Sunil Gavaskar: गावस्कर ने मैल्कम मार्शल से लिया बल्ला छूटने का बदला

भारत-बांग्लादेश के बीच दूसरा टेस्ट 27 सितंबर से उत्तर प्रदेश के कानपुर में खेला जाएगा। कानपुर के यौनपार्क स्टेडियम में भारतीय टीम 1983 के बाद कोई टेस्ट नहीं हारी है। भारतीय टीम ग्रीन पार्क में 1952 से 2021 के बीच 23 मैच खेली है।

Sunil Gavaskar: गावस्कर ने मैल्कम मार्शल से लिया बल्ला छूटने का बदला

भारत-बांग्लादेश के बीच दूसरा टेस्ट 27 सितंबर से उत्तर प्रदेश के कानपुर में खेला जाएगा। कानपुर के यौनपार्क स्टेडियम में भारतीय टीम 1983 के बाद कोई टेस्ट नहीं हारी है। भारतीय टीम ग्रीन पार्क में 1952 से 2021 के बीच 23 मैच खेली है। 7 जीती है और 3 हारी है जबकि 13 मैच ड्रॉ रहे हैं। कानपुर से होने वाले इस टेस्ट मैच को लेकर लोगों में उत्सुकता है। कानपुर के ग्रीन पार्क स्टेडियम से खिलाड़ियों की कई यादें हैं। कानपुर ने टीम इंडिया को पहला चाइनामैन स्पिनर कुलदीप यादव दिया है। पाकिस्तान के पूर्व कोच दिवंगत बॉब वूल्मर का जन्म भी कानपुर में हुआ था और इसी मैदान मैं एक ऐसा वाक्या हुआ था जिसे सुनकर विप्सी भी खिलाड़ी को भरोसा नहीं होता। इसी मैदान पर वेस्टइंडीज के दिग्गज तेज गेंदबाज़ खिलाड़ी मैकान्म मार्शल ने लिटिल मास्टर सुनील गावस्कर की इतनी तेज गैद की थी कि उनके हाथ से बल्ला छूट गया था।

मार्शल की तेज गेंद पर गावस्कर का बल्ला छूट गया

ये अक्टूबर 1983 की बात है जब वेस्टइं‌डीज की टीम भारत के दौरे पर आई थी। विपक्षी टीम में क्लाइन लॉयड वेस्टइंडीज की टीम के कप्तान हुआ करते थे और कपिल देव भारत के कप्तान थे। 6 टेस्ट मैचों की सीरीज का पहला मैच कानपुर के ग्रीन पार्क स्टेडियम में था। लेकिन इसी टेस्ट में एक ऐसी घटना हुई जिसने क्रिकेट जगत को अन्दर से हिला दिया था। उस टेस्ट मैच मेंmalcolm marshall की एक 'शॉर्ट बॉल' पर गावस्कर का बल्ला हाथ से छूट गया। आज के दौर के लिहाज से ये कितनी बड़ी बात है नहीं पता लेकिन उस दौर में गावस्कर की साख को देखते हुए ये बहुत बड़ी घटना थी। सुनील गावस्कर के हाथ से बल्ला छूट गया इसकी चर्चा पूरे देश ही नहीं दुनिया भर के खिलाडियों के बीच में थी। तब्कूच लोगी ने ये भी लिख दिया गया कि गावस्कर का समय अब खत्म हो गया है। गावस्कर इस घटना के बाद से काफी विचलित हुए थे। क्यूंकि गावस्कर का नाम उस वक्त में क्रिकट जगह में सबसे ऊपर था। उनके खेलने के अंदाज से खुद वेस्ट इंडीज़ के गेंदबाज़ भी कायल थे और गावस्कर के हाथ से बल्ला छूट जाना बड़ी घटना थी। बहरहाल गावस्कर ने टेक इया कि अब वो वेस्ट इंडीज के खिलाफ जरूर शतक लगायेंगे।

