Padmanabha Acharya Death: नागालैंड के राज्यपाल का 92 साल के उम्र में हुआ निधन
पद्मनाभ बालकृष्ण आचार्यने पार्टी में कई अन्य महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत थे। आज शुक्रवार को उन्होंने 92 साल की उम्र में अंतिस सांस ली ।
Padmanabha Acharya भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता पद्मनाभ बालकृष्ण आचार्य, जो नागालैंड के पूर्व राज्यपाल का आज 92 साल की उम्र में निधन हो गया। 'पीबी' के नाम से लोकप्रिय, पद्मनाभ बालकृष्ण ने अंधेरी पश्चिम में अपने घर पर अंतिम सांस ली है। बता दें कि उनका अंतिम संस्कार आज शाम ओशिवारा श्मशान में किया गया है।
एबीवीपी से शुरू किया था करियर
8 अक्टूबर, 1931 को उडुपी (कर्नाटक) में जन्मे आचार्य ने अपनी स्कूल और कॉलेज की शिक्षा यही से पूरी की और मुंबई विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री हासिल की, बाद में अपने एक भाई के साथ व्यवसाय में शामिल हो गए। उडुपी में अपने छात्र जीवन में वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से जुड़े। जहां बाद में, उन्हें भाजपा का मुंबई उत्तर-पश्चिम का अध्यक्ष बनाया गया, इसके बाद वह भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारी सदस्य और पूर्वोत्तर राज्यों के प्रभारी महासचिव के रूप में भी कार्यरत रहे, जहां उन्होंने कई सामाजिक और सामुदायिक परियोजनाएं शुरू कीं।
2014 में बनें नागालैंड राज्यपाल
पद्मनाभ बालकृष्ण आचार्यने पार्टी में कई अन्य महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है। उन्हें जुलाई 2014 में नागालैंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया। बीच में विभिन्न अवसरों पर, उन्होंने अलग-अलग अवधि के लिए असम, त्रिपुरा, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल के रूप में अतिरिक्त प्रभार संभाला।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत और सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने पद्मनाभ बी. आचार्य के दुखद निधन पर शोक जाहिर करते हुए शोक संतप्त परिवार और आचार्य के अनगिनत प्रशंसकों के प्रति अपनी हार्दिक संवेदनाएं व्यक्त की है।
मोहन भागवत ने जताया शोक
भागवत और होसबाले ने पद्मनाभ बी. आचार्य के निधन पर शोक संदेश जारी करते हुए कहा, "नागालैंड और असम के पूर्व राज्यपाल पद्मनाभ बी. आचार्य का दुखद निधन, सार्वजनिक जीवन के एक उज्ज्वल अध्याय का अंत है। हम शोक संतप्त परिवार और आचार्य के अनगिनत प्रशंसकों के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करते हैं।" संघ के दोनों नेताओं ने आगे कहा, "पद्मनाभ एक उत्साही स्वयंसेवक और गहन प्रतिबद्ध सार्वजनिक कार्यकर्ता थे। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के अध्यक्ष के रूप में उन्होंने कई नवीन गतिविधियां प्रारंभ की और मुंबई विश्वविद्यालय के सीनेट में सेवा की।