षा करके भव त्राता
जय जय तुलसी माता।।

बटु पुत्री हे श्यामा, सुर बल्ली हे ग्राम्या
विष्णु प्रिये जो तुमको सेवे, सो नर तर जाता
जय जय तुलसी माता ।।

हरि के शीश विराजत, त्रिभुवन से हो वन्दित
पतित जनो की तारिणी विख्याता
जय जय तुलसी माता ।।

लेकर जन्म विजन में, आई दिव्य भवन में
मानवलोक तुम्ही से सुख संपति पाता
जय जय तुलसी माता ।।

हरि को तुम अति प्यारी, श्यामवरण तुम्हारी
प्रेम अजब हैं उनका तुमसे कैसा नाता
जय जय तुलसी माता ।।