गावस्कर ने गुस्से में लगाया शतक

गावस्कर को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलते हुए उस वक्त करीब 12 साल का वक्त बीता था। कानपुर टेस्ट मैच की दोनों ही पारियों में गावस्कर बुरी तरह फ्लॉप रहे। पहली पारी में गावस्कर बगैर खाता खोले आउट हो गए और दूसरी पारी में उन्होंने सात रन बनाए। दोनों ही पारियों में मैल्कम मार्शल ने उन्हें आउट किया था।।। और उस वक्त में सुनील गावस्कर को अपनी ससुराल कानपुर में फ्लॉप होने के कारण जमकर आलोचना का शिकार होना पड़ा।। दिल्ली में गावस्कर ने काफी गुस्से में पहली पारी खेली।। कानपुर टेस्ट में हुई आलोचना और बल्ला हाथ से छूट आनेके बाद से गावस्कर ने तय किया था कि वो अब जरूर शतक बनायेंगे।। इसके बाद अगले ही टेस्ट में गावस्कर ने विस्फोटक बल्लेबाजी शुरू की। दिल्ली में अगले टेस्ट में उन्होंने मार्शल और माइकल होल्डिंग को हुक और पुल किया उनका अर्धशतक 37 गेंदों में आया और बैडमैन की बराबरी करने वाला 29वां शतक 94 गेंदों में ही आया।। गावस्कर की ये पारी कानपुर का जवाब था। अपने ससुराल में हुई बेइज़त्ति और बल्ला हाथ से छूट जाने के बाद से गावस्कर ने जो तय किया से दिल्ली टेस्ट में पा लिया। बदला भी और खोई हुई इज्जत भी कहा जाता है कि गावस्कर और मार्शल के भिड़ंत देसमे के लिए ही कोटला टेस्ट में भीड हुई थी। बहुत से लोग स्टेडियम सिर्फ मैल्कम मार्शल और सुनील गावस्कर का मुकाबला देखने के लिए पहुंचे थे। सुनील गावस्कर और मैल्कम मार्शल को भी इस बात का अंदाजा अच्छी तरह था कि पूरा स्टेडियम उन्हें देखने के लिए जुटा हुआ है।। मार्शल की शॉर्ट पिच गेंदों पर गावस्कर ने लगातार चौका और छक्का लगाया। खेल पत्रकार प्रदीप मैगजीन कहते हैं कि गावस्कर कि वो पारी ऐसे थी जो कभी किसी ने नहीं देखी रही होगी। गावस्कर ने उस टेस्ट में शतक पूरा किया।। उनके करियर का ये 95वां टेस्ट मैच था जिसमें उन्होंने 94 गेंद पर शतक पूरा कर दिया। ये गावस्कर के करियर का सबसे तेज बनाया गया शतक था। तमाम आलोचकों को सुनील गावस्कर जवाब दे चुके थे।

सुनील गावस्कर के सर पर लगी थी गेंद

दरअसल सच्चाई ये है कि सुनील गावस्कर और मैल्कम मार्शल के बीच की ये लड़ाई पहले से चली आ रही थी। 1983 में ही जब भारतीय टीम वेस्टइंडीज के दौरे पर गई थी तब का एक किस्सा रवि शास्त्री सुनाते हैं।उस सीरीज के भी पहले दोनों मैचों में गावस्कर के बल्ले से रन नहीं निकले थे। उस समय तक मार्शल के नाम से बल्लेबाज खौफ खाते थे।। मैच के दौरान मैल्कम मार्शल के हाथ में गेंद थी और उनके सामने थे बगैर हेलमेट वाले गावस्कर।। मार्शल ने आनबूझकर पूरी रफ्तार से एक शॉर्ट बॉल फेंकी। गावस्कर को संभलने का मौका ही नहीं मिला। गेंद सीधा जाकर गावस्कर के माथे पर टकराई। मार्शल वापस अपनी रफ्तार से अपने बॉलिंग मार्क पर पहुंच गए।। वेस्टइंडीज के किसी भी खिलाड़ी ने औपचारिकता में भी आकर गावस्कर से नहीं पूर्ण कि वो कैसे हैं। वेस्टइंडीज की टीम की कोशिश भी यही थी कि गावस्कर को संभलने का बिल्कुल मौका ना दिया जाए। मैल्कम मार्शल वापस उसी रफ्तार से रनअप के साथ आए, गावस्कर बिल्कुल अपने ठेठ अंदाज में क्रीज पर खड़े थे। उसके बाद जो हुआ वो पूरी दुनिया ने देखा, मैल्कम मार्शल की गेंद जिस रफ्तार से गावस्कर के पास तक आई थी उसकी दोगुनी रफ्तार से बाउंड्री के पार थी। 1983 के कानपुर टेस्ट में में बल्ला छूटने के काफी समय बाद सुनील गावस्कर का एक बयान आया था कि उनका बल्ला मैल्कम मार्शल की रफ्तार या किसी डर की वजह से नहीं छूटा था बल्कि वो जानबूझकर हल्के हाथ से बल्ला पकड़े हुए थे। वी गेंद गावस्कर के बल्ले के ऊपरी हिस्से में लगी थी और कैच उछला था जिसके बाद उनके हाथ से बल्ला छूट गया था।