Sachin Tendulkar Birthday: Cricket के भगवान का वो फैसला जिसने बदल दिया भारतीय क्रिकेट की किस्मत को!

ऑस्ट्रेलिया के पूर्व दिग्गज ओपनर मैथ्यू हेडन ने एक बार कहा था कि भारत में क्रिकेट एक धर्म की तरह है और मैंने भगवान को देखा है जो इंडिया के लिए टेस्ट में नंबर 4 पर बल्लेबाजी करता है। आज उसी क्रिकेट के भगवान यानी सचिन तेंदुलकर का जन्मदिन है। ऐसे में फैंस सचिन से जुड़े तमाम किस्से और कहानियां यादों पिटारे से निकल रहे है।

Sachin Tendulkar Birthday: Cricket के भगवान का वो फैसला जिसने बदल दिया भारतीय क्रिकेट की किस्मत को!

Sachin Tendulkar Birthday: ऑस्ट्रेलिया के पूर्व दिग्गज ओपनर मैथ्यू हेडन ने एक बार कहा था कि भारत में क्रिकेट एक धर्म की तरह है और मैंने भगवान को देखा है जो इंडिया के लिए टेस्ट में नंबर 4 पर बल्लेबाजी करता है। आज उसी क्रिकेट के भगवान यानी सचिन तेंदुलकर का जन्मदिन है। ऐसे में फैंस सचिन से जुड़े तमाम किस्से और कहानियां यादों पिटारे से निकल रहे है। भारत में किसी भी अन्य खेल से ज्यादा क्रिकेट हमेशा ज्यादा देखा जाने वाला खेल रहा है। लेकिन 90 के दशक में इसे लोकप्रियता के शिखर पर ले जाने का पूरा श्रेय अगर किसी को जाता है तो वो सचिन तेंदुलकर ही हैं। यही नहीं आज अगर बीसीसीआई आर्थिक रूप से विश्व के किसी भी क्रिकेट बोर्ड से मजबूत है तो इसका श्रेय भी सचिन को ही जाता है।ऐसे में आज हम भी सचिन के एक फैसले के बारे में आपको बताने जा रहे है जिससे इंडियन क्रिकेट की तकदीर ही बदल दी।

सचिन ने ठुकराया कप्तानी का प्रस्ताव

साल था 2007।।।।मौका था वनडे विश्वकप का।।।।जगह थी वेस्टइंडीज।।। उस साल ODI विश्व कप के पहले ही दौर में टीम इंडिया बांग्लादेश के हाथों हारकर बाहर हो गई थी। भारतीय टीम के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद देश में क्रिकेट फैंस ने जोरदार विरोध किया। वर्ल्डकप के बाद इंग्लैंड दौरे पर गई टीम इंडिया का प्रदर्शन वहां भी खराब रहा था। भारत को 7 एकदिवसीय मुकाबलों की सीरीज में 4-3 से शिकस्त झेलनी पड़ी थी। इस हार के बाद से ही पूरे भारत में बवाल मचा हुआ था। उस वक्त भारत के कप्तान राहुल द्रविड़ थे और उन्हें हटाने की तैयारी कर ली गई थी। हालांकि बाद में उन्होंने खुद ही पद छोड़ दिया था। अब द्रविड़ के पद छोड़ने के बाद टीम इंडिया के नए सेनापति की तलाश शुरू हो गई थी। बोर्ड सचिन को तरफ आस लगाए देख रहा था। सचिन ने सबसे पहले साल 1996 में टीम इंडिया की कमान संभाली थी। वह दिसंबर 1997 तक कप्तान रहे। इसके बाद साल 1999 में सचिन को दोबारा कप्तानी करने का मौका मिला, लेकिन सचिन ने साल 2000 में टीम इंडिया की कप्तानी छोड़ दी थी।

क्रिकेट के भगवान ने देखी धोनी के अंदर नेतृत्व क्षमता

ऐसे में BCCI ने फैंस की नाराजगी से बचने के लिए एक बार सचिन से कप्तानी संभालने की रिक्वेस्ट की। तब बीसीसीआई के अध्यक्ष शरद पवार खुद चाहते थे कि सचिन को टीम की कमान सौंपी जाए। लेकिन क्रिकेट के भगवान के मन में तो कुछ और ही चल रहा था।सचिन ने बोर्ड के प्रस्ताव को ठुकरा दिया। लेकिन अब बोर्ड के सामने बड़ा सवाल था सचिन नही तो फिर कौन। हालांकि टीम के वीरेंद्र सहवाग और युवराज सिंह जैसे खिलाड़ी भी थे जिनपर विचार किया जा सकता था। इसी बीच टीम को टी - 20 वर्ल्डकप के लिए भी तैयार करना था। ऐसे में सचिन ने ही बोर्ड को सुझाव देते हुए कहा कि कि हमारे पास एक ऐसा लीडर है, जो अभी जूनियर है लेकिन उसे आपको करीब से देखना चाहिए। तेंदुलकर ने बोर्ड को बताया कि मैं फर्स्ट स्लिप में फील्डिंग करता था और इस दौरान मैंने मैच की सिचुएशन पर कई दफा महेंद्र सिंह धोनी से बातचीत की थी। हालांकि टीम के कप्तान राहुल द्रविड़ थे, लेकिन धोनी की राय अक्सर सटीक होती थी। सचिन ने कहा था कि 26 वर्षीय महेंद्र सिंह धोनी की प्रतिक्रिया शांत, संतुलित और परिपक्व होती थी।अच्छी कप्तानी हमेशा अपोजिशन टीम से एक कदम आगे रहने के बारे में है। अगर कोई ऐसा करने के लिए पर्याप्त तौर पर स्मार्ट है, तो फिर हमें उसे मौका जरूर देना चाहिए। फिर क्या था सचिन की दूरदर्शिता ने इंडियन क्रिकेट का भविष्य ही बदल दिया। धोनी को कप्तानी में उस साल टीम इंडिया ने टी20 विश्व कप अपने नाम कर लिया। यही नहीं दशकों लंबे इंतजार के बाद धोनी की ही कप्तानी में टीम ने 2011 में वनडे विश्वकप भी अपने नाम कर लिया। चाहे ऑस्ट्रेलिया हो या इंग्लैंड पूरे विश्व में टीम इंडिया ने घूम घूम कर टीमों को उनके घर में हराना शुरू कर दिया।