PM Modi's visit to Brunei: पीएम मोदी ने ब्रुनेई के सुल्तान बोल्किया से की मुलाकात, रक्षा-व्यापार समेत कई मुद्दों पर हुई बात

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार (4 सितंबर) को ब्रुनेई के सुल्तान हाजी हसनल बोल्किया से मुलाकात की। ब्रुनेई में दुनिया के सबसे बड़े महल 'इस्ताना नुरुल इमान' में दोनों देशों के नेताओं के बीच द्विपक्षीय वार्ता हुई। दोनों नेताओं के बीच रक्षा, व्यापार, शिक्षा, तकनीक समेत स्वास्थ्य जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा हुई। दोनों देशों के नेताओं कई समक्षौतों पर हस्ताक्षर भी किये।

PM Modi's visit to Brunei: पीएम मोदी ने ब्रुनेई के सुल्तान बोल्किया से की मुलाकात, रक्षा-व्यापार समेत कई मुद्दों पर हुई बात

PM Modi's visit to Brunei: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने बुधवार (4 सितंबर) को ब्रुनेई के सुल्तान हाजी हसनल बोल्किया (Sultan of Brunei Haji Hassanal Bolkiah) से मुलाकात की। ब्रुनेई में दुनिया के सबसे बड़े महल 'इस्ताना नुरुल इमान' ('Istana Nurul Iman') में दोनों देशों के नेताओं के बीच द्विपक्षीय वार्ता हुई। दोनों नेताओं के बीच रक्षा, व्यापार, शिक्षा, तकनीक समेत स्वास्थ्य जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा हुई। दोनों देशों के नेताओं कई समक्षौतों पर हस्ताक्षर भी किये। वहीं, उन्होंने दोनों देशों के बीच शुरू सीधी फ्लाइट की शुरुआत का भी स्वागत किया। ये हवाई सेवा बंदर सेरी बेगवान (Bandar Seri Begawan) और चेन्नई के बीच शुरू की गई है। 

सुल्तान बोल्किया ने पीएम मोदी के सम्मान में किया लंच का आयोजन 

इसके अलावा दोनों देशों के नेताओं ने क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा की। बैठक के दौरान उन्होंने एशियान देशों के विकास के लिए काम करने पर भी सहमति जताई। वहीं, ब्रुनेई के सुल्तान हाजी हसनल बोल्किया ने पीएम मोदी के सम्मान में राजमहल में लंच का भी आयोजन किया। वहीं ब्रुनेई में लंच करने के बाद पीएम मोदी सिंगापुर रवाना हो गए हैं। वहां पीएम मोदी राष्ट्रपति थर्मन शनमुगरत्नम, प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग समेत कई बड़े नेताओं से मुलाकात करेंगे। 

पीएम मोदी दिया गया ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ 

बता दें कि पीएम मोदी मंगलवार को ब्रुनेई पहुंचे थे। यहां ब्रुनेई के एयरपोर्ट पर शहजादे अल-मुहतदी बिल्लाह (Prince Al-Muhtadi Billah) ने पीएम मोदी का भव्य स्वागत किया। एयरपोर्ट पर उन्हें ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ ('guard of Honour') भी दिया गया। इसके बाद पीएम मोदी ब्रुनेई की उमर अली सैफुद्दीन मस्जिद (Omar Ali Saifuddin Mosque of Brunei) पहुंचे। ब्रुनेई की राजधानी बंदर सेरी बेगवान के होटल में भारतीय लोगों ने भी उनका स्वागत किया। इससे पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) और ब्रुनेई के सुल्तान हाजी हसनल बोल्किया (Sultan Haji Hassanal Bolkiah) की मुलाकात 2014 में नेपीता में 25वें शिखर सम्मेलन के दौरान हुई थी। 

ब्रुनेई और भारत के बीच चार दशक पुराना राजनयिक संबंध

बता दें कि ब्रुनेई और भारत के बीच चार दशक पुराना राजनयिक संबंध है। इस खास मौके पर प्रधानमंत्री ने अपने दौरे के लिए इस देश का चयन किया है। इस दौरे से दोनों देशों के बीच संबंध मजबूत होंगे। दोनों के बीच 1984 में राजनयिक संबंध स्थापित किए गए थे। इसके बाद, 1993 में ब्रुनेई दारुस्सलाम में भारतीय मिशन स्थापित किया गया था। ब्रुनेई का उच्चायोग भारत में 1992 में स्थापित किया गया था।

भारत के सिक्किम राज्य से भी छोटा है ब्रुनेई 

अगर ब्रुनेई की बात करें, तो यह भारत में पूर्वोत्तर के सिक्किम राज्य से भी छोटा है। यहा की जनसंख्या भी बेहद कम है। कुल साढ़े चार लाख आबादी में 14 हजार भारतीय हैं। प्रधानमंत्री के दौरे से यहां रहने वाले भारतीयों में खासा उत्साह देखने को मिला है। यहां की अर्थव्यवस्था मुख्यत: तेल और गैस पर आधारित है। यहां 14वीं शताब्दी से ही राजशाही व्यवस्था है।

दुनिया के सबसे छोटे देशों में शामिल ब्रुनेई

वर्तमान में हाजी हसनल बोल्किया ब्रुनेई के सुल्तान हैं। ब्रुनेई दुनिया के सबसे छोटे देशों में शामिल होने के साथ ही सबसे अमीर देशों में से भी एक है। ब्रुनेई के सुल्तान दुनिया के सबसे बेशकीमती महल में रहते हैं। 20 लाख वर्ग फीट में फैले इस महल को 1984 में बनाया गया था। यहां के सुल्तान अपने गजब के लाइफ स्टाइल के लिए भी जाने जाते हैं। उन्हें लग्जरी गाड़ियों और घोड़ों का भी शौक है। उनके पास 200 घोड़े और 700 से ज्यादा लग्जरी गाड़ियां हैं। इसकी कीमत 5 करोड़ डॉलर के करीब है।

ब्रुनेई में व्यभिचार और चोरी जैसे अपराध के लिए पैर काटने का प्रावधान

ब्रुनेई एक इस्लामिक देश है। इस देश में 2014 में ‘इस्लामिक सरिया लॉ’ (‘Islamic Sharia Law’) लागू हुआ था। यहां व्यभिचार और चोरी जैसे अपराध तक के लिए पैर काटने का प्रावधान है। 2014 में यहां एक ऐसा कानून बनाया गया था, जिसमें व्यभिचार और गे संबंध बनाने पर पत्थर से मारने का प्रावधान था। इसकी वैश्विक मंच पर कई लोगों ने आलोचना की थी, लेकिन ब्रुनेई के शासक ने इसे अपने मौजूदा परिदृश्य के लिहाज से जरूरी बताया था।