CAA लागू होने पर देश में फिर शुरू हुए विरोध-प्रदर्शन, भारतीय मुसलमानों को अपने भविष्य की चिंता
विपक्षी दलों के नेता CAA को लेकर बीजेपी सरकार पर लगातार हमला बोल रहे है। AIMIM, TMC, AAP और कई सियासी दलों के नेता सरकार के इस कदम की कड़ी आलोचना कर रहे है तो, देशभर के 18 करोड़ मुसलमान CAA के खिलाफ है और CAA कानून का विरोध कर रहे है।
CAA: केंद्र सरकार ने 11 मार्च को पूरे देश में नागरिकता संशोसन कानून लागू कर दिया है। इस कानून के तहत पड़ोसी देश अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए गैर-मुस्लिम प्रवासियों, हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई और पारसी धर्म के लोगों को भारत की नागरिकता दी जाएगी। लेकिन म्यांमार से आए रोहिंग्या, पाकिस्तान के अहमदिया या अफगानिस्तान के हजरा समुदाय के मुसलमानों को नागरिकता नहीं दी जाएगी। वहीं देश में CAA का नोटिफिकेशन जारी होने के साथ ही, इसके खिलाफ विरोध-प्रदर्शन भी शुरू हो गया है। विपक्षी दलों के नेता CAA को लेकर बीजेपी सरकार पर लगातार हमला बोल रहे है। AIMIM, TMC, AAP और कई सियासी दलों के नेता सरकार के इस कदम की कड़ी आलोचना कर रहे है तो, देशभर के 18 करोड़ मुसलमान CAA के खिलाफ है और CAA कानून का विरोध कर रहे है।
विपक्षी नेताओं का केंद्र सरकार पर हमला
AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने CAA की नोटिफिकेशन को एक संदेश बताया। उन्होंने कहा कि इसके जरिए केंद्र सरकार ने मुसलमानों को यह संदेश दिया है कि अब आप लोग कागज निकाल लीजिए और उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने ये संदेश देश के 18 करोड़ मुसलमानों को रमजान के पहले दिन ही दिया है। ओवैसी ने ये भी कहा कि सीएए को एनपीआर और एनआरसी के साथ जोड़कर देखा जाना चाहिए।
ममता बनर्जी ने टाइमिंग पर उठाए सवाल
वहीं इससे पहले बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी रमजान को देखकर सीएए के नोटिफिकेशन की टाइमिंग पर सवाल उठाए। ममता ने कहा कि, CAA के लिए जारी अधिसूचना में नियम स्पष्ट नहीं हैं। ये असंवैधानिक हैं और समाज में भेदभाव लाने वाले हैं। इसके साथ ही ममता ने लोगों से शांत रहने और अफवाहों से बचने की अपील की। ममता ने कहा कि, मुझे पता है कि CAA की नोटिफिकेशन के लिए रमजान से पहले की तारीख क्यों चुनी गई है। वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी CAA पर सवाल उठाते हुए इसे गैर-कानूनी बताया। केजरीवाल ने कहा कि केंद्र की बीजेपी सरकार देश के युवाओं को नौकरी देने के बजाए, पाकिस्तान के लोगों को नागरिकता दे रही है और फिर उन्हें नौकरी देगी।
नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ देश के मुसलमान
दऱअसल, नागरिकता संशोधन कानून, 2019 में संसद के दोनों सदनों से पास हो गया था। जिसके बाद पूरे देश में CAA के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन हुए थे। राजधानी दिल्ली का शाहीन बाग और जामिया मिलिया इस्लामिया CAA के खिलाफ प्रदर्शन का केंद्र बन गए थे। वहीं अब CAA लागू होने के बाद मुस्लिम संगठनों ने फिर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। मुस्लिम समुदाय के संगठन इस कानून को गलत बता रहे हैं, उनका कहना है कि, केंद्र सरकार मुस्लिम समुदाय के साथ भेदभाव कर रही है। वहीं अब मुस्लिम लोग अपनी और अपने परिवार के भविष्य को लेकर काफी चिंतित है। इसके साथ ही सतर्क भी हैं।
भारतीय मुसलमानों के साथ होगा भेदभाव
मुस्लिम लोगों का मानना है कि सीएए और NRC लागू होने के बाद भारतीय मुसलमानों के साथ भेदभाव होगा। हमें अपने ही देश में रहने के लिए पेपर दिखाने पड़ेंगे। इसके साथ ही CAA पर सवाल उठाते हुए मुस्लिमानों का कहना है कि, इस कानून में मुसलमानों को शामिल क्यों नहीं किया गया? यह एक ऐसा सवाल है जो भारत के हर मुसलमान नागरिक का है। एक मुसलमान नागरिक के मुताबिक, 2019-20 के विरोध प्रदर्शनों को हम भूल नहीं सकते। धर्मनिरपेक्षता को ताक पर रख कर बनाए गए इस कानून का बोझ हमारी पीढ़ियों पर पड़ेगा। जिन्हें धर्म के आधार पर बनाए गए नागरिकता कानून का सामना करना होगा। वहीं कुछ लोगों का कहना है कि लोकसभा चुनाव से पहले सीएए लागू करना, हिंदुत्व को बढ़ावा देना, मतदाताओं को बांटना और उनका ध्रुवीकरण करने का ही तरीका है।