Chuho Wala Mandir:बीकानेर में है ऐसा अनोखा मंदिर जहां चूहों का झूठा दिया जाता है प्रसाद में

आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बतायेंगे जहां चूहे का झूठा प्रसाद भक्तों को दिया जाता है। ऐसी मान्यता है कि अगर कोई देपावत चारण मरता है तो वो करणी माता के मंदिर में चूहा बनकर जन्म लेता है।

Chuho Wala Mandir:बीकानेर में है ऐसा अनोखा मंदिर जहां चूहों का झूठा दिया जाता है प्रसाद में

Chuho Wala Mandir:भारत में ऐसे कई रहस्यमयी मंदिर हैं जिनकी अलग-अलग तरह की मानताएं है। इसी तरह अलग अलग धर्म स्थानों पर मिलने वाला प्रसाद भी अलग अलग होता है। केरल के अलेप्पी में चॉकलेट का प्रसाद (Chocolate Prasad in Alleppey) दिया जाता है, तो वहीं राजस्थान के एक मंदिर में मथाड प्रसाद को भक्तों में बांटा जाता है, ऐसा ही एक मंदिर कोलकाता में है जहां चाउमीन का प्रसाद वितरित किया जाता है। ऐसे मे आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बतायेंगे जहां दर्शन करने के लिए भक्तों की भारी संख्या में भीड़ उमड़ती है। हम बात कर रहे है बीकानेर के देशनोक स्थित करणी माता मंदिर की। यह बीकानेर से 30 किलोमीटर की दूरी पर है और यह बेहद अद्भुत मंदिर है। इस मंदिर में हजारों चूहे है इन चूहों को काबा कहा जाता है। इस मंदिर को चूहों वाली माता, चूहों वाला मंदिर और मूषक मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। 

करणी माता मंदिर 

मां दुर्गा का साक्षात अवतार-करणी माता है। यहां आने वाले भक्तो की हर मनोकामना भी पूरी होती है। वहीं यहां पर चूहे का झूठा प्रसाद भक्तों को दिया जाता है। ऐसी मान्यता है कि अगर कोई देपावत चारण मरता है तो वो करणी माता के मंदिर में चूहा बनकर जन्म लेता है। बता दें कि, 'देपाजी ने करणीजी की बहन गुलाब बाई से विवाह किया और उनके वंशज देपावत के रूप में जाने जाते हैं, जो अब देशनोक में रहते हैं और देपाजी की दूसरी शादी से पैदा हुए चार बेटों के वंशज हैं।' इतना ही नहीं मंदिर की पूरी संरचना संगमरमर के पत्थरों से बनी है और करणी मंदिर का वास्तु कला मुगल शैली से जुड़ा है। 

चूहों का झूठा प्रसाद दिया जाता है 

बीकानेर मे करणी मंदिर सिर्फ अपनी वास्तु कला को लेकर नहीं बल्कि चूहो को लेकर भी जाना जाता है।यहां तकरीबन 20,000 से ज्यादा चूहों का घर है।आमतौर पर घर पर अगर चूहें कुछ खाने के सामान को खा लेते है तो हम उसे फेंक देते है लेकिन बीकानेर के करणी मंदिर में चूहें का ही झूठा प्रसाद भक्तों को दिया जाता है। ये इस खास मंदिर की पवित्र प्रथा है। यहां सफेद चूहों को खासतौर से पवित्र माना जाता है क्योंकि उन्हें करणी माता और उनके पुत्रों का अवतार माना जाता है। इस मंदिर की खास बात यह है कि इस मंदिर में इतने सारे चूहे रहने के बाद भी यहां पर बदबू नहीं आती है। साथ ही आज तक कोई बीमारी भी नहीं फैली। वहीं इस मंदिर में कोई अपने पैरों को उठाकर नहीं चलता है, पैरों को घसीटकर चलता है। ताकि कोई भी चूहा पैरों के नीचे न आ जाए। अगर गलती से भी ऐसा हुआ  तो ये अशुभ माना जाता है। 

भव्य और रहस्यों से भरा है ये मंदिर 

ये मंदिर बहुत ही भव्य और प्राचीन है। मंदिर का निर्माण बीकानेर रियासत के महाराजा गंगा सिंह ने करवाया था। इस मंदिर का मुख्य द्वार असली चांदी से बना हुआ है।  करणी माता की मूर्ति मंदिर के गर्भगृह के भीतर विराजमान है। और वो एक हाथ में त्रिशूल भी धारण करे हुए हैं। नवरात्रि में बड़ी संख्या में श्रद्धालु करणी माता का दर्शन करने पहुंचते हैं। मान्यता है कि माता करणी अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करती है। वहीं अगर किसी से कोई चूहा मर जाता है तो वो मंदिर में चांदी का चूहा भी दान करते हैं। आपको बता दें कि, करणी माता का जन्म एक शाही परिवार में हुआ था, और उन्होंने अपना सांसारिक जीवन त्याग कर तपस्वी के जीवन को जीने लगी थी।