SC on Shahi Eidgah: SC ने मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद को कृष्ण जन्मभूमि घोषित करने की याचिका को किया खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने आज शुक्रवार 5 जनवरी को मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद स्थल को कृष्ण जन्मभूमि के रूप में मान्यता देने की मांग वाली इलाहाबाद हाई कोर्ट की याचिका खारिज कर दी है।
SC on Shahi Eidgah: सुप्रीम कोर्ट ने आज शुक्रवार 5 जनवरी को मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद स्थल को कृष्ण जन्मभूमि के रूप में मान्यता देने की मांग वाली इलाहाबाद हाई कोर्ट की याचिका खारिज कर दी है। सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा कि वह इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप नहीं करना चाहती है क्योंकि याचिका में उठाए गए मुद्दे पहले से ही अदालत के सामने विचाराधीन हैं। बता दें कि ये याचिका वकील महक महेश्वरी ने दाखिल की थी।
फैसले में हस्तक्षेप के नहीं इच्छुक
पीठ ने आदेश दिया, ''हम दिए गए फैसले में हस्तक्षेप करने के इच्छुक नहीं हैं और इसलिए, विशेष अनुमति याचिका खारिज की जाती है।'' इसी के साथ कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस फैसले से किसी भी कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने के किसी भी पक्ष के अधिकार पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।
वकील महेश्वरी ने दाखिल की याचिका
इलाहाबाद हाई कोर्ट के समक्ष दायर अपनी याचिका में, माहेश्वरी ने मांग की थी कि पूजा स्थल अधिनियम, 1991 की धारा 2, 3 और 4 को असंवैधानिक घोषित किया जाए और तर्क दिया था कि 1991 के कानून द्वारा लगाई गई रोक जन्मभूमि मामले में लागू नहीं होगी। इसी के साथ उन्होंने विवादित स्थल को हिंदू भगवान कृष्ण के वास्तविक जन्मस्थान के रूप में मान्यता देने की मांग की थी और कृष्ण जन्मभूमि जन्मस्थान के लिए एक ट्रस्ट की स्थापना करके जमीन हिंदुओं को सौंपने का आग्रह किया था। माहेश्वरी ने तर्क दिया था कि यह भूमि हमेशा मंदिर की रही है, ऐतिहासिक रिकॉर्ड इस तथ्य का हवाला देते हैं कि विवादित स्थल, शाही ईदगाह मस्जिद, भगवान कृष्ण का वास्तविक जन्मस्थान है और यहां तक कि मथुरा का इतिहास रामायण युग का है, जबकि इस्लाम सिर्फ 1,500 साल पहले आया।
हाई कोर्ट ने खारिज की थी याचिका
बता दें कि हाई कोर्ट ने पिछले साल अक्टूबर में जनहित याचिका को खारिज कर दिया था। उस समय हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर और जस्टिस आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने कहा था: “चूंकि वर्तमान PIL में शामिल मुद्दे पहले से ही उचित कार्यवाही (यानी, लंबित मुकदमों) में अदालत का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं, इसलिए हम रिट याचिका पर विचार नहीं कर सकते, इसे खारिज किया जाता है।''