RMLNLU Convocation Ceremony 2024 : कानून पढ़ाने की प्रक्रिया में क्षेत्रीय भाषाओं का भी रखा जाए ध्यान - डीवाई चंद्रचूड़

भारत के मुख्य न्यायाधीश डॉ डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि कानूनी पढ़ाई में क्षेत्रीय भाषाओं का ध्यान रखा जाना चाहिए। जस्टिस चंद्रचूड़ शनिवार को लखनऊ में डॉक्टर राम मनोहर लोहिया विधि विश्वविद्यालय में आयोजित दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे। 

RMLNLU Convocation Ceremony 2024 : कानून पढ़ाने की प्रक्रिया में क्षेत्रीय भाषाओं का भी रखा जाए ध्यान - डीवाई चंद्रचूड़

RMLNLU Convocation Ceremony 2024 : भारत के मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India) डॉ डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि कानूनी पढ़ाई में क्षेत्रीय भाषाओं का ध्यान रखा जाना चाहिए। जस्टिस चंद्रचूड़ (Dr DY Chandrachud) शनिवार को लखनऊ में डॉक्टर राम मनोहर लोहिया विधि विश्वविद्यालय (Dr. Ram Manohar Lohia Law University) में आयोजित दीक्षांत समारोह (RMLNLU Convocation Ceremony) को संबोधित कर रहे थे।

कानून की पढ़ाई को सरल भाषा में पढ़ाया जाना चाहिए

इस अवसर उन्होंने कानून की पढ़ाई को क्षेत्रीय भाषा में कराने पर जोर दिया। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि अक्सर देश के तमाम शिक्षाविदों से विचार विमर्श करता हूं कि कैसे कानून की पढ़ाई को सरल भाषा में पढ़ाया जा सके। अगर हम कानून के सिद्धांतों को सरल भाषा में आम जनता को नहीं समझा पा रहे हैं तो इसमें कानूनी पेशे और कानूनी शिक्षा की कमी नजर आ रही है। कानून को पढ़ाने की प्रक्रिया में हमें क्षेत्रीय भाषाओं को भी ध्यान में रखना चाहिए और सोचता हूं कि आरएमएनएलयू को जरूर हिंदी में एलएलबी कोर्स शुरू करना चाहिए। हमारे विश्वविद्यालयों में क्षेत्रीय मुद्दों से जुड़े कानूनों को भी पढ़ाना जाना चाहिए।

जमीन संबंधित क्षेत्रीय कानूनों के बारे में भी छात्र को पढ़ाया जाए

उन्होंने कहा, मान लीजिए अगर कोई व्यक्ति आपके विश्वविद्यालय के पड़ोस के गांव में, गांव से विश्वविद्यालय, विश्वविद्यालय की विधिक सहायता केंद्र में आता है और अपनी जमीन से जुड़ी समस्या को बताता है, लेकिन यदि छात्र को खसरा और खतौनी का मतलब ही नहीं पता है तो छात्र उस व्यक्ति को कैसे मदद कर पाएगा। इसलिए जमीन संबंधित क्षेत्रीय कानूनों के बारे में भी छात्र को अवगत कराना चाहिए। उन्होंने अपने उद्बोधन में यह भी कहा कि भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में ऐसे कई निर्देश दिए हैं, जिससे न्याय की प्रक्रिया को आम लोगों के लिए आसान बनाया जा सके।

सुप्रिम कोर्ट के निर्णय को कई भाषाओं में अनुवाद किया जा रहा

चंद्रचूड़ ने कहा, उदाहरण के तौर पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा अंग्रेजी में दिए गए निर्णयों का भारत के संविधान में प्रचलित विभिन्न भाषाओं में अनुवाद किया जा रहा है, जिससे आम जनता भी समझ सके कि निर्णय में आखिर लिखा क्या गया है। आज 1950 से लेकर 2024 तक सर्वोच्च न्यायालय के 37000 निर्णय हैं, जिनका हिंदी में अनुवाद हो गया है और यह सेवा सब नागरिकों के लिए मुफ्त है।