Kokilavan Dham: शनिदेव का एक ऐसा मंदिर जिसे बनवाने के लिए राधा रानी से लेनी पड़ी थी जमीन उधार!

शनिदेव के वैसे तो देश भर में कई मंदिर है लेकिन यह एक ऐसा मंदिर है जो सबसे अनोखा है। शनि देव का यह मंदिर उत्तर प्रदेश के कोसी कलां में स्थित है। इस मंदिर का नाम कोकिलावन धाम है। इस मंदिर की खासियत है कि इस मंदिर को बनवाने के लिए राधा रानी से जमीन उधार लेनी पड़ी थी। तो क्या है इसके पीछे की कहानी चलिए आपको बताते है? 

Kokilavan Dham: शनिदेव का एक ऐसा मंदिर जिसे बनवाने के लिए राधा रानी से लेनी पड़ी थी जमीन उधार!

Kokilavan Dham: हिन्दू धर्म में कई देवी देवताओं की पूजा होती है। इसलिए यहां कई मंदिर भी है। भारत में यूं तो शनि देव के अनेकों मंदिर है लेकिन इन सब में सबसे खास मंदिर जो है वो है कोकिलावन धाम मंदिर। यह काफी अनोखा मंदिर है। इस मंदिर में मान्यता है कि जो भी यहां आकर अपनी इच्छा की मांग करता है उसकी मनोकामना जल्द ही पूरी हो जाती है। तो चलिए आज हम आपको बताते है कि यह मंदिर कहां स्थित है और इसकी क्या मान्यताएं है। 

कहां स्थित है यह मंदिर

शनिदेव के वैसे तो देश भर में कई मंदिर है लेकिन यह एक ऐसा मंदिर है जो सबसे अनोखा है। शनि देव का यह मंदिर उत्तर प्रदेश के कोसी कलां में स्थित है। इस मंदिर का नाम कोकिलावन धाम (Kokilavan Dham) है। इस मंदिर की खासियत है कि इस मंदिर को बनवाने के लिए राधा रानी से जमीन उधार लेनी पड़ी थी। तो क्या है इसके पीछे की कहानी चलिए आपको बताते है? 

क्या है कोकिलावन धाम मंदिर की कहानी? 

पौराणिक कथा के अनुसार जब भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था, तब सभी देवी-देवता उनके दर्शनों के लिए गोकुल आए थे। उन सभी देवी-देवताओं में शनिदेव भी शामिल थे सभी देवी-देवताओं ने कृष्ण जी के दर्शन किये थे लेकिन यशोदा मैय्या ने शनिदेव को कृष्ण दर्शन करने से रोक दिया था। दरअसल यशोदा माता को यह डर था कि शनिदेव की दृष्टि से कहीं बाल कृष्ण को हानि न पहुंचे। जिस कारण शनिदेव को वापस लौटा दिया गया था, इससे शनिदेव बहुत उदास हो गए। जिसके बाद शनिदेव ने श्री कृष्ण के बाल रूप के दर्शन करने हेतु उनकी वन में घोर तपस्या करने का प्रण किया। शनिदेव की तपस्या से प्रसन्न होकर श्री कृष्ण ने शनिदेव को दर्शन दिए लेकिन उन्होंने बेहद ही अनोखा रुप में उन्हें दर्शन दिये थे और वो रुप था कोयल का। इसके पीछे का कारण यह थी कि ताकि उन्हें शनि दृष्टि न लगे। बताया जाता है कि जिस वन में श्री कृष्ण ने कोयल का रूप धारण करा था उसी वन को आज कोकिलावन के नाम से जाना जाता है। माना जाता हैं कि शनिदेव की भक्ति देख श्री कृष्ण ने उन्हें कोकिलावन धाम में साक्षात निवास का वरदान दिया था।  वैसे तो श्री कृष्ण ने शनिदेव को अपना मंदिर बनाने का यहां आदेश दिया लेकिन ब्रज में इच्छा राधा रानी की चलती है। जिसके चलते शनिदेव ने श्री राधा रानी से प्रार्थना कर कोकिलावन की भूमि उधार लेकर अपना मंदिर बनवाया था।

मंदिर में जाने से दूर होते है शनि दोष

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कोकिलावन धाम में जाकर शनि देव की पूजा करने से शनि दोष, साढ़े साती और ढैय्या से मुक्ति मिलती है। साथ ही माना जाता है कि शनिदेव के साथ-साथ श्री राधा रानी और श्री कृष्ण की असीम कृपा से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।