Rakshabandhan 2024:क्या है रक्षाबंधन का महत्व, जानिए उससे जुड़ी पौराणिक कथा

हिंदू धर्म में हर त्योंहारों को लेकर एक अलग मन्यता होती हैं। धार्मिक ग्रंथों में रक्षाबंधन को लेकर कई प्रकार की पौराणिक कथाओं के बारे में बताया गया है। ऐसे में आज हम आपको रक्षाबंधन से जुड़ें किस्सों के बारे में बतायेगें। 

Rakshabandhan 2024:क्या है रक्षाबंधन का महत्व, जानिए उससे जुड़ी पौराणिक कथा

Rakshabandhan 2024:भारतीय संस्कृति में रक्षाबंधन(Raksha Bandhan) पर्व का खास महत्व है। इस दिन बहनें अपने भाईयों के हाथ में राखी बांधती है और भाई अपनी बहन को रक्षा का वचन देते है। हिंदू धर्म में हरत्योहारों को लेकर एक अलग मान्यता होती हैं। धार्मिक ग्रंथों में रक्षाबंधन को लेकर कई प्रकार की पौराणिक कथाओं के बारे में बताया गया है। ऐसे में आज हम आपको रक्षाबंधन से जुड़ें किस्सों के बारे में बतायेगें। 

द्रौपदी ने भगवान श्री कृष्ण की उंगली में अपनी साड़ी से टुकड़ा फाड़ कर बांधा

सनातन धर्म में चार युग को माना जाता है। जिसमें से एक है त्रेता युग इस युग में महाभारत की लड़ाई से पहले श्री कृष्ण ने राजा शिशुपाल के खिलाफ सुदर्शन चक्र उठाया था, उसी दौरान उनके हाथ में चोट लग गई और खून बहने लगा। इस दौरान द्रौपदी ने भगवान श्री कृष्ण की उंगली में अपनी साड़ी से टुकड़ा फाड़ कर बांध दिया था। बदले में श्री कृष्ण ने द्रोपदी को भविष्य में आने वाली हर मुसीबत में रक्षा करने की कसम दी थी। उसी चीर बांधने के कारण कृष्ण ने चीर हरण के समय द्रौपदी की रक्षा की इसलिए रक्षाबंधन का त्योहार बनाया जाता है। 

यम जब अपनी बहन यमुना से 12 वर्ष तक मिलने नहीं गये 

मृत्यु के देवता यम जब अपनी बहन यमुना से 12 वर्ष तक मिलने नहीं गये, तो यमुना दुखी हुई और माँ गंगा से इस बारे में बात की। गंगा ने यह सूचना यम तक पहुंचाई कि यमुना उनकी प्रतीक्षा कर रही हैं. उसके बाद यम युमना से मिलने आए। यम को देखकर यमुना बहुत खुश हुईं और उनके लिए विभिन्न तरह के व्यंजन भी बनाएं। यम को इससे बेहद ख़ुशी हुई और उन्होंने यमुना से कहा कि वे उनसे मनचाहा वरदान मांग सकती हैं। इस पर यमुना ने उनसे ये वरदान माँगा कि यम जल्द पुनः अपनी बहन के पास आए। यम अपनी बहन के प्रेम और स्नेह से गदगद हो गए और यमुना को अमरत्व का वरदान दिया। भाई बहन के इस प्रेम को भी रक्षा बंधन के हवाले से याद किया जाता है। 

माता लक्ष्मी ने राजा बलि को राखी बांधी 

भगवान विष्णु ने अपने भक्त बलि की परीक्षा लेने के लिए एक ब्राह्मण का रूप धारण किया और उनके यज्ञ पर पहुंचकर दान में तीन पक्ष भूमि मांगी। बलि ने मांग स्वीकार की तो प्रभु ने एक पग में आसमान नापा, तो दूसरे पग में पूरी जमीन नाप दी, वहीं तीसरे पग को अपने सिर पर रख लिया और उनसे विनती की मुझे स्वीकार कर मेरे साथ रहें। भगवान विष्णु के राजा के साथ रहने की वजह से माता लक्ष्मी चिंतित हो गईं और नारद जी को सारी बात बताई। तब नारद जी ने माता लक्ष्मी से कहा कि आप राजा बलि को अपना भाई बना लीजिए और भगवान विष्णु को मांग लीजिए। नारद जी की बात सुनकर माता लक्ष्मी राजा बलि के पास रोते हुए गई राजा बलि ने जब माता लक्ष्मी से रोने का कारण पूछा तो मां ने कहा कि उनका कोई भाई नहीं है इसलिए वो रो रही हैं। राजा ने मां की बात सुनकर कहा कि आज से मैं आपका भाई हूं। माता लक्ष्मी ने तब राजा बलि को राखी बांधी और उनके भगवान विष्णु को मांग लिया है। ऐसा माना जाता है कि तभी से भाई-बहन का यह पावन पर्व मनाया जाता है।